दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान गुरुवार को रांची पहुंचे, जहां वे शुक्रवार को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात करेंगे. केजरीवाल राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण को लेकर केंद्र द्वारा लाये गए अध्यादेश के खिलाफ अपनी पार्टी आम आदमी पार्टी (AAP) की लड़ाई में सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) का समर्थन हासिल करना चाहते हैं.
इससे पहले दिन में मान और केजरीवाल ने चेन्नई में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन से मुलाकात की. स्टालिन ने केंद्र पर गैर-भाजपा शासित राज्यों में संकट उत्पन्न करने का बृहस्पतिवार को आरोप लगाया और कहा कि द्रमुक राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण के लिए लाये गए केंद्रीय अध्यादेश का कड़ा विरोध करेगी.
आम आदमी पार्टी (AAP) प्रमुख केजरीवाल अध्यादेश के खिलाफ समर्थन हासिल करने के लिए गैर-भाजपा दलों के नेताओं से संपर्क कर रहे हैं ताकि इसकी जगह लेने के लिए संसद में विधेयक लाए जाने पर केंद्र उसे पारित नहीं करा सके.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एवं पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान आज चेन्नई से एक विशेष विमान से रात्रि लगभग नौ बजे रांची पहुंचे.
झारखंड सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एवं पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान दो जून 2023 को दोपहर में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात करके अपराह्न 2:00 बजे मुख्यमंत्री आवास पर संयुक्त रूप से मीडिया से बातचीत करेंगे.
इससे पहले दिन में तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) के प्रमुख स्टालिन ने चेन्नई के अलवरपेट स्थित अपने आवास के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘‘केंद्र आम आदमी पार्टी (आप) के लिए संकट उत्पन्न कर रहा है और विधिवत चुनी हुई सरकार को स्वतंत्र रूप से काम करने से रोक रहा है. आप सरकार के पक्ष में उच्चतम न्यायालय के फैसले के बावजूद, केंद्र अध्यादेश लाया. द्रमुक इसका कड़ा विरोध करेगी.''
इस दौरान स्टालिन के साथ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी थे. स्टालिन ने केजरीवाल को अपना ‘‘अच्छा दोस्त'' बताया और कहा कि अध्यादेश का विरोध करने के मुद्दे पर उनके बीच हुई चर्चा उपयोगी रही.
केंद्र ने आईएएस और दानिक्स कैडर के अधिकारियों के तबादले और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण बनाने के लिए 19 मई को अध्यादेश जारी किया था. यह अध्यादेश उच्चतम न्यायालय द्वारा दिल्ली में निर्वाचित सरकार को पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि से संबंधित सेवाओं को छोड़कर अन्य सेवाओं का नियंत्रण सौंपने के बाद आया.
अध्यादेश जारी किये जाने के छह महीने के भीतर केंद्र को इसकी जगह लेने के लिए संसद में एक विधेयक लाना होगा.
शीर्ष अदालत के 11 मई के फैसले से पहले दिल्ली सरकार के सभी अधिकारियों के स्थानांतरण और पदस्थापना उपराज्यपाल के कार्यकारी नियंत्रण में थे.
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