असम की बाढ़ हर साल लोगों के लिए मुसीबत का सबब बनकर आती है. इस बार भी असम में बाढ़ ने लोगों की जिंदगी मुश्किल बना दी है. एक आधिकारिक बयान के अनुसार, असम में बाढ़ की वजह से सात जिलों में लगभग 57,000 लोगों की जिन्दगी प्रभावित हुई है. बाढ़ से 15 राजस्व मंडलों के लगभग 222 गांव प्रभावित हैं और लगभग 10321.44 हेक्टेयर खेती की भूमि बाढ़ के पानी में जलमग्न हो गई है. इस प्राकृतिक आपदा के दौरान एक बच्चे समेत तीन लोगों की मौत हो गई. साथ ही 1,434 जानवर भी प्रभावित हुए हैं और अब तक कुल 202 घर क्षतिग्रस्त हो चुके हैं.
सेना, अर्धसैनिक बलों, एसडीआरएफ, अग्निशमन और आपातकालीन सेवाओं ने राज्य के बाढ़ प्रभावित इलाकों में बचाव और राहत अभियान चलाया. होजई, लखीमपुर और नगांव जिलों में कई सड़कें, पुल और सिंचाई नहरें क्षतिग्रस्त हो गईं. लगातार बारिश के कारण शनिवार को दीमा हसाओ जिले के 12 गांवों में भूस्खलन हो गया. बड़े पैमाने पर असम में भूस्खलन और जलभराव के कारण इस पहाड़ी इलाके में रेलवे ट्रैक, पुलों और सड़क संचार को भारी नुकसान हुआ है.
एनएफ रेलवे ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि लुमडिंग डिवीजन के लुमडिंग-बदरपुर पहाड़ी खंड में कई स्थानों पर लगातार बारिश, भूस्खलन और जलभराव को देखते हुए, पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे ने इस गंभीर स्थिति के कारण खंड पर ट्रेन सेवाओं में बदलाव किया. हालांकि, दो ट्रेनें फंस गईं, जिनमें से प्रत्येक में लगभग 1400 यात्री थे, रेलवे ने वायु सेना, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), असम राइफल्स और स्थानीय लोगों की मदद से बड़े पैमाने पर रेस्क्यू अभियान शुरू किया.
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रेलवे ने एक बयान में कहा कि दितोकचेरा स्टेशन पर फंसे लगभग 1,245 रेल यात्रियों को बदरपुर और सिलचर लाया गया है और 119 यात्रियों को भारतीय वायु सेना ने सिलचर पहुंचाया है. रेलवे फंसे हुए यात्रियों को बचाने के प्रयास में स्वच्छता का ध्यान रख रहा है और प्रत्येक यात्री के लिए चिकित्सा सुविधा भीसुनिश्चित कर रहा है. इसके साथ ही उन्हें खाने-पीने का पानी भी मुहैया कराया गया है.
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