आबकारी घोटाले मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया. अदालत ने कहा है कि फैसला लिखने में 5-7 दिनों का समय लगेगा. सुनवाई के दौरान केजरीवाल के वकील ने कहा कि पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने भी ED मामले में अंतरिम ज़मानत दे दी है. आज वो बाहर होते, अगर सीबीआई इंश्योरेंस अरेस्ट नहीं करती. सीबीआई की तरफ से स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर डी. पी. सिंह ने अपनी दलील में कहा कि जांच एजेंसी होने के नाते हमारे पास अपने अधिकार है. हमारे पास अपने अधिकार हैं कि किस आरोपी के खिलाफ कब चार्जशीट करनी है और किस आरोपी को किस समय बुलाना है. बता दें कि मुहर्रम की छुट्टी के दिन भी याचिका पर सुनवाई के लिए स्पेशल व्यवस्था की गई थी. अदालत ने सीबीआई के वकील से पूछा, "बचाव पक्ष का कहना है कि जिस सामग्री के आधार पर गिरफ़्तारी की बात की जा रही है, वो तो मार्च में भी थे, तो उस समय गिरफ़्तार क्यों नहीं किया गया? जून तक इंतज़ार क्यों किया गया?"
अरविंद केजरीवाल की ओर से सिंघवी की दलीलें
- अरविंद केजरीवाल एक मुख्यमंत्री हैं कोई आतंकवादी नहीं कि उनको जमानत ना मिले
- तारीखें इस बात का बयान देती है की गिरफ्तारी की कोई जरूरत नही थी। ये केवल इंश्योरेंस अरेस्ट था
- सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना ने अपने आदेश में साफ कहा है कि इंटेरोगेशन गिरफ़्तारी का आधार नहीं हो सकता
- सीबीआई ने अपनी अर्जी में गिरफ्तारी का कोई आधार नही दिया।
- एक भी आधार नही बताए गए कि आखिर गिरफ्तारी क्यों की जा रही हैं। मुझे बिना सुने 25 जून को सीबीआई की अर्जी को मंजूरी मिल गई और मुझे गिरफ्तार किया गया
- अरविंद केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अपनी दलील समाप्त करते हुए कहा
- अरविंद केजरीवाल की ब्लड शुगर 5 बार सोते हुए 50 के नीचे जा चुकी है
- इस मामले में सबको जमानत मिल रही है, मेरी पार्टी का नाम आम आदमी पार्टी है लेकिन मुझे बेल नहीं मिल रही
गिरफ्तार करने का यह सही समय था- CBI के वकील
CBI के वकील ने कहा, "जो कुछ भी मैटेरियल था, वह कोर्ट को दिखा दिया गया है. हमने यह नहीं कहा कि वह हमारी बात से सहमत नहीं है. कुछ चीजें ऐसी होती हैं जो दोषारोपण योग्य नहीं होती हैं. अगर मैं उनसे पूछूं कि क्या वह बैठक में थे, तो उन्हें हां या ना में जवाब देना होगा. लेकिन हम उनसे पूछते हैं कि शराब के कारोबार को प्राइवेटाइज करने का विचार किसका था, तो केजरीवाल कहते हैं कि यह मेरा विचार नहीं था. वह खुद को छोड़कर सभी को दोषी ठहराने के लिए तैयार हैं... जबकि वो सीएम हैं. हमने उनसे पूछा कि इस व्यक्ति को किसने नियुक्त किया, तो उन्होंने कहा कि उन्हें कुछ नहीं पता. वे आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक हैं और कहते हैं कि उन्हें कुछ नहीं पता. जांच को रोकने की कोशिश की गई और सीबीआई को पंजाब सरकार के कुछ अधिकारियों की जांच करने की मंजूरी नहीं मिली." केजरीवाल के वकील ने इस दलील पर आपत्ति जताई, लेकिन सीबीआई के वकील ने कहा सवाल यह है कि जांच को कौन प्रभावित कर सकता है और पटरी से उतार सकता है? वो यह आदमी (केजरीवाल) है. हमारे पास इसके लिए पर्याप्त मैटेरियल था और गिरफ्तार करने का यह सही समय था. गिरफ़्तारी वैध है या नहीं...? इसपर मेरा पहला परीक्षण अदालत में होता है, जब आरोपी को अदालत में पेश किया जाता है. सीबीआई उस परीक्षण में पास हो चुकी है.
