ज्ञानवापी मामले में एक और याचिका दायर, पुश्तैनी पुजारी परिवार ने दैनिक पूजा की मांगी इजाजत

मंदिर के पुश्तैनी पुजारी व्यास परिवार की 15वीं ज्ञात पीढ़ी के वशंज शैलेंद्र कुमार पाठक व्यास ने वाराणसी की जिला अदालत में अर्जी लगाई है. उन्होंने याचिका में भगवान की दैनिक नित्य सेवा पूजा के अधिकार का इस्तेमाल करने की इजाजत मांगी है.

विज्ञापन
Read Time: 16 mins
नई दिल्ली/वाराणसी:

वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर (Gyanvapi Mosque Mandir Dispute) से जुड़े कानूनी विवाद में एक और अर्जी दाखिल की गई है. इस बार वाराणसी जिला अदालत में व्यास परिवार ने वाद दायर किया है. मंदिर के पुश्तैनी पुजारी व्यास परिवार की 15वीं ज्ञात पीढ़ी के वशंज शैलेंद्र कुमार पाठक व्यास ने वाराणसी की जिला अदालत (Varanasi District Court) में अर्जी लगाई है. उन्होंने याचिका में भगवान की दैनिक नित्य सेवा पूजा के अधिकार का इस्तेमाल करने की इजाजत मांगी है. इससे पहले विश्वेश्वर भगवान (Lord Vishveshwar)और माता श्रृंगार गौरी (Mata Shringar Gauri) के भक्त अदालत पहुंचे थे.

याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में ज्ञानवापी मस्जिद के पैरोकारों को वहां दाखिल होने से रोकने की मांग की है. साथ ही लोहे के जाल और बाड़बंदी में समुचित बदलाव भी करने का निर्देश मांगा गया है, ताकि सही तरीके से देवी-देवताओं की नित्य सेवा पूजा की जा सके.
 

याचिका में कहा गया है कि तहखाने और परिसर की दीवारों पर मौजूद देवी-देवताओं के प्रतीक चिह्न और विग्रह मूर्तियों को बिगाड़ने, नष्ट करने या नुकसान पहुंचाने से रोका जाए. याचिका में काशी विश्वनाथ मंदिर अधिनियम 1983 की धारा 13 और 14 के तहत बाबा आदि विश्वेश्वर के प्राचीन मंदिर के तहखाने में मौजूद देवी-देवताओं को पूजा का 500 साल से चला आ रहा पुश्तैनी अधिकार बहाल करने की गुहार लगाई है.

शैलेंद्र पाठक के वकील हरि शंकर जैन का कहना है कि व्यास परिवार ने अपने दावे के साथ 1551 से अब तक की वंशावली भी कोर्ट के समक्ष रखी है. व्यास परिवार की जिम्मेदारी मंदिर में देवी-देवताओं की दैनिक नित्य सेवा-पूजा, भोग की व्यवस्था, कथा और धार्मिक आध्यात्मिक अनुष्ठान करना रही है.

पाठक का कहना है कि 1993 तक उनके पुरखे आदि विश्वेश्वर मंदिर और अब ज्ञानवापी मस्जिद नाम से जाने जा रही इमारत के तहखाने में मौजूद वीरभद्र, महेश्वर, महाकालेश्वर, तारकेश्वर, अविमुक्तेश्वर, मां श्रृंगार गौरी, गणेश, हनुमान और नंदी के विग्रह यानी प्रतिमाओं के अलावा अन्य कई अदृश्य देवी देवताओं की निर्बाध सेवा पूजा भोग राग 1993 के नवंबर दिसंबर तक करते रहे. फिर 1993 के अंतिम हफ्तों में बाधाएं डाली जाने लगीं. प्रशासन ने मौखिक आदेश देकर इसे रोक दिया था.

पाठक ने अपनी याचिका में कहा है कि आदि विश्वेश्वर के भव्य मंदिर में पांच मंडप थे. इन पंच मंडपों में ज्ञान मंडप, मुक्ति मंडप, वैराग्य मंडप, शोभा मंडप और श्रृंगार मंडप थे. इन्हीं पंच मंडपों के पास देवी श्रृंगार गौरी स्थापित थीं. आदि विश्वेशर की नौ शक्तियों की स्थापना उनके चारों ओर थी.

मंदिर परिसर विध्वंस होने से पहले तक यहां  मुख निर्मलिका, ज्येष्ठा, सौभाग्य, श्रृंगार, विशालाक्षी, ललिता, भवानी, मंगला और महालक्ष्मी गौरी की सेवा पूजा होती रही.

वहीं, वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यासजी के तहखाने पर कब्जा करने का आशंका जताते हुए उसे डीएम की सुपुर्दगी में देने के मामले में काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को पक्ष रखने के लिए नोटिस जारी की गई है. अदालत ने सुनवाई के लिए अगली तिथि 29 सितंबर तय की है.

Advertisement

ये भी पढ़ें:-

ज्ञानवापी विवाद: एक हिंदू संगठन ने हिंदू और मुस्लिम पक्ष से विवाद को अदालत के बाहर सुलझाने की अपील की

ज्ञानवापी परिसर में स्थित मां श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा की मांग वाली याचिका पर SC में टली सुनवाई

"सीलबंद वजूखाने और कथित शिवलिंग का भी करवाया जाए सर्वे", ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष ने SC में दायर की एक और याचिका

Advertisement
Featured Video Of The Day
I Love Muhammad Protest पर देशभर में बवाल क्यों? | Bharat Ki Baat Batata Hoon | Syed Suhail