Atal Bihari Vajpayee Speeches: 'सरकारें आएंगी, जाएंगी; मगर देश रहना चाहिए'- पूर्व पीएम के 5 सबसे चर्चित भाषण

अटल बिहारी वाजपेयी की 101वीं जयंती पर जानिए उनके पांच सबसे यादगार भाषणों के बारे में, जिन्होंने भारत के इतिहास में अमिट छाप छोड़ी. इस्तीफे के समय का ऐतिहासिक भाषण, पोखरण न्यूक्लियर टेस्ट की घोषणा, स्वतंत्रता दिवस का संदेश, अमेरिकी कांग्रेस में संबोधन और लोकसभा में बयान...

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Atal Bihari Vajpayee Birth Anniversary: अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति के ऐसे नेता थे, जिनके शब्दों में ताकत और संवेदनशीलता दोनों थीं. उनके भाषण सिर्फ राजनीतिक बयान नहीं, बल्कि देश के लिए एक दृष्टि और प्रेरणा थे. आज उनकी 101वीं जयंती पर हम उनके पांच सबसे यादगार भाषणों को याद कर रहे हैं, जिन्होंने भारत के इतिहास में अमिट छाप छोड़ी.

इस्तीफे के समय का ऐतिहासिक भाषण

मई 1996 में जब उनकी 13 दिन पुरानी सरकार गिर गई, तब लोकसभा में उन्होंने कहा था कि सत्ता का खेल चलता रहेगा. सरकारें आएंगी और जाएंगी. पार्टियां बनेंगी और बिगड़ेंगी. लेकिन यह देश रहना चाहिए, इसका लोकतंत्र बचना चाहिए.”
इस दौरान उन्होंने विपक्ष को शुभकामनाएं दीं और कहा कि देशहित में काम करते रहेंगे. यह भाषण आज भी लोकतंत्र की मजबूती का प्रतीक माना जाता है.

पोखरण न्यूक्लियर टेस्ट की घोषणा

1998 में भारत ने दुनिया को चौंकाते हुए पोखरण में न्यूक्लियर टेस्ट किया. इस समय वाजपेयी ने गर्व से कहा कि आज 15:45 बजे भारत ने तीन अंडरग्राउंड न्यूक्लियर टेस्ट किए. कोई रेडियोएक्टिविटी नहीं फैली. यह पूरी तरह सफल रहा. मैं उन वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को दिल से बधाई देता हूं जिन्होंने यह काम किया. यह भाषण भारत की सामरिक ताकत का ऐलान था.

आजादी के दिन का संदेश (2002)

स्वतंत्रता दिवस पर उन्होंने देशवासियों से एकजुट होने की अपील की. उन्होंने कहा था कि मेरे प्यारे देशवासियों, हमारा मकसद आसमान जितना ऊंचा होना चाहिए. हाथ में हाथ डालकर आगे बढ़ें, क्योंकि जीत हमारी ही होगी. आइए, ‘जय हिंद' के नारे से इस इरादे को मजबूत करें. उनका यह संदेश आज भी प्रेरणा देता है.

अमेरिकी कांग्रेस में ऐतिहासिक संबोधन (2000)

वाजपेयी ने भारत-अमेरिका रिश्तों को नई दिशा देते हुए कहा था कि “हमारे साझा मूल्य हमें स्वाभाविक साझेदारी की ओर ले जा रहे हैं. आइए हम मिलकर एक ऐसा भविष्य बनाएं जो हमारे और दुनिया के लिए बेहतर हो. यह भाषण भारत की वैश्विक भूमिका को मजबूत करने वाला था.

न्यूक्लियर टेस्ट के बाद लोकसभा में बयान

पोखरण-2 के बाद उन्होंने लोकसभा में स्पष्ट किया कि हम किसी पर हमला करने की तैयारी में नहीं हैं. हमारी सुरक्षा की ताकत और दोस्ती का हाथ ये दोनों हमारी नीति के हिस्से हैं. यह बयान भारत की शांति और सुरक्षा नीति का संदेश था.

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