बीजेपी ने मिजोरम की राजधानी आइजोल में एयरफोर्स की बमबारी के विवाद में दिवंगत कांग्रेस नेता राजेश पायलट नाम उछाला. बीजेपी आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने कांग्रेस नेता राजेश पायलट और सुरेश कलमाड़ी का नाम लेकर कहा था कि उन्होंने मिजोरम में बम गिराए थे. इसके बाद राजेश पायलट के बेटे सचिन पायलट ने इन आरोपों का जवाब दिया. अब राजस्थान के मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अशोक गहलोत अपनी पार्टी के सहयोगी सचिन पायलट के बचाव में खड़े हुए हैं. गहलोत ने राजेश पायलट को भारतीय वायुसेना का वीर पायलट बताया है. उन्होंने कहा कि बीजेपी उनके बलिदान का अपमान कर रही है.
दिवंगत कांग्रेस नेता राजेश पायलट को लेकर अशोक गहलोत के इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं. दरअसल, राजस्थान में मुख्यमंत्री पद और नेतृत्व को लेकर अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच तकरार की बात सामने आती रही है. बीते कुछ महीनों में सचिन पायलट ने अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ मोर्चा भी खोल रखा था. गहलोत एक इंटरव्यू में सचिन पायलट को गद्दार तक कह चुके हैं. सचिन पायलट की बगावत के बाद गहलोत ने पहली बार उनका समर्थन किया है. इससे माना जा रहा है कि कांग्रेस हाईकमान के दखल से शायद दोनों नेताओं के बीच दूरी कम हो गई हो.
अशोक गहलोत ने ट्वीट किया, "कांग्रेस नेता राजेश पायलट भारतीय वायुसेना के वीर पायलट थे. उनका अपमान करके बीजेपी भारतीय वायुसेना के बलिदान का अपमान कर रही है. इसकी पूरे देश को निंदा करनी चाहिए."
बीजेपी ने क्या ट्वीट किया?
बीजेपी के आईटी सेल हेड अमित मालवीय ने एक ट्वीट किया था. उन्होंने दावा किया था कि मार्च 1966 में मिजोरम पर बमबारी करने वालों में राजेश पायलट भी शामिल थे. राजेश पायलट के बेटे कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने अमित मालवीय को करारा जवाब दिया. उन्होंने बीजेपी नेता के ट्वीट का जवाब देते हुए लिखा कि उनके पिता ने 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध में बमबारी की थी, मिजोरम में नहीं.
सचिन पायलट ने और क्या कहा?
सचिन ने बताया कि अक्टूबर 1966 में उनके पिता को इंडियन एयरफोर्स में कमीशन मिला था, जबकि मिजोरम की घटना मार्च की थी. उन्होंने लिखा कि राजनेता के तौर पर राजेश पायलट ने मिजोरम में युद्ध विराम और शांति समझौते में अपनी भूमिका निभाई थी.
गहलोत के समर्थन के क्या है मायने?
राजस्थान में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं. इस बीच अशोक गहलोत के सचिन पायलट और उनके परिवार की विरासत को समर्थन देने को प्रदेश में कांग्रेस के एकजुट होने के रूप में देखा जा रहा है.
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