अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती: सुनिए उनके अमर भाषण, जो आज भी दिलों को छूते हैं

अटल बिहारी वाजपेयी ने 1996 में पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली, तो लोकसभा में उनका भाषण बहुत चर्चित हुआ था. अटल बिहारी वाजपेयी ऐसे वक्ता थे जिसे विरोधी भी सुनना पसंद करते थे.

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नई दिल्ली:

देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) की आज 100 वीं जयंती है. वाजपेयी एक कुशल नेता के साथ-साथ बेहतरीन वक्ता थे. भाषणों में उनका विशेष शैली और व्यक्तित्व झलकता था.उनके शब्दों में देशभक्ति, शांति, और प्रगति की अनूठी दृष्टि देखने को मिलती थी. हिंदी में उनके द्वारा दिए गए भाषण को आज भी लोग सुनना पसंद करते हैं. तथ्यों के साथ आलोचना, व्यंग उनके भाषण की खूबियां रहती थी. 

जब संसद में अटल बिहारी वाजपेयी ने 1984 के सिख दंगों के दौरान बीजेपी के एक सिख कार्यकर्ता के दर्द को बताया था तो पूरी संसद सन्न रह गयी थी. 

आज सिंधु में ज्वार उठा है..,अटल बिहारी वाजपेयी की इस बेहतरीन कविता को सुनिए.

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अटल बिहारी वाजपेयी के वो भाषण, जो सदियों तक याद रखा जाएगा

मैं अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति महोदय को देने जा रहा हूं.., जब बहुमत नहीं मिलने के कारण अटल बिहारी वाजपेयी ने दे दिया था त्यागपत्र

1977 में आपातकाल के बाद हुए चुनाव में इंदिरा गांधी की सरकार के हारने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने दिया था एतिहासिक भाषण.

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