जानबूझकर आबकारी नीति 2021-22 में बदलाव और हेराफेरी- CBI
सीबीआई ने अदालत से कहा, "याचिकाकर्ता दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 के निर्माण और कार्यान्वयन में आपराधिक साजिश में अपनी भूमिका पर विचार करते हुए समानता का हकदार नहीं है, विशेष रूप से तब जब सरकार और पार्टी के कोई भी या सभी निर्णय केवल उसके अनुसार लिए गए हों. उन्होंने अन्य आरोपी व्यक्तियों के साथ मिलकर, जानबूझकर आबकारी नीति 2021-22 में बदलाव और हेराफेरी की और इस तरह थोक विक्रेताओं के लाभ मार्जिन को बिना किसी कारण के 5% से बढ़ाकर 12% कर दिया, जिससे थोक विक्रेताओं को अनुचित अप्रत्याशित लाभ हुआ. गोवा में आम आदमी पार्टी के चुनाव संबंधी खर्चों को पूरा करने के लिए साउथ ग्रुप से 100 करोड़ रुपये की अवैध रिश्वत मिली थी. उनका मजबूत प्रभाव और दबदबा उन्हें ऐसे सह-अभियुक्तों से बराबरी का अधिकार नहीं देता है. संपूर्णता के लिए, मामले में विभिन्न प्रभावशाली सह-अभियुक्त अभी भी हिरासत में हैं, जिनमें आरोपी मनीष सिसौदिया और के कविता भी शामिल हैं. याचिकाकर्ता पर गंभीर आर्थिक अपराध करने का आरोप है, जिसे एक वर्ग से अलग माना जाना चाहिए, जबकि व्यक्तिगत स्वतंत्रता सर्वोपरि है, यह पूर्ण नहीं है बल्कि राज्य और जनता के हित सहित उचित प्रतिबंधों के अधीन है."
कोर्ट को गुमराह करने का प्रयास - सीबीआई
सीबीआई ने दिल्ली हाई कोर्ट में हलफनामा दायर कर अरविंद केजरीवाल की जमानत का विरोध किया. सीबीआई ने अरविंद की याचिका को खारिज करने की मांग की. सीबीआई ने कहा, "याचिकाकर्ता ने मामले में आगे की प्रगति को रोकने के लिए कानून की जटिलताओं का दुरुपयोग करके न्यायालय को गुमराह करने का प्रयास किया है. याचिकाकर्ता ने लोअर कोर्ट से संपर्क किए बिना, जमानत देने के लिए सीआरपीसी की धारा 439 का इस्तेमाल करते हुए न्यायालय का रुख किया है. नियमित जमानत देने के लिए विशेष न्यायाधीश यानी सत्र न्यायालय का रुख करना चाहिए था." सीबीआई ने कहा कि गिरफ्तारी सहित जांच, जांच एजेंसी का एकमात्र क्षेत्र है. और क्या आरोपी ने प्रश्नों का संतोषजनक उत्तर दिया है या टालमटोल कर रहा है, यह पूरी तरह से जांच एजेंसी के क्षेत्र में है. याचिकाकर्ता द्वारा मामले को सनसनीखेज बनाने का प्रयास दुर्भाग्यपूर्ण है. जब मामले की अन्य सभी परिस्थितियों की जांच की गई, तभी सीबीआई ने याचिकाकर्ता की हिरासत की मांग की. इसके अलावा, 23 अप्रैल 2024 को ही याचिकाकर्ता की भूमिका की जांच करने के लिए धारा 17-ए पीसी अधिनियम के तहत अनुमति दी गई थी. आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक के खिलाफ जांच, जांच को तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाने के लिए आवश्यक थी। चूँकि वह न्यायिक हिरासत में था, इसलिए अदालत की अनुमति के बिना उसकी उपस्थिति सुनिश्चित नहीं की जा सकती थी.
