अन्ना यूनिवर्सिटी में रेप मामले में अदालत ने दोषी ज्ञानशेखरन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. चेन्नई की एक महिला अदालत ने पिछले दिसंबर में 19 वर्षीय छात्रा के साथ रेप मामले में सजा सुनाते हुए दोषी पर 90,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है. जज एम राजलक्ष्मी ने कहा कि दोषी को कम से कम 30 साल तक जेल में रहना चाहिए, उन्होंने जोर देकर कहा कि उस पर कोई दया नहीं दिखाई जानी चाहिए. जज राजलक्ष्मी ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सजा पर फैसला 2 जून के लिए सुरक्षित रख लिया था. जिसमें आज कोर्ट का फैसला आया है.
महिला कोर्ट ने सुनाई सजा
अन्ना यूनिवर्सिटी कैंपस रेप में एक छात्रा के यौन उत्पीड़न मामले में तमिलनाडु के चेन्नई में महिला अदालत ने आरोपी ज्ञानशेखरन को बलात्कार सहित 11 मामलों में दोषी पाया था. जज एम. राजलक्ष्मी की अध्यक्षता वाली अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सजा सुनाई. इस मामले में आरोप पत्र 24 फरवरी को विशेष जांच दल (एसआईटी) की ओर से दायर किया गया था, जिसने ग्रेटर चेन्नई पुलिस से अपने हाथ में केस लिया था.
छात्रा को डराकर किया रेप
स्थानीय पुलिस ने सड़क किनारे बिरयानी बेचने वाले और आपराधिक कामों में शामिल रहने वाले ज्ञानशेखरन को घटना के तुरंत बाद गिरफ्तार कर लिया था. यह घटना 23 दिसंबर, 2024 को हुई. पीड़िता इंजीनियरिंग की छात्रा थी और अपने पुरुष मित्र के साथ कॉलेज कैंपस में थी. ज्ञानशेखरन ने एक फर्जी वीडियो दिखाकर उन्हें धमकाया और चेतावनी दी कि वह इसे लोगों के साथ साझा कर देगा, जिससे उन्हें कॉलेज से निकाल दिया जाएगा.
इसके बाद उसने लड़के को जबरन वहां से जाने के लिए मजबूर किया और लड़की को अपने साथ कैंपस के एक सुनसान हिस्से में ले गया. लड़के की यूनिवर्सिटी स्टाफ की ओर से जांच का दिखावा करते हुए उसने पीड़िता को और भी डरा दिया. जब उसने उसकी मांगें मानने से इनकार कर दिया तो ज्ञानशेखरन ने उसका यौन उत्पीड़न किया और वीडियो भी बनाया.
छात्रा को दी धमकी
छात्रा का फोन नंबर ले लिया और उसे ब्लैकमेल कर, धमकी दी कि अगर वह उससे दोबारा नहीं मिली तो वह वीडियो उसके पिता और कॉलेज के अधिकारियों को भेज देगा. हालांकि, लड़की ने चुप रहने से इनकार करके साहस का परिचय दिया. अपने परिवार और कॉलेज प्रशासन की मदद से उसने अगले ही दिन कोट्टूरपुरम ऑल विमेन पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई. पुलिस की तुरंत कार्रवाई के कारण ज्ञानशेखरन को गिरफ्तार कर लिया गया.
मुकदमे के दौरान, उनके वकील ने व्यक्तिगत आधारों का हवाला देते हुए सजा में नरमी बरतने की अपील की थी. हालांकि, अभियोजन पक्ष ने अपराध की जघन्य प्रकृति और अभियुक्त के आपराधिक इतिहास को देखते हुए सजा पर कड़ी आपत्ति जताई थी. जज राजलक्ष्मी ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सजा पर फैसला 2 जून के लिए सुरक्षित रख लिया था. इस फैसले को पीड़िता के लिए न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम तथा शैक्षणिक परिसरों में महिलाओं को निशाना बनाकर किए जाने वाले अपराधों के विरुद्ध एक कड़ा संदेश बताया गया.