जंतर मंतर पर विवादित भाषण के मामले में वकील अश्वनी उपाध्याय को पटियाला हाउस कोर्ट ने जमानत दे दी है. उन्हें मुस्लिम विरोधी नारे लगाने के मामले में गिरफ्तार किया गया था. पटियाला हाउस कोर्ट ने अश्वनी उपाध्याय को 50 हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी है. याद दिला दें कि जंतर-मंतर पर प्रदर्शन के दौरान कथित रूप से मुस्लिम विरोधी नारे लगाने के मामले में अश्विनी उपाध्याय को गिरफ्तार किया गया था. अश्विनी उपाध्याय के साथ-साथ 6 लोगों को कोर्ट ने मंगलवार को दो दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा था. गिरफ्तारी के बाद आरोपियों की तरफ से कोर्ट में जमानत की अर्जी दाखिल की गई थी. न्यायाधीश ने निर्देश दिया था कि आरोपी अश्विनी उपाध्याय, प्रीत सिंह, दीपक सिंह, दीपक कुमार, विनोद शर्मा और विनीत बाजपेयी की जमानत अर्जी पर बुधवार को ही संबंधित अदालत में सुनवाई की जाए.
गिरफ्तारी के बाद वीडियो पर व्यापक आक्रोश था, जिसमें एक समूह को जंतर मंतर पर मुसलमानों को धमकी देने वाले भड़काऊ नारे लगाते हुए दिखाया गया था. न्यायाधीश ने कहा, "निस्संदेह बंद दरवाजों के पीछे साजिश रची गई है और जांच अभी शुरुआती चरण में है. हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि किसी नागरिक की स्वतंत्रता को केवल दावे और आशंका के आधार पर कम किया जाए."
उपाध्याय के वकील ने तर्क दिया था कि वह नारेबाजी के दौरान मौजूद नहीं थे क्योंकि वह तब तक विरोध प्रदर्शन छोड़ चुके थे. अदालत से अपनी जमानत पर फैसला करने से पहले वीडियो देखने का आग्रह करते हुए उन्होंने कहा: "मेरे घटनास्थल से दूर जाने के बाद जो कुछ हुआ, उसकी जिम्मेदारी मुझ पर नहीं डाली जा सकती."
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उपाध्याय - जो दिल्ली भाजपा कार्यकारिणी के सदस्य हैं - ने कहा था कि पुराने औपनिवेशिक कानूनों के खिलाफ विरोध मार्च सेव इंडिया फाउंडेशन द्वारा आयोजित किया गया था. "मेरा सेव इंडिया फाउंडेशन ट्रस्ट से कोई संबंध नहीं है. उन्होंने गिरफ्तारी से पहले कहा था कि मैं आरवीएस मणि, फिरोज बख्त अहमद, गजेंद्र चौहान की तरह एक अतिथि था. हम लगभग 11 बजे पहुंचे और 12 बजे निकल गए. मैं इन बदमाशों से कभी नहीं मिला." पुलिस ने दावा किया है कि उन्होंने कोविड की सावधानियों को लेकर विरोध प्रदर्शन की अनुमति देने से इनकार कर दिया था, इसके बावजूद भी भीड़ एकत्र हुई थी.