- अमरनाथ गुफा में श्रावण पूर्णिमा पर छड़ी मुबारक की प्रतिष्ठा के साथ इस वर्ष की यात्रा का विधिवत समापन हुआ
- इस 38 दिवसीय यात्रा में लगभग चार लाख बीस हजार श्रद्धालुओं ने हिमलिंग के दर्शन किए और यात्रा पूरी की
- प्रशासन ने सुरक्षा कारणों और मौसम की आशंका के चलते यात्रा को कुछ दिन पहले व्यावहारिक रूप से रोक दिया था
समुद्र तल से 14,500 फुट की ऊंचाई पर स्थित पवित्र अमरनाथ गुफा में श्रावण पूर्णिमा के अवसर पर ‘छड़ी मुबारक' की प्रतिष्ठा के साथ इस वर्ष की अमरनाथ यात्रा का विधिवत समापन हो गया. महंत दीपेंद्र गिरि के नेतृत्व में आज सुबह सूर्योदय के मुहूर्त पर विशेष पूजा-अर्चना और हिमलिंग के दर्शन संपन्न हुए.
श्रद्धालुओं की संख्या में कमी, आतंकी खतरे और प्रतिकूल मौसम की आशंका को देखते हुए प्रशासन ने कुछ दिन पहले ही यात्रा को व्यावहारिक रूप से रोक दिया था. 3 जुलाई से शुरू हुई इस 38 दिवसीय यात्रा के दौरान लगभग 4.20 लाख श्रद्धालुओं ने हिमलिंग के दर्शन किए. अंतिम दिन करीब 150 श्रद्धालु, जिनमें अधिकांश सुरक्षा बलों के जवान थे, गुफा पहुंचे. यात्रा के दौरान हुई दुर्घटनाओं में कितनी मौतें हुईं, इसकी आधिकारिक जानकारी अभी सार्वजनिक नहीं की गई है.
‘छड़ी मुबारक' श्रीनगर स्थित दशनामी अखाड़े से साधु-संतों के दल के साथ रवाना हुई थी. गुफा में प्रतिष्ठा के बाद इसे पुनः अखाड़े में स्थापित किया जाएगा. इस बार अधिकांश यात्रियों ने पारंपरिक 45 किलोमीटर लंबे पहलगाम मार्ग की बजाय 16 किलोमीटर लंबे बालटाल मार्ग को चुना.
अब ‘छड़ी मुबारक' पहलगाम पहुंचेगी, जहां लिद्दर नदी के तट पर पूजा-विसर्जन और साधु-संतों के लिए पारंपरिक कढ़ी-पकौड़ा भंडारा आयोजित होगा. सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार इस बार यात्रा पर सख्त नियंत्रण रहा. केवल पंजीकृत यात्रियों को ही निर्धारित तिथियों पर यात्रा की अनुमति दी गई, जबकि गैर-पंजीकृत श्रद्धालुओं का प्रवेश प्रतिबंधित रहा.
बालटाल और नुनवान आधार शिविरों से गुफा की ओर जाने वाली आवाजाही पर भी कड़ी निगरानी रखी गई. शांतिपूर्ण और सुरक्षित समापन से प्रशासन व सुरक्षा एजेंसियों ने राहत की सांस ली. सुरक्षा बलों की सतर्कता ने सभी संभावित खतरों को विफल कर दिया. पहले की तरह इस बार भी आतंकी घटनाओं ने श्रद्धालुओं का उत्साह कम करने के बजाय और दृढ़ बना दिया, जिससे प्रशासन के सामने नई चुनौतियां खड़ी हुईं.