AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी(Asaduddin Owaisi) अब यूपी की बड़ी मुस्लिम आबादी वाली सीटों पर ध्यान केंद्रित करते हुए अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर जनसभाएं कर रहे हैं. ये सभी सीटें सपा के दबदबे वाली हैं. इसी बीच सवाल उठ रहा है कि क्या ओवैसी के यूपी में 100 सीटों पर चुनाव लड़ने से मुस्लिम वाटों को बंटवारा होगा? क्या बीजेपी को इससे फायदा होगा? इसे लेकर ओवैसी ने जवाब दे दिया है. ओवैसी ने ट्वीट किया है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में हमने एक भी उम्मीदवार नहीं खड़ा किया तो फिर बीजेपी कैसे जीत गई?
बता दें कि यूपी दौरे के दूसरे दिन ओवैसी ने इसौली में सभा की थी, जो कि बड़ी मुस्लिम आबादी वाली विधानसभा सीट है. 2017 में बीजेपी की लहर में भी इस सीट पर सपा ने जीत हासिल की थी. सपा को 51 हजार से ज्यादा वोट मिले थे जबकि AIMIM को 3865 वोट मिले थे. यहां ओवैसी ने कहा कि ये आपको सिर्फ डराएंगे, खौफ दिलाएंगे कि तुम अगर मजलिस को वोट दिए, तुम अगर ओवैसी की बातों में आ गए तो फलां जीत जाएगा. अरे पूरे भारत में बीजेपी का दो मर्तबा प्रधानमंत्री बन गया तो क्या ओवैसी की वजह से बना? या तुम्हारी वजह से बना.
गौरतलब है कि यूपी में मुस्लिमों के वोट 19% से ज्यादा है जो विधानसभा की 143 सीटों पर बेहद मायने रखते हैं. 71 विधानसभा सीटों पर 20 से 30 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं. रामपुर में 57.57 फीसदी, मुरादाबाद में 47.12 फीसदी, संभल में 45 फीसदी, बिजनौर में 43.03 फीसदी, सहारनपुर में 41.95 फीसदी, शामली में 41.73 फीसदी, मुजफ्फरनगर में 41.11फीसदी और अमरोहा में 38 फीसदी मुसलमान वोटर हैं . समाजवादी पार्टी, मुस्लिम वोटो की सबसे बड़ी दीवार मानी जाती है, उसके बाद मायावती की बसपा और फिर कांग्रेस का नंबर आता है. ओवैसी इन्ही वोटों में हिस्सा चाहते हैं.
यूपी में 2017 में विधानसभा चुनाव में 9 छोटी पार्टियां चुनावी मैदान में उतरी थीं, इसमें से सिर्फ तीन का खाता खुल पाया था. ये भी वहीं पार्टियां थीं जिनका किसी बड़ी पार्टी के साथ गठबंधन था. AIMIM ने 38 सीटों पर चुनाव लड़ा था और सारी सीटों पर उसके हार मिली थी,इसमें से 37 सीटों पर तो उसके प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी. AIMIM को सिर्फ 0.2 फीसदी वोट हासिल हुए थे. सियासी हलकों में बड़ा सवाल यह है कि क्या ओवैसी मुस्लिम वोटरों का बंटवारा कराएंगे? क्या उनके चुनाव लड़ने से बीजेपी को फायदा होगा?