दिल्ली में गर्मी और हीटवेव से 24 घंटे के अंदर 7 लोगों की मौत, इस सीजन में 15 मरीजों की जा चुकी जान

RML अस्पताल की सीनियर कंसल्टेंट डॉ. सीमा बालकृष्ण वासनिक और डॉ. अजय शुक्ला ने बताया कि कुल 22 मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है. इनमें से 5 लोगों की हीटस्ट्रोक के कारण मौत हो गई है. 13 मरीज वेंटिलेटर पर हैं.

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नई दिल्ली:

भीषण गर्मी के कारण दिल्ली समेत पूरे उत्तर भारत के कई हिस्सों में हीटस्ट्रोक (Heat Stroke) के मामले बढ़ रहे हैं. दिल्ली में गर्मी और हीटवेव (Heatwave) से 24 घंटे के अंदर 7 लोगों की मौत हो गई है, 13 लोग वेंटिलेटर पर हैं. इस सीजन में अब तक 15 लोगों की जान हीटस्ट्रोक से जा चुकी है. बुधवार को राम मनोहर लाल अस्पताल में 5 मरीजों की जान गई, जबकि सफदरजंग अस्पताल में हीटस्ट्रोक के 2 मरीजों की मौत हुई है. अब तक इस सीजन में हीटस्ट्रोक से कुल 15 मरीजों की जान जा चुकी है. इनमें से 6 मौतें सफदरजंग अस्पताल में हुई हैं. 9 मौतें राम मनोहर लाल अस्पताल में हुई हैं.

RML अस्पताल की सीनियर कंसल्टेंट डॉ. सीमा बालकृष्ण वासनिक और डॉ. अजय शुक्ला ने बताया कि एक हफ्ते के अंदर कुल 22 मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है. इनमें से बुधवार को 5 लोगों की हीटस्ट्रोक के कारण मौत हो गई है. 13 मरीज लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर हैं. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में 27 मई से गर्मी से संबंधित समस्याओं वाले 45 मरीजों को भर्ती कराया गया है. इस गर्मी में सफदरजंग अस्पताल में हीटस्ट्रोक के मरीजों की संख्या बढ़ रही है.

वहीं, नोएडा में पिछले 24 घंटे में 14 लोगों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. LNJP अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर सुरेश कुमार ने बताया कि फिलहाल हीटस्ट्रोक के 9 मरीज भर्ती हैं. इनमें से 4 मरीजों की हालत गंभीर है. उनके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया है.

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स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी की एडवाइजरी
इस बीच स्वास्थ्य मंत्रालय ने केंद्र सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों को हीटस्ट्रोक के मरीजों का प्राथमिकता के आधार पर इलाज करने की सलाह जारी की है. स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने केंद्र द्वारा संचालित सरकारी अस्पतालों की स्थिति और तैयारियों की समीक्षा की है और अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि स्पेशल हीटवेव यूनिट शुरू किए  जाएं, ताकि मरीजों को सर्वोत्तम संभव देखभाल दी जा सके.

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इस गर्मी में राष्ट्रीय राजधानी के केवल 3 प्रमुख अस्पतालों में हुई 20 मौतों के साथ, दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने लोगों के लिए हीटस्ट्रोक और अन्य गर्मी से संबंधित मुद्दों से खुद को बचाने के लिए दिशानिर्देश भी जारी किए हैं.

कैसे गर्मी की चपेट में आए शहर
Heat Wave के बढ़ते संकट की वजह से देश के बड़े महानगर "Heat Islands" बनते जा रहे हैं. पर्यावरण पर शोध करने वाली संस्था सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट के मुताबिक पिछले कुछ दिनों में Heat Island Effect की वजह से शहरी इलाकों में रात में भी न्यूनतम तापमान में अप्रत्याशित बढ़ोतरी दर्ज़ हुई है. इसकी बड़ी वजह शहरों का बढ़ता concretization और High Rise बिल्डिंग्स की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि है जो दिन में तेज़ गर्मी को absorb कर लेते हैं और रात को इसे रिलीज़ कर रहे हैं.

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दरअसल, दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर पश्चिम भारत के कई राज्यों में दिन में Heat Wave का कहर झेल रहे करोड़ों लोगों को पिछले कुछ हफ़्तों से बेहद गर्म रातों से भी जूझना पड़ रहा है.

भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक बुधवार को दिल्ली समेत पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तरी राजस्थान के कई हिस्सों में रात को न्यूनतम तापमान 30-34 डिग्री सेल्सियस के बीच रहा जो सामान्य से 4-7 डिग्री सेल्सियस ऊपर था.

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गर्मी बढ़ने के कारण
पर्यावरण पर शोध करने वाली संस्था -- सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट द्वारा देश के बड़े महानगरों में Heat Wave संकट पर जारी एक शोध पत्र में ये खुलासा हुआ है शहरों के बढ़ते कंक्रीटीकरण और हाई राइज बिल्डिंग्स की बढ़ती संख्या की वजह से Heat Island Effect का असर बढ़ता जा रहा है, और लोग अब रात में भी गर्मी ज़्यादा महसूस करने लगे हैं.  

कंक्रीटीकरण के नुकसान
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट के प्रोग्राम डायरेक्टर रजनीश सरीन ने एनडीटीवी से कहा, "पिछले 10 साल में concretization बढ़ा है. आसपास के इलाकों में जहाँ एग्रीकल्चर लैंड हुआ करता था वहां भी बहुत कंक्रीटीकरण हुआ है...कंक्रीट बिल्डिंग दिन में गर्मी ज्यादा अब्जॉर्ब करती हैं, रात होते ही गर्मी को रिलीज करती है. यही वजह है की बड़े शहरों में रातें भी काफी गर्म हो गई हैं.  

इन शहरों में कंक्रीटीकरण ज्यादा बढ़ रहे हैं
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट ने 6 बड़े शहरों, दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, हैदराबाद और बेंगलुरु में Heat Wave संकट की स्टडी के दौरान पाया कि लगभग हर शहर में पिछले कुछ सालों मे कंक्रीटीकरण में काफी ज़्यादा बढ़ोतरी दर्ज़ हुई है.