"असम का वीरप्पन मारा गया", पुलिस ने अंदरूनी झगड़े में वांटेड अपराधी के मारे जाने का दिया संकेत

Assam पुलिस का कहना है कि उसके संगठन के कई बड़े साथी पहले ही मुठभेड़ (police encounter) में मारे जा चुके हैं. वो गैंग का एकमात्र बड़ा अपराधी थी, जो अब तक पुलिस के चंगुल से दूर था. वीरप्पन की तरह वो भी कीमती लकड़ियों की तस्करी करता था.

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Assam पुलिस का कहना है कि खालहाउ के शरीर पर गोलियों के कई निशान हैं
गुवाहाटी:

असम का वीरप्पन (Assam's Veerappan Mangin Khalhau) कहा जाने वाला वांटेड अपराध मांगिन खालहाउ मारा गया है. असम पुलिस ने संकेत दिया है कि संभवतः वो आपसी झगड़े में मारा गया है. उसके संगठन के कई बड़े साथी पहले ही मुठभेड़ (police encounter) में मारे जा चुके हैं. वो गैंग का एकमात्र बड़ा अपराधी थी, जो अब तक पुलिस के चंगुल से दूर था. वीरप्पन की तरह वो भी कीमती लकड़ियों की तस्करी करता था. पुलिस का कहना है कि खालहाउ के शरीर पर गोलियों के कई निशान हैं.

यूनाइटेड पीपुल्स रिवोल्यूशनरी फ्रंट (UPRF) का स्वयंभू कमांडर (Assam's Most Wanted Criminal) शनिवार और रविवार की दरमियानी रात को मारा गया. माना जा रहा है कि असम के कारबी आंगलोंग जिली की पहाड़ियों में गुट के साथियों के साथ लड़ाई में उसे गोली मार दी गई. इस अंदरूनी झगड़े के बाद यह गुट नेताविहीन हो गया है. पुलिस कता कहना है कि मानगिन खालहाउ के कई साथी या तो पुलिस मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं या वो आत्मसमर्पण कर चुके हैं. 

खबरों के मुताबिक, खेंगपीबुंग के दुर्गम पहाड़ी इलाकों में गुट के सदस्यों के बीच झड़प खूनखराबे में बदल गई औऱ गोलियां चलीं. यह इलाका पड़ोसी नागालैंड राज्य से करीब 15 किलोमीटर दूर है. मानगिन की लाश रविवार सुबह पुलिस को मिली, जिसे संभवतः उसके साथियों ने ही मार डाला. उसके शरीर में गोलियों के कई निशान मिले हैं. 

लाश को बोकाजन के अस्पताल पोस्टमार्टम के लिए ले जाया गया है. मानगिन के संगठन UPRF में ज्यादातर कैडर कुकी समुदाय के हैं, जो असम के दक्षिणी पर्वतीय इलाके में रहते हैं और सिंघासन हिल्स के आसपास सक्रिय रहे हैं. चीन की असॉल्ट रायफल म्यांमार के रास्ते हासिल करने के बाद उनकी गतिविधियां बढ़ गई थीं.

हालांकि संगठन के मुखिया मार्टिन गुइते के एक पुलिस एनकाउंटर में पिछली अक्तूबर में मारे जाने के बाद ज्यादातर अपराधियों ने सरेंडर कर दिया था. असम के तत्कालीन मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल को लिखे पत्र में संगठन ने स्थायी शांति की अपील की थी. उसने 40-50 सदस्यों की पहचान भी सरकार से साझा की थी.

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