भारत की आज़ादी की 76वीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10वीं बार ऐतिहासिक लालकिले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित किया, लेकिन विपक्षी दल कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कार्यक्रम में शिरकत नहीं की और एक कड़ा रिकॉर्डेड संदेश भेजा, जिसमें देश के पूर्व प्रधानमंत्रियों की उपलब्धियों का ज़िक्र किया गया.
लालकिले के सामने मेहमानों के लिए रखी गई कुर्सियों के बीच एक पर मल्लिकार्जुन खरगे का नाम लिखा था, और वह खाली रही. कांग्रेस ने उनकी गैरहाज़िरी की सफाई देते हुए कहा कि खरगे की 'तबीयत नासाज़' है.
मल्लिकार्जुन खरगे ने भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी, लालबहादुर शास्त्री, राजीव गांधी, पीवी नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह जैसे अन्य कांग्रेस प्रधानमंत्रियों के योगदान पर भी प्रकाश डाला. उन्होंने PM रह चुके BJP दिग्गज अटल बिहारी वाजपेयी का भी ज़िक्र किया.
कांग्रेस अध्यक्ष ने PM नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, "हर प्रधानमंत्री ने देश की प्रगति में योगदान दिया है... आज कुछ लोग यह कहने की कोशिश कर रहे हैं कि भारत ने केवल पिछले कुछ वर्षों में प्रगति देखी है..."
उन्होंने कहा, "अटल बिहारी वाजपेयी के साथ-साथ सभी प्रधानमंत्रियों ने देश के ही बारे में सोचा था और विकास के लिए कई कदम उठाए... मुझे दुःख के साथ कहना पड़ रहा है कि आज लोकतंत्र, संविधान और स्वायत्त संस्थाएं गंभीर खतरे में हैं... विपक्ष की आवाज़ को दबाने के लिए नए-नए औज़ारों का इस्तेमाल किया जा रहा है... न सिर्फ़ CBI, ED और इन्कम टैक्स विभागों की ओर से छापे मारे जा रहे हैं, बल्कि चुनाव आयोग को भी कमज़ोर किया जा रहा है... विपक्षी सांसदों का मुंह बंद किया जा रहा है, निलंबित किया जा रहा है, माइक बंद किए जा रहे हैं, भाषणों को हटाया जा रहा है..."
उन्होंने PM नरेंद्र मोदी के प्रमुख मंत्रों में से एक का उपयोग करते हुए कहा, लालबहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी की नीतियों ने भारत को आत्मनिर्भर बनने में मदद की.
मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, "महान नेता नया इतिहास बनाने के लिए अतीत के इतिहास को नहीं मिटाते... वे हर चीज़ का नाम बदलने की कोशिश करते हैं - उन्होंने पिछली योजनाओं, बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का नाम बदल दिया, वे अपने तानाशाही तरीकों से लोकतंत्र को नष्ट कर रहे हैं... अब वे देश में शांति स्थापित करने वाले पुराने कानूनों का नाम बदल रहे हैं... पहले उन्होंने कहा, 'अच्छे दिन', फिर 'नया भारत', अब 'अमृत काल' - क्या वे अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए नाम नहीं बदल रहे हैं...?"