300 फीट गहरी खदान, 30 मीटर पानी और 8 मजदूर... ग्राउंड जीरो पर पहुंचा NDTV, देखिए कैसे चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन

असम के दीमा हसाओ जिले के उमरंगसो में 300 फीट गहरी कोयला खदान में 8 मजदूर 72 घंटे से फंसे हैं. इससे पहले एक मजदूर की लाश मिली थी. आइए जानते हैं उमरंगसो में 300 फीट गहरी कोयला खदान तक कैसे पहुंचा NDTV और कैसे चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन:

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6 जनवरी को 300 फीट गहरी खदान में 9 मजदूर कोयला निकाल रहे थे. इसी दौरान इसमें पानी भरने लगा और मजदूर फंस गए.
दिसपुर:

नॉर्थ-ईस्ट राज्य असम के दीमा हसाओ जिले के उमरंगसो में 300 फीट गहरी कोयला खदान में 8 मजदूर 3 दिन से फंसे हुए हैं. 6 जनवरी को कुल 9 मजदूर खुदाई के दौरान अचानक पानी भरने से वहीं फंस गए थे. भारतीय सेना (India Army), भारतीय नौसेना (Indian NAVY) और वायुसेना (Indin Air Force) की टीमें रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी हैं. बुधवार को रेस्क्यू टीम ने एक मजदूर की लाश भी बरामद की है. NDTV इस खदान तक पहुंचने वाला पहला TV चैनल है. हमारे रिपोर्टर रत्नदीप चौधरी ग्राउंड जीरो से लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन का अपडेट दे रहे हैं. 

आइए जानते हैं उमरंगसो में 300 फीट गहरी कोयला खदान तक कैसे पहुंचा NDTV और कैसे चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन:-

ग्राउंड ज़ीरो पर कैसे पहुंचा NDTV?
हासाओ ज़िले के कोयला खदान में NDTV का पहुंचना मुश्किलों भरा रहा. हमारे रिपोर्टर रत्नदीप चौधरी पहले 5 घंटे सफ़र कर उमरांगसो तक पहुंचे. 3 घंटे तक पहाड़ी रास्तों पर चलना था. कहीं कच्चा रास्ता मिलता था, कहीं वो गुम हो जाता था. हिचकोले खाती उनकी गाड़ी देर रात खान वाली जगह पहुंच सकी. बुधवार को उन्हें दूसरी गाड़ी का सहारा लेना पड़ा.

एयरफोर्स ने रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए जरूरी मशीनरी एयरलिफ्ट की हैं.

'अंधेरे में ऑपरेशन' 
दरअसल, असम के कोयला खदान में फंसे मजदूरों के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन भारतीय सशस्त्र बलों के लिए एक 'अंधेरे में ऑपरेशन' जैसा है. रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए नेवी के बेस्ट डाइवर्स यानी गहरे समुद्र के गोताखोरों को लगाया गया है. आर्मी के स्पेशल फोर्स के एक्सपर्ट भी मौजूद हैं. जबकि एयरफोर्स की टीम देशभर से बेस्ट मशीनरी एयरलिफ्ट करके रेस्क्यू टीम को दे रही है.

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खदान में 30 मीटर तक भरा पानी
हालांकि, रेस्क्यू ऑपरेशन एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. 300 फीट गहरे खदान में अंधेरा ही अंधेरा है. 30 मीटर तक पानी भरा हुआ है. पिछले 3 दिनों से पानी निकालने के लिए तमाम कोशिशें हुईं. फिर भी पानी का लेवल कम नहीं हुआ. गुरुवार को भी पानी निकालने के लिए 2 मोटर लगाए गए हैं.

मजदूर 6 जनवरी को कोयला निकालने के दौरान फंस गए थे.

गोताखोरों के लिए बड़ा चैलेंज
खदान के अंदर मजदूरों को तलाशना गोताखोरों के भी एक बड़ा चैलेंज है. क्योंकि अंदर जीरो विजिबिलिटी है. 
खदान का पानी पूरी तरह से एसिटिक (अम्लीय) और मटमैला है. पानी इतना गंदा है कि इसमें नेवी के रोबोटिक इक्यूपमेंट जैसे TOV को चलाने की कोई गुंजाइश नहीं है. 

