खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह के खिलाफ शस्त्र अधिनियम के तहत एक नई एफआईआर दर्ज की गई है. अमृतपाल सिंह अभी फरार चल रहे हैं. केंद्र इस मामले को एक आतंकी जांच के रूप में लेकर आगे बढ़ रही है. शीर्ष आतंकवाद विरोधी निकाय राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) अवैध हथियार रखने के आरोप में अमृतपाल सिंह और उनके सात सहयोगियों की जांच कर सकती है- आर्म्स एक्ट के मामले एनआईए अधिनियम में शामिल हैं. नए मामले में खालिस्तानी नेता को "आरोपी नंबर एक" नाम दिया गया है. इस बीच, अमृतपाल सिंह के चार शीर्ष सहयोगियों को गिरफ्तार किया गया और ऊपरी असम के डिब्रूगढ़ ले जाया गया. इन पर कड़े राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत आरोप लगाए गए, जो पुलिस को देश भर में किसी भी जेल में संदिग्धों को हिरासत में लेने की अनुमति देता है.
अधिकारियों का कहना है कि 'टॉप सीक्रेट' कार्रवाई आम आदमी शासित पंजाब, केंद्र और भाजपा शासित असम के बीच एक महत्वपूर्ण प्रयास था. अभियुक्तों को ले जाने के लिए एक भारतीय वायु सेना के विमान का उपयोग किया गया था, जो इस मुद्दे को दूर करने के लिए केंद्र सरकार की बढ़ती भागीदारी का संकेत देता है, जिसमें राज्य के अशांत अतीत की दर्दनाक यादों को जगाते हुए शांति को बाधित करने की क्षमता है.
हालांकि, भाजपा प्रतिद्वंद्वी दलों द्वारा शासित राज्यों के बीच समन्वय के बारे में चुप्पी साधे रही. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कल कहा था कि यह सिर्फ "पुलिस-से-पुलिस" सहयोग था. उन्होंने कहा, "असम में भी गिरफ्तारियां हुईं, जब हमने लोगों को सुरक्षा कारणों से बिहार की भागलपुर जेल भेजा. शायद पंजाब पुलिस को लगता है कि कैदियों को कुछ दिनों के लिए असम में रखा जाना चाहिए."
सूत्रों का कहना है कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने 2 मार्च को एक बैठक में गृह मंत्री अमित शाह के साथ अमृतपाल सिंह को गिरफ्तार करने की योजना पर चर्चा की थी. अब तक पुलिस ने अमृतपाल सिंह के 112 सहयोगियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें से 34 को रविवार को गिरफ्तार किया गया. उसके 'वारिस पंजाब दे' ग्रुप के कई सदस्यों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है. गिरफ्तार किए गए लोगों में दलजीत सिंह कलसी भी शामिल है, जो अमृतपाल सिंह के फाइनेंस को संभालता है.