महाराष्ट्र का सियासी संकट इस वक्त खूब सुर्खियां बटोर रहा है. मगर वहीं गुवाहाटी की भी खूब चर्चा हो रही है, क्योंकि इसी शहर के एक होटल में महाराषट्र् के वो बाग़ी विधायक ठहरे हैं, जिनकी वजह से महाविकास अघाड़ी की सरकार ख़तरे में हैं. मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने NDTV को बताया कि देशभर के कई राज्यों में बीजेपी के मुख्यमंत्रियों में से बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने असम के सीएम हिमंत बिस्व सरमा को इस ऑपरेशन को- दूर से मॉनिटर करने के लिए- चुना. जानकारी के मुताबिक सीएम सरमा के करीबी समेत असम के कई बीजेपी नेता नए 'ऑपरेशन लोटस' की देखरेख कर रहे हैं. हालांकि इसी के साथ कहा ये भी जा रहा है कि कोई भी बीजेपी का नेता या मंत्री बाग़ियों की किसी भी आंतरिक बैठक का हिस्सा नहीं है.
फिलहाल सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक हिमंत बिस्व सरमा के करीबी युवा सांसद इस वक्त इस मामले में अहम भूमिका में नज़र आ रहे हैं. असम बीजेपी के कम से कम तीन मंत्री गुवाहाटी होटल में राशन व्यवस्था जैसी चीजों की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं.
सरमा, राष्ट्रपति चुनाव के नामांकन के लिए दिल्ली आए थे. उन्हें महाराष्ट्र विद्रोह पर शीर्ष नेतृत्व के साथ चर्चा के लिए दिल्ली में रहने के लिए कहा गया. जिसके बाद वो गुवाहाटी के लिए उड़ान भरने वाले थे. बीजेपी सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि असम के मुख्यमंत्री ने कैबिनेट में अपने करीबी सहयोगियों को गुवाहाटी होटल में मामलों की निगरानी करने का काम सौंपा है. उन्होंने कहा कि असम के ज्यादातर नेता बीजेपी में शामिल होने से पहले कांग्रेस के साथ थे.
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सूत्रों ने कहा कि बीजेपी युवा मोर्चा के नेताओं को होटल में बारी-बारी से लॉजिस्टिक्स में मदद करते हुए देखा गया है. उन्होंने बताया कि असम पुलिस का एक अधिकारी, जो गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवाणी की गिरफ्तारी में शामिल था. उसे सादे कपड़ों में होटल के अंदर जाते देखा गया. सरमा ने हाल ही में कहा था, "असम में कई अच्छे होटल हैं, वहां कोई भी आकर रुक सकता है..इसमें कोई समस्या नहीं है. मुझे नहीं पता कि महाराष्ट्र के विधायक असम में रह रहे हैं या नहीं. दूसरे राज्यों के विधायक भी आ सकते हैं और असम में रह सकते हैं."
सूत्रों ने कहा कि एकनाथ शिंदे के खेमे को गुजरात के सूरत से गुवाहाटी भेजने का प्रबंधन भी असम सीएम सरमा के करीबी एक विधायक द्वारा किया गया था.
इस बीच शिव सेना ने 16 बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए शिवसेना ने डिप्टी स्पीकर के पास आवेदन दायर किया है. दरअसल शिव सेना इस कोशिश में है कि उसके बाग़ी विधायक वापस लौट आए.
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