23 साल के आर्मी ऑफिसर ने साथी सैनिक को बचाते हुए दे दी जान, 6 महीने पहले ज्वाइन की थी सेना

सेना अधिकारी ने बताया कि इतनी कम उम्र में लेफ्टिनेंट तिवारी ने अपने साथी की जान को अपनी जान से ऊपर रखा, आगे बढ़कर नेतृत्व किया और सैन्य नैतिकता और वीरता के उच्चतम मानकों को कायम रखते हुए भारतीय सेना की बेहतरीन परंपराओं को निभाया.

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नई दिल्ली:

भारतीय सेना में छह महीने से भी कम समय पहले कमीशन प्राप्त 23 वर्षीय अधिकारी ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए उत्तरी सिक्किम में पहाड़ी नदी में बहे एक सहयोगी सैनिक को बचाने का प्रयास करते हुए अपनी जान गंवा दी. अधिकारियों ने बताया कि लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी की वीरतापूर्ण कार्रवाई भारतीय सेना के मूल मूल्यों-निस्वार्थ सेवा, निष्ठा, उदाहरण प्रस्तुत करने वाला नेतृत्व तथा अधिकारियों और जवानों के बीच अटूट बंधन का एक शानदार उदाहरण है.

लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी सिक्किम स्काउट्स से जुड़े थे. अधिकारियों ने बताया कि यह घटना 22 मई को हुई.

पूर्वी कमान ने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, "भारतीय सेना की पूर्वी कमान के लेफ्टिनेंट जनरल आर.सी. तिवारी, सेना के कमांडर-इन-चीफ और सभी रैंक के अधिकारी लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हैं, जिन्होंने उत्तरी सिक्किम में एक परिचालन गश्त के दौरान नदी में बहे एक साथी सैनिक को बचाते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया. भारतीय सेना पूरी तरह शोक संतप्त परिवार के साथ खड़ी है."

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी को छह महीने से भी कम समय पहले दिसंबर 2024 में कमीशन मिला था. वह सिक्किम में एक सामरिक परिचालन बेस (टीओबी) की ओर ‘रूट ओपनिंग' गश्ती दल का नेतृत्व कर रहे थे. यह एक महत्वपूर्ण चौकी है जिसे भविष्य में तैनाती के लिए तैयार किया जा रहा है.

उन्होंने बताया कि गश्ती दल के सदस्य अग्निवीर स्टीफन सुब्बा का पूर्वाह्न करीब 11 बजे एक पुल पार करते समय पैर फिसल गया और वह एक तेज पहाड़ी जलधारा में बह गए.

अग्निवीर को बचाने के लिए शशांक ने नदी में लगा दी छलांग

अधिकारी ने कहा, "अपनी टीम के प्रति असाधारण सूझबूझ, निस्वार्थ नेतृत्व और अटूट प्रतिबद्धता का परिचय देते हुए लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी ने बिना किसी हिचकिचाहट के अग्निवीर को बचाने के लिए नदी में छलांग लगा दी. एक अन्य सैनिक नायक पुकार कटेल भी तुरंत उनकी सहायता के लिए उनके पीछे चले गए. साथ मिलकर वे डूबते हुए अग्निवीर को बचाने में सफल रहे."

हालांकि लेफ्टिनेंट तिवारी तेज बहाव में बह गए. उन्होंने बताया कि गश्ती दल द्वारा अथक प्रयासों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका. सुबह 11:30 बजे उनका शव 800 मीटर नीचे की ओर बरामद किया गया.

अधिकारी ने बताया कि इतनी कम उम्र में लेफ्टिनेंट तिवारी ने अपने साथी की जान को अपनी जान से ऊपर रखा, आगे बढ़कर नेतृत्व किया और सैन्य नैतिकता और वीरता के उच्चतम मानकों को कायम रखते हुए भारतीय सेना की बेहतरीन परंपराओं को निभाया. लेफ्टिनेंट तिवारी के परिवार में उनके माता-पिता और एक बहन हैं.

अधिकारी ने कहा, "भारतीय सेना लेफ्टिनेंट तिवारी के निधन पर शोक व्यक्त करती है, जो अपनी कम उम्र और संक्षिप्त सेवा के बावजूद, साहस और सौहार्द की ऐसी विरासत छोड़ गए हैं जो आने वाली पीढ़ियों के सैनिकों को प्रेरित करेगी."

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