- आयोग ने SC में बताया कि SIR मामले को लेकर कोर्ट को गुमराह करने की साजिश की गई है
- आयोग के अनुसार याचिकाकर्ता बिहार की मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया को विघटित करने का प्रयास कर रहे हैं
- आयोग ने कहा कि योगेंद्र यादव ने गलत आंकड़ों का उपयोग कर बड़े पैमाने पर मतदाता नाम हटाने का भ्रम फैलाया है
बिहार SIR मामले को लेकर चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा दाखिल किया है. इस हलफनामे में आयोग ने कोर्ट से कहा है कि SIR का मामला उठाकर कोर्ट को गुमराह करने और चुनाव प्रक्रिया में बाधा डालने की साजिश की गई. साथ ही आयोग ने कहा कि याचिकाकर्ता बिहार की मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया को पटरी से उतारने की कोशिश कर रहे हैं.
आयोग ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ताओं का उद्देश्य बिहार में चल रही SIR की प्रक्रिया को “विघटित और बाधित” करना है. याचिकाकर्ताओं के हलफनामों में जो तथ्य दिए गए वो पूरी तरह से गलत और भ्रामक हैं. याचिकाकर्ताओं के हलफनामे का मकसद अन्य राज्यों में भी SIR की प्रक्रिया को रोकने का है. आयोग ने अपने हलफनामे में आगे कहा कि योगेंद्र यादव ने अखबारों की रिपोर्ट और खुद बनाए चार्टों पर भरोसा किया, जो उनके शपथपत्र का हिस्सा नहीं हैं. यह सीमित आंकड़ों का “तोड़-मरोड़ कर इस्तेमाल” है, ताकि यह दिखाया जा सके कि मतदाता सूची से बड़े पैमाने पर नाम गायब हैं .
आयोग के हलफनामे में कहा गया कि 2011 की जनगणना के आंकड़ों पर आधारित जनसंख्या अनुमान गलत है और उसे मतदाता सूची की सटीकता तय करने के लिए आधार नहीं बनाया जा सकता. मुस्लिम मतदाताओं के कथित रूप से असमान विलोपन के आरोप पर आयोग ने कहा कि यह दृष्टिकोण “सांप्रदायिक और निंदनीय” है, क्योंकि आयोग के डेटा में धर्म से जुड़ी कोई जानकारी दर्ज नहीं की जाती.
आयोग ने बताया कि पिछले मतदाता सूची में 7.89 करोड़ मतदाता थे.इनमें से 7.24 करोड़ ने एन्यूमरेशन फॉर्म जमा किए, जबकि 65 लाख ने नहीं किए. इनमें से 22 लाख मृत पाए गए, 36 लाख स्थायी रूप से स्थानांतरित हो गए, और 7 लाख अन्य जगहों पर दर्ज हैं.
हलफनामे में कहा गया है कि 3.66 लाख नामों को नोटिस और सुनवाई के बाद हटाया गया, और यह प्रक्रिया EROs और AERO द्वारा विस्तृत आदेशों के साथ पूरी की गई.अब तक कोई अपील दाखिल नहीं की गई है.
नामों में “गिबरिश” या गलत शब्दों की शिकायत पर ECI ने कहा कि यह सिर्फ हिंदी अनुवाद सॉफ्टवेयर की त्रुटि थी.अंग्रेजी प्रविष्टियां सही हैं और उन्हें BLO ने सत्यापित किया है.
साथ ही आयोग ने कहा कि घर के विवरण स्वयं मतदाता देते हैं, और परिवार को सूची में साथ रखने के लिए अस्थायी नंबर दिए जाते हैं. SIR 2025 के दौरान कोई नया मार्किंग कार्य नहीं किया गया.SIR 2025 का उद्देश्य मतदाता सूची का शुद्धिकरण था, जो पूरा हो गया है. अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर 2025 को प्रकाशित की गई, और अब दायर सभी याचिकाएं निष्प्रभावी हो चुकी हैं.