पासवान परिवार में कलह के चलते दो टुकड़ों में बंट गई लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) पर नियंत्रण को लेकर जारी जंग अब तक जारी है, और बुधवार रात को चिराग पासवान ने एक नई नियुक्ति कर डाली है. समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक, चाचा पशुपति कुमार पारस के नेतृत्व में बागियों द्वारा पार्टी के शीर्ष पद से हटा दिए गए चिराग ने अपने करीबी सहयोगी राजू तिवारी को पार्टी की बिहार इकाई का प्रमुख नियुक्त कर दिया है.
लोक जनशक्ति पार्टी की बिहार इकाई के प्रमुख का पद अब तक चिराग के चचेरे भाई प्रिंस राज के पास था, जो उन पांच सांसदों में शामिल हैं, जिन्होंने सोमवार को पशुपति कुमार पारस के नेतृत्व में बगावत की थी और लोकसभी स्पीकर से उन्हें अलग गुट के रूप में मान्यता देने का आग्रह किया था.
इस बगवात से पार्टी में अकेले पड़ गए चिराग ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में खुद को 'शेर का बच्चा' घोषित करते हुए संकेत दिए थे कि वह जंग के लिए तैयार हैं. साथ ही उन्होंने भावनात्मक रुख भी अपनाए रखा था, और कहा था कि वह अपने पिता के निधन के बाद 'अनाथ' महसूस नहीं कर रहे थे, बल्कि अब 'अनाथ' महसूस कर रहे हैं, जब उनके चाचा उन्हें छोड़कर चले गए हैं.
उधर, पशुपति कुमार पारस ने सुलह के सभी दरवाजों को अब तक बंद ही रखा है. चिराग द्वारा समझौता करने के लिए अपनी मां को पार्टी अध्यक्ष बनाने के प्रस्ताव को भी स्वीकार नहीं किया गया. 71-वर्षीय पारस का कहना है कि भाई (पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान) के देहावसान के बाद उनके भतीजे (चिराग) ने उनके साथ रूखा बर्ताव किया और उन्हें बेइज़्ज़त भी किया. यह झगड़ा उस समय और बढ़ गया, जब बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान चिराग ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) से अलग राह पकड़कर नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) के खिलाफ चुनाव सड़ने का फैसला किया.
मंगलवार को बागी गुट ने एक आपातकालीन बैठक बुलाकर 'एक पार्टी, एक पद' के पार्टी के नियम का हवाला देते हुए चिराग पासवान को पार्टी प्रमुख पद से हटा दिया. उनके मुताबिक, चिराग के पास पार्टी के तीन पद थे, और अब नए अध्यक्ष का चुनाव जल्द किया जाएगा. इसी वक्त सूरजभान सिंह को पार्टी का अंतरिम अध्यक्ष नियुक्त किया गया था.
इसके पलटवार में चिराग ने अपने खिलाफ बगावत करने वाले पशुपति कुमार पारस तथा चार अन्य बागी सांसदों को 'निष्कासित' कर दिया. उन्होंने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को भी खत लिखकर पशुपति कुमार पारस को सदन में पार्टी का नेता मनोनीत करने के उनके निर्णय को चुनौती दी.