सबूत मिटाते-मिटाते पुलिस के लिए कैसे सुराग छोड़ गई अर्चना! पढ़ें गुमशुदगी की फुलप्रूफ प्लानिंग करने की पूरी कहानी

पुलिस सूत्रों के अनुसार अर्चना ने भले ही अपना मोबाइल फोन जंगल में फेंक दिया था. लेकिन फोन को फेंकने से पहले उसने अपने खास दोस्त को कई बार फोन किया था.

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अर्चना ने खुद रची थी अपनी गुमशुदगी की साजिश
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  • अर्चना तिवारी ने अपनी शादी से बचने के लिए 12 दिनों तक पुलिस को गुमराह करते हुए गुमशुदगी की साजिश रची थी
  • अर्चना ने ट्रेन में कपड़े बदले, मोबाइल फोन जंगल में फेंका और ट्रेन से बाहर निकलकर पुलिस को धोखा दिया था
  • मोबाइल फोन के कॉल रिकॉर्ड्स से पुलिस को सारांश नामक दोस्त का पता चला जिसने अर्चना को गुमशुदगी के दौरान मदद की
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भोपाल:

पुलिस को 12 दिनों तक चकमा देने के बाद आखिरकार अर्चना तिवारी को पुलिस ने लखीमपुर खीरी में नेपाल बॉर्डर के पास से ढूंढ़ निकाला है. अर्चना तिवारी के लापता होने से लेकर उसके मिलने तक की कहानी बेहद रोचक है. और खास बात ये है कि अपनी गुमशुदगी का पूरा प्लान भी अर्चना ने खुद ही बनाया था. अर्चना पेशे से वकील हैं. उसे लगा कि कानून की बारीकियां जानने की वजह से वह पुलिस को आसानी से गुमराह कर सकेंगी. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. अर्चना ने इतना कुछ किया इसलिए ताकि वह अपनी शादी से बच सके. 

ऐसे रची थी गुमशुदगी की साजिश

अर्चना तिवारी के लापता होने की कहानी की शुरुआती होती है, नर्मदा एक्सप्रेस से. अर्चना 7 अगस्त को नर्मदा एक्सप्रेस से कटनी के लिए रवाना हुई थी. लेकिन इससे पहले की वह कटनी पहुंच पाती वो बीच से गायब हो गई. जब अर्चना अपने गंतव्य तक नहीं पहुंची तो पीड़ित परिवार ने भोपाल के रानी कमलापति जीआरपी थाने में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई. अब जब अर्चना से पुलिस ने पूछताछ की तो पता चला कि अपनी गुमशुदगी की फुलप्रूफ प्लानिंग खुद अर्चना ने की थी. 

वो कहीं पकड़ी ना जाए इसके लिए उसने ट्रेन में ही कपड़े बदले, स्टेशन के मेन गेट से बाहर निकलने की जगह ट्रेन की पटरियों से होते हुए आउटर के रास्ते बाहर आई, कहीं मोबाइल फोन की लोकेशन ना ट्रैक हो जाए इसके लिए उसने अपने फोन को जंगल में फेंका. किसी टोल पर वो किसी कार में बैठी ना दिख जाए इसके लिए उसने कार में लेट कर ट्रैवल किया. 

जंगल में फोन फेंकने के बाद कैसे मिले पुलिस को अहम सुराग

पुलिस सूत्रों के अनुसार अर्चना ने भले ही अपना मोबाइल फोन जंगल में फेंक दिया था. लेकिन फोन को फेंकने से पहले उसने अपने खास दोस्त को कई बार फोन किया था. बाद में पुलिस ने जब अर्चना तिवारी के मोबाइल फोन का सीडीआर निकाला तो पता चला कि गुमशुदा होने वाले दिन भी उसके फोन से एक खास नंबर पर कई बार फोन किया गया है. जब उस नंबर को ट्रैक किया गया तो वो फोन नंबर शुजालपुर निवासी सारांश का निकला. यहीं से पुलिस को अर्चना के गुमशुदा होने की साजिश का पूरा पता चला. 

सारांश के मोबाइल ने खोला पूरा खेल

पुलिस ने जब सारांश के फोन के लोकेशन को चेक किया तो पता चला कि वो बीते कुछ दिनों में बुरहानपुर, हैदराबाद, जोधपुर और दिल्ली होते हुए कैसे आगे बढ़ रहा है. जब इन लोकेशन की कड़ियां जोड़ी गईं तो पता चला कि सारांश की यात्रा कोई सामान्य यात्रा नहीं है. बाद में पता चला सारांस इन रास्तों से होता हुआ 14 अगस्त को अर्चना के पास पहुंच गया था. सारांश को जब पुलिस ने हिरासत में लिया तो उसने पूरी प्लानिंग का खुलासा किया. 

70 लोगों की टीम और 500 से ज्यादा सीसीटीवी फुटेज

इस मामले की जांच के लिए रेल एसपी राहुल कुमार लोधा ने एक विशेष टीम का गठन किया था. इस टीम में 70 पुलिसकर्मी शामिल थे. इस टीम ने कुछ ही दिन में 500 से ज्यादा सीसीटीवी फुटेज को खंगाला था. इसके अलावा अर्चना औऱ उसके जानकारों के कई कॉल रिकॉर्ड्स की भी जांच की थी. 

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सारांश के पकड़े जाते ही सामने आई अर्चना

इस मामले जब पुलिस ने अर्चना के दोस्त सारांश को पकड़ा तो अर्चना को लगा कि अब वह बहुत दिनों तक पुलिस से बच नहीं पाएगी. ऐसे में उसे लगा कि अब वापस जाना ही आखिरी विकल्प है. यही वजह थी कि उसने नेपाल बॉर्डर के पास से अपने परिवार से संपर्क किया. पुलिस के अनुसार अर्चना ने जो कुछ भी किया वो सिर्फ शादी से बचने के लिए किया. 

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