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रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए नेवी के बेस्ट डाइवर्स को लगाया गया है.

रेस्क्यू टीम के पास खदान का लेआउट नहीं
रेस्क्यू ऑपरेशन में एक दिक्कत ये आ रही है कि टीम के पास खदान का कोई लेआउट नहीं है. यानी रेस्क्यू टीम को नहीं मालूम कि कहां खतरनाक पत्थर हैं या किस हिस्से का पानी सबसे गहरा और जहरीला है. रैट होल्स के बारे में भी कोई जानकारी नहीं है.

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अंदर से नहीं आ रही कोई आवाज
इसके साथ ही खदान के अंदर फंसे लोगों से कॉन्टैक्ट करने का कोई तरीका नहीं है. अंदर से कोई आवाज भी नहीं आ रही, ताकि पता चल सके कि वे जिंदा भी हैं या नहीं. खदान से पानी निकालने में कितना समय लगेगा, इसकी भी कोई निश्चितता नहीं दी गई है.

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खदान में ROV भी उतारा गया था. लेकिन कोई आवाज रिकॉर्ड नहीं हुई.

बुधवार को नेवी के ROV (रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल) को खदान के अंदर भेजा गया था. ROV लोकेशन की फोटो क्लिक कर सकती है और ये सोनार रेज़ से लैस है. हालांकि, अंधेरा इतना है कि ROV में कुछ दिखाई ही नहीं दिया.

मंगाए गए कोल इंडिया और ONGC के पंप
फिलहाल खदान में फंसे मजदूरों को बचाने के लिए आर्मी और नेवी के ड्रोन, अंडर वॉटर इक्यूपमेंट लगे हैं. कोल इंडिया और ONGC के पावरफुल पंपों को मंगाया जा रहा है. 

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रेस्क्यू ऑपरेशन में NDRF और SDRF की टीमें भी लगाई गई हैं.

NDRF, SDRF और असम राइफल्स कर रही मदद
NDRF और SDRF की टीम भी मदद कर रही है. असम राइफल्स के गोताखोर और मेडिकल टीम के साथ इंजीनियर्स टास्क फोर्स भी मौजूद हैं.

क्या कहते हैं NDRF इंस्पेक्टर?
NDRF इंस्पेक्टर रोशन कुमार चंद ने बताया, "वर्टिकल एरिया सर्च कर लिया गया है. लगातार पंपिंग की गई है. फिर भी पानी का लेबल कम नहीं हुआ है. इसलिए रेस्क्यू ऑपरेशन में देरी हो रही है. हमने महाराष्ट्र से नई हैवी पंपिग मशीन मंगवाई हैं. जल्द इसे एयरलिफ्ट किया जाएगा."

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खदान का पानी निकालने के लिए महाराष्ट्र से हैवी मशीनें मंगवाई गई हैं.

कब क्या हुआ?
- दीमा हसाओ जिले के उमरंगसो में ये रैट माइनर्स की खदान है. 6 जनवरी को 300 फीट गहरी खदान में 9 मजदूर कोयला निकाल रहे थे. इसी दौरान इसमें पानी भरने लगा और मजदूर फंस गए.
-7 जनवरी को भारतीय सेना रेस्क्यू के लिए पहुंची. नेवी की टीम भी आ गई. इसके गोताखोर (Divers) खदान के अंदर गए.
-अगले दिन 8 जनवरी को एक मजदूर का शव निकाला गया. रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान नेवी का ROV यानी रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल भी फेल हो गया.
-9 जनवरी को फिर से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हुआ है. अभी मोटर से पानी निकाला जा रहा है. फिर मैन्युअल सर्च ऑपरेशन होगा. 
-इस बीच बुधवार को पुलिस ने खदान मालिक पुनीश नुनिसा को गिरफ्तार कर लिया.

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