मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने घोषणा की है कि राज्य की मस्जिदों और मदरसों में धार्मिक शिक्षकों को एक सरकारी पोर्टल पर खुद को पंजीकृत करना होगा, यदि वे राज्य के बाहर से आते हैं. आतंकवादी गतिविधियों से जुड़े दो मौलवियों की गिरफ्तारी के बाद सोमवार को इस नए नियमों की घोषणा की गई है. सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि "गिरफ्तार लोगों में से एक, जो एक मस्जिद में इमाम के रूप में काम करता था, वह सरगना था. उसने कई गांवों में जिहादी नेटवर्क का विस्तार किया था. छह बांग्लादेशी नागरिक जिहादी नेटवर्क के विस्तार के लिए असम आए. छह बांग्लादेशी नागरिकों में से असम पुलिस ने एक को गिरफ्तार कर लिया है. जबकि पांच अभी भी फरार हैं. असम पुलिस ने अपना अभियान जारी रखा है.
ये भी पढ़ें- स्कूल ना जाना पड़े इसलिए दसवीं के छात्र ने ले ली अपने दोस्त की जान
सीएम ने आगे कहा कि हमने अब कुछ मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) बनाई है. यदि कोई इमाम गांव में आता है, तो उसको सत्यापन के लिए स्थानीय पुलिस को सूचित करना होगा. पुलिस द्वारा वेरीफाई किए जाने के बाद लोग उन्हें इमाम बना सकते हैं. असम का मुस्लिम समाज इस पर हमें अपना समर्थन दे रहा है. " सीएम ने ये भी साफ किया कि ये नियम असम के निवासियों पर लागू नहीं होगा.
मुख्यमंत्री ने कहा, "असम के निवासी को अपना विवरण दर्ज करने की कोई आवश्यकता नहीं है. लेकिन राज्य के बाहर से आने वालों को अपना विवरण पोर्टल में दर्ज करना होगा."
सरमा ने हाल ही में कहा था कि असम "जिहादी गतिविधियों" का केंद्र बन गया है. पिछले पांच महीनों में बांग्लादेशी आतंकवादी समूह अंसारुल इस्लाम से जुड़े पांच मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया गया है.
VIDEO: दिल्ली : आठ साल की बच्ची की रेप के बाद हत्या, आरोपी गिरफ्तार