दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. अब दिल्ली सरकार में ही मंत्री रहीं आतिशी सीएम की कुर्सी संभालेंगी. मंगलवार शाम साढ़े चार बजे अरविंद केजरीवाल एलजी हाउस पहुंचे. उनके साथ विधायक दल की नेता चुनीं गईं आतिशी और पूरी कैबिनट थी. जहां उन्होंने उपराज्यपाल वीके सक्सेना को अपना इस्तीफा सौंपा.
अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के बाद आतिशी ने सरकार बनाने का दावा पेश किया और विधायकों का समर्थन पत्र उपराज्यपाल को सौंपा. इस दौरान पूरी कैबिनेट उपराज्यपाल सचिवालय में मौजूद थी.
सीएम के साथ पूरी कैबिनेट ने भी दिया इस्तीफा
मुख्यमंत्री के इस्तीफे के साथ ही पूरी कैबिनेट ने भी इस्तीफा दे दिया. इसके बाद उपराज्यपाल के दिए तय समय पर नई सरकार का शपथ ग्रहण होगा. फिर नई मुख्यमंत्री नई कैबिनेट चुनेंगी.
केजरीवाल के इस्तीफे के बाद आप नेता आतिशी ने कहा कि हमने नई सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है, मैं दिल्ली के लोगों के हितों की रक्षा करूंगी.
वहीं आप नेता गोपाल राय ने कहा कि मुख्यमंत्री नामित हुईं आतिशी ने उपराज्यपाल सक्सेना के साथ बैठक में दिल्ली में नई सरकार बनाने के लिए दावा पेश किया है.
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के उपराज्यपाल वीके सक्सेना से मिलकर उनको अपना इस्तीफा सौंपने के बाद अब नई सरकार के गठन की कवायद शुरू हो गई है.
अब आतिशी शपथ ग्रहण करने के बाद दिल्ली की मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभालेंगी.
मुख्यमंत्री पद के लिए चुने जाने के बाद आतिशी ने केजरीवाल की तारीफ की. उन्होंने कहा कि अगर वो किसी और पार्टी में होती, तो उन्हें चुनाव का टिकट भी नहीं मिल पाता, लेकिन अरविंद केजरीवाल ने ना केवल उन्हें विधायक बनाया, बल्कि मंत्री और अब मुख्यमंत्री पद के लिए भी उनका नाम आगे किया.
आतिशी ने आगे कहा कि इसके बाद भी वो इससे बिल्कुल भी खुश नहीं हैं, क्योंकि केजरीवाल को बीजेपी द्वारा लगातार परेशान किया जा रहा है. बीजेपी जांच एजेंसियों का दुरुपयोग उनके खिलाफ कर रही है.
बता दें कि आबकारी नीति मामले में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया था. उन्होंने दो टूक कह दिया था कि जब तक दिल्ली की जनता उन्हें दोबारा से सीएम पद की कमान नहीं सौंपती है, तब तक वो इस पद को ग्रहण नहीं करेंगे. इसके साथ ही उन्होंने नवंबर में ही विधानसभा चुनाव महाराष्ट्र और झारखंड के साथ कराए जाने की मांग की थी.