ये हमारा अधिकार, किस आरोपी को किस समय बुलाना है: CBI वकील की दलील
सीबीआई की तरफ से स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर डी. पी. सिंह ने अपनी दलील में कहा, "सरकारी वकील होने के नाते मैं इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल नहीं कर सकता, जिसका कोई कानूनी अर्थ नहीं है. इंश्योरेंस अरेस्ट जैसे शब्द का इस्तेमाल न्यायसंगत नहीं है. जांच एजेंसी होने के नाते हमारे पास अपने अधिकार है. हमारे पास अपने अधिकार हैं कि किस आरोपी के खिलाफ कब चार्जशीट करनी है और किस आरोपी को किस समय बुलाना है. वो एक मुख्यमंत्री हैं उनकी भूमिका साफ़ नहीं थी, क्योंकि क्योंकि शराब नीति आबकारी मंत्री के तहत बनी थी, लेकिन जब जरूरी लगा, तब उन्हें बुलाया गया. सिघवी ने इंश्योरेंस गिरफ्तारी शब्द अपनी तरफ से गढ़ा है, ये अनुचित है. सीबीआई ने उन्हें धारा 160 के तहत बुलाया था, लेकिन यह धारा गवाहों के लिए नहीं है. इसका इस्तेमाल केस के तथ्यों से परिचित किसी भी व्यक्ति के लिए किया जा सकता है. ये कोई भी हो सकता है. इनका कहना है कि उनसे पूछताछ 9 घंटे तक चली. हमारे पास ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग है. सब कुछ टाइप किया गया, उन्होंने उसे चेक किया और उसमें सुधार भी किए और उन सुधारों को किया गया. इस दौरान सीबीआई कार्यालय के बाहर भारी भीड़ थी. कौन तय करेगा कि किसी मामले की जांच कैसे की जाए? क्या ये तय करेंगे?
सिंघवी ने किया पाकिस्तान के इमरान खान केस का जिक्र
अभिषेक मनु सिंघवी ने सुनवाई के दौरान दलीलें दीं, "तीन दिन पहले हमने देखा पाकिस्तान में इमरान खान रिहा हुए, उन्हें दोबारा दूसरे केस में गिरफ़्तार कर लिया गया. लेकिन हम गर्व से कह सकते हैं, हम वैसा देश नहीं है. हम वैसा देश नहीं हैं, ऐसा हमारे देश में नहीं हो सकता. अरविंद केजरीवाल एक मुख्यमंत्री हैं, कोई आतंकवादी नहीं कि उनको जमानत ना मिले. तारीखें इस बात का बयान देती हैं कि गिरफ्तारी की कोई जरूरत नही थी. ये केवल इंश्योरेंस अरेस्ट था. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना ने अपने आदेश में साफ कहा है कि इंटेरोगेशन गिरफ़्तारी का आधार नहीं हो सकता. ये कोई पोस्ट ऑफिस सिस्टम नहीं है. अरविंद की गिरफ्तारी को लेकर 25 जून को एक अर्जी दाखिल की गई. निचली अदालत ने केवल एक आधार पर गिरफ्तारी की इजाजत दे दी. आर्टिकल 21 और 22 को इस मामले में अनदेखा किया गया. इस मामले में केवल एक आधार था कि वो जवाब नहीं दे रहे हैं. सीबीआई ने अपनी अर्जी में गिरफ्तारी का कोई आधार नहीं दिया. केवल कहा कि केजरीवाल को गिरफ्तार करना है. एक भी आधार नहीं बताए गए कि आखिर गिरफ्तारी क्यों की जा रही है? अरविंद केजरीवाल को बिना सुने 25 जून को सीबीआई की अर्जी को मंजूरी मिल गई और गिरफ्तार किया गया."
CBI की गिरफ्तारी का कोई आधार नहीं: अभिषेक मनु सिंघवी
सबसे पहले इंश्योरेंसअरेस्ट पर बहस करेंगे. दो साल पहले सीबीआई ने एफआइआर दर्ज की थी. 14 अप्रैल 2023 को अरविंद केजरीवाल को समन मिला, लेकिन वो गवाह के तौर पर था. 16 अप्रैल 2023 के दिन 9 घंटे तक केजरीवाल से पूछताछ हुई थी. ये रेयरेस्ट ऑफ रेयर मामला है, क्योंकि अरविंद केजरीवाल के खिलाफ सीबीआई ने एक साल तक कुछ नहीं किया. सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को जमानत दी. अरविंद केजरीवाल 2 जून को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, वापस तिहाड़ जेल गए. इस मामले में सीबीआई ने जो गिरफ्तारी की उसका कोई आधार नहीं है. ईडी मामले में अरविंद केजरीवाल को निचली अदालत ने जमानत दी है. उसके बाद अरविंद केजरीवाल को वेकेशन जज के समक्ष पेश किया गया. 26 जून को सीबीआई एक्टिव हुई और केजरीवाल की गिरफ्तारी हुई.
