CM केजरीवाल के आवास के निर्माण में शामिल तीन इंजीनियरों को किया गया निलंबित

अरविंद केजरीवाल के बंगले के रेनोवेशन मामले में 3 सरकारी इंजीनियरों को निलंबित कर दिया गया है. इन इंजीनियरों ने ही बंगले के निर्माण की अनुमति दी थी.

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नई दिल्ली :

केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (Central Public Works Department) ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के आधिकारिक आवास के कथित अवैध रेनोवेशन के लिए तीन इंजीनियरों को निलंबित कर दिया है. सूत्रों ने बताया कि तीन इंजीनियरों प्रदीप कुमार परमार, अभिषेक राज और अशोक कुमार राजदेव ने केजरीवाल के बंगले के रेनोवेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. सूत्रों ने कहा कि चार अन्य लोगों के साथ इन्‍होंने कथित तौर पर केजरीवाल के निर्देश पर मॉडिफिकेशन के नाम पर नियमों का उल्लंघन किया था और लागत बढ़ाने की अनुमति दी थी. अन्‍य चारों को भी निलंबित कर दिया गया है. परमार फिलहाल असम के गुवाहाटी में पोस्‍टेड हैं, वहीं अभिषेक राज पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में कार्यरत हैं. 

विजिलेंस डिपार्टमेंट के मुताबिक, इंजीनियरों ने कथित तौर पर दिल्ली के पीडब्ल्यूडी मंत्री के साथ सांठगांठ कर अर्जेंसी की शर्तें लागू कर मुख्यमंत्री के लिए नए बंगले के निर्माण की अनुमति दी. उस वक्‍त देश कोविड-19 महामारी से जूझ रहा था और तब ऐसी कोई अर्जेंसी नहीं थी. 

PWD मंत्री ने तेजी से काम करने पर दिया था जोर : सूत्र 

सूत्रों के मुताबिक, वित्त विभाग जब राजकोषीय प्रबंधन को लेकर आदेश जारी कर रहा था और महामारी के कारण व्यय कम कर रहा था, तब पीडब्ल्यूडी मंत्री ने कथित तौर पर पुराने घर में एडिशन या बदलाव के नाम पर नए बंगले के निर्माण के प्रस्ताव पर तेजी से काम करने पर जोर दिया. 

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विजिलेंड डिपार्टमेंट ने कहा कि पुरानी इमारत को ध्वस्त कर नई इमारत का निर्माण और "व्यय में असंगत इजाफा" पीडब्ल्यूडी मंत्री के निर्देश पर किया गया. 

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सजावटी चीजों पर करोड़ों खर्च : वि‍जिलेंस डिपार्टमेंट 

सूत्रों ने कहा कि इसके कारण कंसल्‍टेंट द्वारा प्रस्तुत इंटीरियर की ड्राइंग में बड़े बदलाव हुए, जिसके कारण भुगतान की गई कुल राशि और काम के लिए स्वीकृत राशि में अंतर आ गया. 

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विजिलेंड डिपार्टमेंट ने बताया कि अतिरिक्त कलात्मक और सजावटी कार्यों, उत्कृष्ट श्रेणी के पत्थर के फर्श, उत्कृष्ट लकड़ी के दरवाजे और ऑटोमेटिक स्लाइडिंग ग्लास के दरवाजे जैसी चीजों पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए थे. 

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इस मामले की जांच पहले से ही सीबीआई द्वारा की जा रही है. 

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