पश्चिम बंगाल के मंत्री पार्थ चटर्जी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को गिरफ्तारी के बाद तीन बार फोन किया, लेकिन उन्हें तीनों कॉल का कोई जवाब नहीं मिला. एक आधिकारिक दस्तावेज से इस बारे में खुलासा हुआ. पार्थ चटर्जी के "अरेस्ट मेमो" में कहा गया है कि 70 वर्षीय मंत्री ने अपने "रिश्तेदार / दोस्त को फोन करने की बजाय अपनी बॉस ममता बनर्जी को चुना,". करीब 1.55 बजे गिरफ्तारी के बाद उनकी पहली कॉल 2.33 बजे की गई. लेकिन फोन नहीं उठाया गया.
पार्थ चटर्जी ने फिर से सुबह 3.37 बजे और 9.35 बजे फोन किया. पुलिस के अनुसार, किसी भी आरोपी व्यक्ति को अपनी गिरफ्तारी के बारे में सूचित करने के लिए किसी रिश्तेदार या मित्र को कॉल करने की अनुमति होती है. तृणमूल कांग्रेस ने पूरे प्रकरण का खंडन किया है. पार्टी के फिरहाद हाकिम ने कहा कि गिरफ्तार मंत्री द्वारा ममता बनर्जी को फोन करने का कोई सवाल ही नहीं है क्योंकि उनका फोन प्रवर्तन निदेशालय के पास है. चटर्जी, जो बंगाल के शिक्षा मंत्री थे, उन्हें शनिवार को स्कूल नौकरियों के घोटाले से जुड़े मनी-लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.
चटर्जी पर सरकार द्वारा प्रायोजित और सहायता प्राप्त स्कूलों में पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा स्कूली शिक्षकों और शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति में कथित गड़बड़ी में भूमिका का आरोप लगाया गया था. उनकी एक करीबी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी के घर से करीब 20 करोड़ रुपये नकद मिले. चटर्जी को प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में भेजे जाने के तुरंत बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था क्योंकि उन्होंने बेचैनी की शिकायत की थी. प्रवर्तन निदेशालय ने यह कहते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया कि उन्हें कोलकाता के सरकारी एसएसकेएम अस्पताल से हटा दिया जाना चाहिए, जहां उन्हें एक शक्तिशाली मंत्री के रूप में अपने प्रभाव का दावा करने के लिए जाना जाता था.
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कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें एम्स-भुवनेश्वर ले जाने के आदेश के बाद, चटर्जी को आज सुबह एयर एम्बुलेंस द्वारा ओडिशा ले जाया गया. अदालत ने यह भी कहा कि उसे आज अस्पताल द्वारा जांच के उन्हें पेश किया जाए.
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