अगर सीबीआई इंश्योरेंस अरेस्ट नहीं करती: सिंघवी
मामले की सुनवाई के दौरान अरविंद केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अपनी दलील रखते हुए कहा, "सीबीआई की गिरफ़्तारी को इंश्योरेंस अरेस्ट के तौर पर देख सकते हैं. जब लगा कि केजरीवाल बाहर आ सकते हैं, उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया. पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने भी ED मामले में अंतरिम ज़मानत दे दी है. आज वो बाहर होते, अगर सीबीआई इंश्योरेंस अरेस्ट नहीं करती. पीएमएलए के कठिन मामले में निचली अदालत ने नियमित ज़मानत दे दी थी, जिस पर स्टे लगाया. गया.
अरविंद केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अपनी दलील समाप्त करते हुए कहा, "अरविंद केजरीवाल की ब्लड शुगर 5 बार सोते हुए 50 के नीचे जा चुकी है. क्या मैं (केजरीवाल) समाज के लिए खतरा हूं? इस मामले में सबको जमानत मिल रही है, मेरी पार्टी का नाम आम आदमी पार्टी है, लेकिन मुझे बेल नहीं मिल रही.
तथ्यों को देखते हुए मुझे जमानत दी जाए."
सीबीआई के 2 मामलों में सुनवाई
दिल्ली हाई कोर्ट में आज केजरीवाल की दो याचिकाओं पर सुनवाई है, जिसमें सीबीआई के हाथों गिरफ़्तार केजरीवाल की ज़मानत याचिका पर आज फ़ैसला आ सकता है. पिछली सुनवाई के दौरान दिल्ली हाइकोर्ट ने सीबीआई को नोटिस जारी किया था. आज अगर हाइकोर्ट से केजरीवाल को बेल मिल जाती है, तो वो जेल से बाहर आ सकते हैं. दूसरी याचिका में केजरीवाल ने CBI के ख़िलाफ़ अपनी गिरफ़्तारी को दिल्ली हाइकोर्ट में चुनौती दी है.
आबकारी नीति पर ऐसे घिरी AAP
- नवंबर 2021: दिल्ली सरकार ने नयी आबकारी नीति पेश की.
- जुलाई 2022: उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने नीति बनाने और कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच की सिफारिश की.
- अगस्त 2022: सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित अनियमितताओं के संबंध में मुकदमे दर्ज किए.
- सितंबर 2022: दिल्ली सरकार ने आबकारी नीति रद्द की.
- अक्टूबर 2023 से मार्च 2024 : ईडी ने धन शोधन मामले के संबंध में केजरीवाल को नौ समन जारी किए.
- 21 मार्च, 2024: केजरीवाल द्वारा उन्हें जारी किए गए समन को चुनौती वाली याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने आप प्रमुख (केजरीवाल) को गिरफ्तारी से संरक्षण देने से इनकार कर दिया। इसके तुरंत बाद ईडी ने आम आदमी पार्टी (आप) नेता को गिरफ्तार कर लिया.
- 10 मई: सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को लोकसभा चुनाव में प्रचार करने के लिए एक जून तक अंतरिम जमानत दी और कहा कि उन्हें दो जून को आत्मसमर्पण करना होगा और वापस जेल जाना होगा.
- 20 जून: अधीनस्थ न्यायालय ने अरविंद केजरीवाल को नियमित जमानत दी.
- 21 जून: ईडी ने अधीनस्थ न्यायालय के जमानत आदेश को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया. हाई कोर्ट ने एजेंसी की याचिका पर नोटिस जारी कर फैसला आने तक जमानत आदेश को निलंबित किया.
- 25 जून: हाई कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अधीनस्थ न्यायालय द्वारा केजरीवाल को दी गई जमानत पर रोक लगाई.
- 26 जून: सीबीआई ने आबकारी नीति से संबंधित भ्रष्टाचार के मामले में अरविंद केजरीवाल को जेल से औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया.
- 17 मई: सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की गिरफ्तारी की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा.
- 12 जुलाई: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को कथित आबकारी नीति ‘घोटाले' में ईडी द्वारा दर्ज किए गए धन शोधन के मामले में अंतरिम जमानत प्रदान की हालांकि सीबीआई मामले में आप नेता जेल में ही रहेंगे.
क्यों जेल में हैं अरविंद केजरीवाल?
मुख्यमंत्री केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 21 मार्च को दिल्ली सरकार की आबकारी नीति (अब रद्द हो चुकी) 2021-22 में कथित अनियमितताओं से जुड़े धन शोधन मामले में गिरफ्तार किया था. इसके बाद कथित घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार के एक मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 26 जून को उन्हें तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया था. केजरीवाल को बीजे शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने धन शोधन मामले में अंतरिम जमानत दे दी थी, लेकिन सीबीआई के मामले में वह अब भी जेल में हैं.
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