हज यात्रा के दौरान 98 भारतीयों की हुई मौत, इस साल डेढ़ लाख से ज्यादा लोग पहुंचे थे मक्का

Hajj Death 2024 : सऊदी में इस वक्त करीब 20 लाख हज यात्री पहुंचे हैं. सऊदी अरब में पब्लिश हुए एक रिसर्च पेपर के अनुसार हज करने वाले इलाके का तापमान हर दशक 0.4 डिग्री सेल्सियस बढ़ रहा है.

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रेगिस्तानी देश में भीषण गर्मी पड़ने के कारण अन्य कई नागरिकों की तरह बेंगलुरु के दो हाजियों के शरीर में पानी की कमी और लू लगने से मौत हो गई.

हज पर मक्का गए 98 भारतीयों की अब तक मौत हो गई है. इस साल अब तक एक लाख 75 हजार भारतीय यहां आ चुके हैं. सभी मौतें प्राकृतिक कारणों से हुईं. इनमें बेंगलुरु के दो हज यात्री भी शामिल हैं. इनकी पहचान कौसर रुखसाना (69) और अब्दुल अंसारी (54) के रूप में हुई है.

इस वजह से हुई मौत

रेगिस्तानी देश में भीषण गर्मी पड़ने के कारण अन्य कई नागरिकों की तरह बेंगलुरु के दो हाजियों के शरीर में पानी की कमी और लू लगने से मौत हो गई. कर्नाटक राज्य हज समिति के कार्यकारी अधिकारी एस सरफराज खान ने बताया कि मक्का के बाहरी इलाके में स्थित मीना घाटी में रमी अल-जमारात (शैतान को पत्थर मारने) की रस्म में शामिल होने के दौरान यह घटना हुई. अक्सर इस रस्म के दौरान भगदड़ मचने के कारण भी लोगों की मौत हो जाती है. हालांकि, सऊदी अरब ने इसे लेकर अब काफी इंतजाम भी किए हैं.

मक्का में पड़ती है भयंकर गर्मी

सऊदी अरब (Saudi Arabia) के मक्का में इस मौसम में 1000 से अधिक हज यात्रियों की अब तक मौत हो चुकी है. मक्का एक ऐसा क्षेत्र है जहां न सिर्फ गर्मियों के महीने बल्कि ठंड के समय भी गर्मी का कहर देखने को मिलता है. ठंड के महीने में भी इस जगह का तापमान लोगों को असहज करता है. मक्का की जलवायु को लेकर जानकारों का मानना है कि इसके गर्मी के लिए इसके भौगोलिक फैक्टर सबसे अधिक जिम्मेदार हैं. मक्का सात अलग-अलग पहाड़ों से घिरा हुआ क्षेत्र है. यह एक घाटी का क्षेत्र है. समुद्र तल से इसकी ऊंचाई महज 909 फीट है. विशाल पर्वतों के कारण उत्तर से आने वाली ठंडी हवा मक्का तक नहीं पहुंच पाती है. मक्का, समुद्र तल से महज 300 मीटर हीं ऊपर स्थित है, इसकी कम ऊंचाई के कारण अन्य ऊंचाई वाले स्थानों की तुलना में यहां कम ठंड पड़ते हैं. 

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इन देशों के लोगों की भी गई जान

जानकारी के अनुसार सबसे अधिक  मिस्र के हज यात्रियों की मौत मक्का में हुई है. मिस्र, जॉर्डन और इंडोनेशिया दुनिया के लोगों को इतनी अधिक गर्मी वाले जगहों पर रहने के हालत में नहीं है. जॉर्डन घाटी में गर्मियों में अधिकतम पारा 38-39 डिग्री सेल्सियस तक ही जाता है. ऐसे में अचानक 50 डिग्री के तापमान के कारण उनकी मौतें हो गयी. अरब राजनयिकों ने बताया कि मरने वालों में 323 मिस्रवासी और 60 जॉर्डनवासी शामिल हैं, साथ ही ये भी साफ किया गया कि मिस्त्र के सभी लोगों की मौत का कारण गर्मी ही रही.  इंडोनेशिया, ईरान, सेनेगल, ट्यूनीशिया समेत और देशों ने भी मौतों की पुष्टि की है.

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