असम NRC अधिकारियों का आरोप, डेटा डिलीट किया गया, अहम ईमेल संदेश छिपाए गए

NRC अधिकारियों को यह भी संदेह है कि नागरिक सूची को अपडेट करने की प्रक्रिया से जुड़ी रही एक वरिष्ठ अधिकारी ने आधिकारिक ईमेल एकाउंटों के पासवर्ड छिपा लिए थे.

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प्रतीकात्मक तस्वीर.
नई दिल्ली:

असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) से जुड़े अधिकारी डेटा और अहम ईमेल संदेशों को 'जानबूझकर डिलीट किए जाने' की स्वतंत्र जांच शुरू किए जाने की मांग केंद्र सरकार से कर सकते हैं. यह जानकारी मामले की सीधी जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने NDTV को दी. सूत्रों ने पहचान ज़ाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया कि जिन ईमेल संदेशों को डिलीट कर दिए जाने का संदेह है, उन्हें पिछले साल नवंबर और दिसंबर के बीच उस समय डिलीट किया गया हो सकता है, जब राज्य NRC समन्वयक प्रतीक हजेला का तबादला हुआ था, और उनके स्थान पर हितेश देव वर्मा को नियुक्त किया गया था.

सूत्रों का कहना है कि इसके लिए असम NRC निदेशालय को संभवतः सुप्रीम कोर्ट में अर्ज़ी देनी पड़ सकती है, क्योंकि गैरकानूनी प्रवासियों को अलग करने के लिए नागरिकता सूची तैयार करने की प्रक्रिया की निगरानी सुप्रीम कोर्ट ही कर रहा है. सूत्रों ने बताया कि जांच कराए जाने का अनुरोध रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया के ज़रिये केंद्र सरकार को भेजा जाने की संभावना है.

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NRC अधिकारियों को यह भी संदेह है कि नागरिक सूची को अपडेट करने की प्रक्रिया से जुड़ी रही एक वरिष्ठ अधिकारी ने आधिकारिक ईमेल एकाउंटों के पासवर्ड छिपा लिए थे. इस अधिकारी ने हजेला के तबादले के तुरंत बाद इस्तीफा दे दिया था. बुधवार को NRC अधिकारियों ने NRC की पूर्व प्रोजेक्ट मैनेजर अजुपी बरुआ के खिलाफ पासवर्ड नहीं बताने का आरोप लगाते हुए पुलिस शिकायत भी दर्ज कराई है. पुलिस में यह शिकायत मीडिया में प्रकाशित उन ख़बरों के बाद की गई, जिनमें बताया गया था कि असम NRC की अंतिम सूची आधिकारिक वेबसाइट से नदारद हो गई है.

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गैर-लाभकारी संगठन असम पब्लिक वर्क्स ने भी अलग से असम पुलिस के क्रिमिनल इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट में हजेला के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें हजेला पर 'बेशकीमती NRC आंकड़ों' के साथ छेड़छाड़ कर साइबरक्राइम करने का आरोप लगाया गया है. असम NRC के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि वे डेटा सिक्योरिटी की जांच नहीं कर सकते हैं, क्योंकि अहम ईमेल के पासवर्ड उन्हें नहीं बताए गए हैं.

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NRC के कार्यकारी निदेशक चंदना महंत ने गुवाहाटी में पुलिस को दी गई शिकायत में कहा, "मैं बताना चाहता हूं कि NRC के प्रोजेक्ट मैनेजर की हैसियत से कार्यरत रही गुवाहाटी निवासी अजुपी बरुआ ने इस्तीफा दिया, और प्रभार भी 11 नवंबर, 2019 को अगले अधिकारी को सौंप दिया, लेकिन आधिकारिक ईमेल एकाउंटों के पासवर्ड नहीं बताए..."

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चंदना महंत ने शिकायत में कहा, "जैसा आप जानते हैं, NRC का अद्यतन प्रोजेक्ट बेहद संवेदनशील प्रक्रिया है, जिसे सुप्रीम कोर्ट की सीधी निगरानी के तहत किया जा रहा है... उपर्लिखित ईमेल में NRC से जुड़ी बेहद संवेदनशील जानकारी / खतोकिताबत मौजूद है... पासवर्ड को अनधिकृत रूप से अपने पास रखे रहना आधिकारिक गोपनीयता कानून, 1923 की धारा 5 का उल्लंघन है, क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा तथा अखंडता से जुड़ा मामला है..."

सूत्रों ने बताया कि टेक कंपनी विप्रो से सिस्टम इन्टीग्रेशन और IT सेवाओं के लिए किए गए कॉन्ट्रैक्ट का नवीनीकरण पिछले साल अक्टूबर में समाप्त होने के बाद असम NRC अधिकारियों ने नहीं किया था.

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केंद्रीय गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि NRC डेटा पूरी तरह सुरक्षित है, लेकिन असम के मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने पत्रकारों से कहा कि NRC अधिकारियों तथा विप्रो के बीच 'भुगतान संबंधी कारणों' से डेटा ऑनलाइन उपलब्ध नहीं है. NRC कार्यालय में मौजूद अन्य सूतों के अनुसार, विप्रो ने 70 करोड़ रुपये का बिल पेश किया है.

असम सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम नहीं छापे जाने की शर्त पर NDTV को बताया कि असम सरकार इस मामले में कानूनी सलाह हासिल कर रही है कि क्या हजेला के खिलाफ केस दर्ज किया जा सकता है. वैसे, असम की BJP सरकार दावा करती रही है कि अंतिम NRC सूची में 'दोष' है, और इसकी 'पुनर्पुष्टि' की जानी चाहिए.

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