अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी AAP और INDIA गठबंधन के लिए बड़ा झटका, क्या इस्तीफा देंगे CM?

क्या गिरफ़्तारी के बाद कोई जनप्रतिनिधि किसी राज्य का मुख्यमंत्री बना रह सकता है? राजनीतिक तौर पर ये सवाल पेचीदा है.

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नई दिल्ली:

दिल्ली शराब नीति घोटाले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ़्तारी लोकसभा चुनावों की तैयारियों में जुटी आम आदमी पार्टी और उसके राजनीतिक सहयोगियों के लिए एक करारा झटका है. अगर वो लंबे समय तक चुनाव अभियान से दूर रहते हैं, तो इसका सीधा असर आप (AAP) के पॉलिटिकल संभावनाओं पर पड़ेगा, क्योंकि केजरीवाल पार्टी के मुख्य कैंपेनर हैं. लोकसभा चुनावों से पहले केजरीवाल की गिरफ़्तारी से सत्ताधारी बीजेपी और विपक्षी दलों के बीच राजनीतिक तकरार भी तेज़ हो गई है.

चुनाव से ठीक पहले अरविंद केजरीवाल की गिरफ़्तारी से AAP के साथ-साथ विपक्षी INDIA ब्लॉक की चुनावी तैयारियों को भी बड़ा झटका लगा है. शुक्रवार को AAP के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इसके खिलाफ दिल्ली के ITO इलाके में सड़कों पर जमकर विरोध प्रदर्शन किया.

विपक्षी दल भी केजरीवाल के समर्थन में लामबंद हो गए हैं. शुक्रवार को विपक्षी दलों के एक प्रतिनिधिमंडल ने चुनावों से पहले विपक्षी नेताओं और राजनीतिक दलों के खिलाफ सत्तारूढ़ भाजपा द्वारा राज्य मशीनरी के कथित दुरूपयोग की शिकायत को लेकर मुख्य चुनाव आयुक्त और दोनों चुनाव आयुक्तों से मुलाकात की.

वहीं सत्ताधारी बीजेपी ने ईडी (ED) की कार्रवाई को भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम करार दिया है.

2011-12 में भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन में अरविंद केजरीवाल ने अन्ना हज़ारे का साथ दिया था, लेकिन आज अन्ना हज़ारे खुलकर केजरीवाल के खिलाफ बयान दे रहे हैं. अन्ना हज़ारे ने कहा, "मुझे बहुत दुख हुआ केजरीवाल जैसे आदमी जो मेरे साथ काम करता था. शराब के खिलाफ हमने आवाज उठाई थी. आज वो शराब नीति बना रहा है."

हालांकि AAP के संस्थापक सदस्य रह चुके और अप्रैल 2015 तक केजरीवाल के राजनीतिक सहयोगी रहे योगेंद्र यादव ने उनकी गिरफ़्तारी का कड़े शब्दों में विरोध किया है.

योगेंद्र यादव ने एनडीटीवी से कहा, "एक्साइज पॉलिसी एक गलत नीति थी. उसकी जांच होनी चाहिए और भ्रष्टाचार के सबूत मिले तो दोषियों को जरूर सजा दी जानी चाहिए, लेकिन ट्रायल के समय, जांच के समय पकड़-पकड़ के गिरफ्तार करना, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को, संजय सिंह को और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को... इसका जांच से कोई मतलब नहीं है. इसके पीछे की नीयत, पार्टी और सरकार को तोड़ना है. हम सब इसका विरोध करते हैं, जो भी व्यक्ति लोकतंत्र का समर्थन करता है, उसे इसके विरोध में खड़ा होना चाहिए."

अब सवाल ये भी उठता है कि क्या गिरफ़्तारी के बाद कोई जनप्रतिनिधि किसी राज्य का मुख्यमंत्री बना रह सकता है? राजनीतिक तौर पर ये सवाल पेचीदा है. संविधान के मुताबिक गिरफ़्तारी के बाद इस्तीफा देने की कोई कानूनी बाध्यता नहीं है, लेकिन सवाल नैतिकता का भी है और व्यवहारिकता का भी.

ज़ाहिर है, चुनावों से ठीक पहले केजरीवाल की गिरफ़्तारी आम आदमी पार्टी के लिए एक बड़ा राजनीतिक झटका है. अब ये देखना अहम होगा कि AAP इस मुश्किल चुनौती से कैसे निपटती है.

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