मणिपुर के बुआलगंज हिल्स के एक इंवायरमेंटलिस्ट अनीश अहमद पिछले तीन दशकों से बिना किसी स्वार्थ के पर्यावरण का पोषण करते हुए आ रहे हैं. वह मणिपुर में प्रकृति के मूल संरक्षक के रूप में अपनी पहचान बना रहे हैं. अनीश को बचपन से ही पर्यावरण से गहरा प्रेम है और अपने इसी प्रेम के चलते उन्होंने अकेले ही 1 लाख से ज्यादा पेड़ लगाए हैं और मणिपुर में समुदायों को 40 हजार से अधिक पौधे बांटे हैं. अनीश ने इन सभी कामों को बिल्कुल मफ्त में किया है. ग्रीनहाउस या पानी के टैंक जैसे किसी औपचारिक समर्थन या बुनियादी ढांचे के बिना, वह घर से ही अपनी नर्सरी चला रहे हैं. पारंपरिक और पर्यावरण के अनुकूल तरीकों का उपयोग करके बीज एकत्र करते हैं और पौधों का पोषण करते हैं.
अपनी इस जर्नी के बारे में बात करते हुए अनीश ने कहा, "पर्यावरण के लिए काम करते हुए मुझे लगभग 30 साल हो गए हैं. बीच इकट्ठा करने से लेकर उनका पौधा बनाना, लोगों को जागरूक करना, पौधे लगाना और वनों को वापस से घना बनाने के लिए मैंने सीड बोल्स का इस्तेमाल किया". उन्होंने दूर की पहाड़ियों से लेकर शहरी क्षेत्रों तक पौधे लगाए हैं. वह मणिपुर में स्कूल परिसरों, श्मशान घाटों, सड़कों के किनारे और सार्वजनिक पार्कों आदि में पौधे लगाते रहे हैं. इसके साथ ही वो बच्चों, गांव के लोगों आदि सभी को पौधों की अहमियत के बारे में प्रशिक्षित भी करते हैं और उन्हें भी इसका हिस्सा बनने के लिए प्रेरित करते हैं.
अनीश अहमद ने कहा, "शुरुआत में मैं सड़क किनारे, श्मशान घाटों, स्कूल कैंपस और मणिपुर के अन्य हिस्सों में पौधे लगाता था. इसके अलावा मैंने रिमोट पहाड़ी क्षेत्रों में भी पौधे लगाए हैं." अनीश की अटूट प्रतिबद्धता को स्थानीय समुदायों से सराहना मिली है, जिनमें से कई मणिपुर के वन क्षेत्र को बहाल करने के उनके मिशन में शामिल हो गए हैं.
अनीश अहमद का यह काम उम्मीद की एक किरण की तरह है. उनका पृथ्वी को आने वाले कल के लिए हरा भरा बनाना है.