Atal Vihari Vajpayee Birth Anniversary: एक ऐसे नेता जिनका भाषण सुनकर उनके वैचारिक विरोधी भी उनकी तारीफ करते थे. हम बात कर रहे हैं, भारत के 10 वें प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की. उनका जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में हुआ लेकिन आगे चलकर उनकी एक अलग पहचान बनीं. अटल जी एक कुशल राजनेता तो थे ही साथ ही एक कवि, लेखक और पत्रकार भी थे. अटल जी की कई कविताएं आज भी बहुत प्रासंगिक है, जिसे हर कोई पढ़ना और सुनना चाहता है.
"मैं अखिल विश्व का गुरु महान्, देता विद्या का अमरदान.
मैंने दिखलाया मुक्ति-मार्ग, मैंने सिखलाया ब्रह्मज्ञान.
मेरे वेदों का ज्ञान अमर, मेरे वेदों की ज्योति प्रखर.
मानव के मन का अंधकार, क्या कभी सामने सका ठहर?
मेरा स्वर नभ में घहर-घहर, सागर के जल में छहर-छहर.
इस कोने से उस कोने तक, कर सकता जगती सौरभमय.
हिन्दू तन-मन, हिन्दू जीवन, रग-रग हिन्दू मेरा परिचय!"
अटल जी के विचार में हिन्दुत्व की परिभाषा
अटल जब दसवीं कक्षा में पढ़ते थे, तब उन्होंने यह कविता लिखी थी. अटल ने इसके बारे में बात करते हुए खुद कहा था कि 'लोग कहते हैं वो कविता लिखने वाला वाजपेयी अलग था और राज काज करने वाला प्रधानमंत्री अलग है. इस बात में कोई सच्चाई नहीं है, मैं हिन्दू हूं ये मै कैसे भूलूं, किसी को भूलना भी नहीं चाहिए, मगर मेरा हिन्दुत्व सीमित नहीं है संकुचित नहीं है. मेरा हिन्दुत्व हरिजन के लिए मंदिर के दरवाजे नहीं बंद कर सकता, मेरा हिन्दुत्व अंतर प्रांतीय, अंतर जातीय और अंतरराष्ट्रीय विवाहों का विरोध नहीं करता. हिन्दुत्व सचमुच में विशाल है, मेरा हिन्दुत्व क्या है...?'
"भूला-भटका मानव पथ पर चल निकला सोते से जग कर.
पथ के आवर्तों से थक कर, जो बैठ गया आधे पथ पर.
उस नर को राह दिखाना ही मेरा सदैव का दृढ़ निश्चय.
हिन्दू तन-मन, हिन्दू जीवन, रग-रग हिन्दू मेरा परिचय!"
वाजपेयी का राजनैतिक सफर
अटल बिहारी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को हुआ था, भाजपा इस दिन को सुशासन दिवस के रूप में मनाती है. वाजपेयी, पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया था. वाजपेयी तीन बार भारत के प्रधानमंत्री रहे. 1996 में पहली बार वो मात्र 13 दिनों के लिए प्रधानमंत्री रहे, दूसरी बार 1998 में प्रधानमंत्री बनें मगर वो सरकार भी 13 महीनें ही चली. तीसरी बार वो 1999 से 2004 तक प्रधानमंत्री रहे.
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