राजस्थान में इसी साल विधानसभा चुनाव होना है. चुनाव होने में अब दस महीने से भी कम समय बचा है. इसी बीच राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने देश भर में नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक सोशल सिक्योरिटी एक्ट का प्रस्ताव दिया है.
जयपुर में अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में बोलते हुए गहलोत ने सोशल सिक्योरिटी एक्ट बनाने का प्रस्ताव दिया. उन्होंने दिसंबर में भी अखिल भारतीय सामाजिक सुरक्षा कवर की अपनी लंबे समय से चली आ रही मांग को दोहराया था.
मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाले दो यूपीए शासनकाल में शुरू किए गए कल्याणकारी योजना शिक्षा का अधिकार, सूचना का अधिकार, मनरेगा और खाद्य सुरक्षा अधिनियम का जिक्र करते हुए उन्होंने पिछले साल फरवरी में केंद्र से एक कानून लाने के लिए कहा था जो देश के लोगों को सामाजिक सुरक्षा की गारंटी दे सके.
कार्यक्रम के दौरान प्रस्तावित अधिनियम के फायदों को गिनवाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान एक करोड़ लोगों को पेंशन दे रहा है. ये वो लोग हैं जो या तो वृद्ध हैं, विधवा हैं, अकेली महिला हैं, या जो जरूरतमंद हैं. उन्होंने कहा कि इसमें केंद्र का योगदान सिर्फ करीब 10 लाख लोगों के लिए है.
यह बताते हुए कि सामाजिक सुरक्षा दुनिया भर में एक पॉलिसी नॉर्म है, उन्होंने केंद्र से सामाजिक सुरक्षा अधिनियम लाकर जरूरतमंद परिवारों की जिम्मेदारी लेने का आग्रह किया.
अशोक गहलोत ने कहा, " हम हजार रुपये देते हैं. दुनिया भर में, विकसित देशों में भी, हमने देखा है कि सामाजिक सुरक्षा साप्ताहिक आधार पर दी जाती है. कोरोना काल के दौरान, हमने 35,000 लोगों की मदद की, जो बेसहारा थे. मैंने खुद कहा था 'कोई भूखा नहीं सोना चाहिए,' और सुप्रीम कोर्ट ने भी ये ही दोहराया."
अशोक गहलोत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शिक्षा के अधिकार और खाद्य सुरक्षा अधिनियम की तरह सामाजिक सुरक्षा के अधिकार पर एक कानून लाना चाहिए.
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