पटना में शनिवार को जब जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय परिषद की दो दिवसीय बैठक शुरू हुई तो ज्यादातर नेता तनाव में दिखे. मणिपुर में उनके छह में से पांच विधायकों को बीजेपी में शामिल कर लिया था. इसके बाद जेडीयू के नेता बीजेपी पर हमलावार हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे असंवैधानिक बताया है. उन्होंने कहा कि विपक्ष के सभी लोग एकजुट होंगे तो 2024 के चुनाव में देश की जनता का निर्णय बहुत अच्छा आएगा, तब इन लोगों को पता चलेगा.
वहीं जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि ये धन-बल के आधार पर सब हुआ. महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, दिल्ली और झारखंड जैसे विपक्ष द्वारा शासित राज्यों में केंद्र की कार्रवाई 2024 को लेकर बीजेपी के डर और हताशा को दर्शाती है. उन्होंने कहा कि, "बीजेपी ने महाराष्ट्र और एमपी में जो किया, वह दिल्ली में करने की कोशिश कर रहे हैं और झारखंड में ऐसा ही करने से अब देश भर में परिणाम सामने आएंगे." उन्होंने केंद्रीय एजेंसियों द्वारा हाल की कार्रवाई का जिक्र किया, जिसे राजनीतिक प्रतिशोध का तरीका बताया जा रहा है.
यह पूछे जाने पर कि क्या बिहार में भी ऐसा हो सकता है, उन्होंने कहा कि राज्य की हर नस में राजनीति है और यहां कुछ नहीं होगा. उन्होंने कहा, "वे हमारी पार्टी में एक एजेंट के जरिए ऐसा करने की कोशिश कर रहे थे, कुछ नहीं हुआ."
ललन सिंह ने कहा कि मणिपुर में एक बार फिर बीजेपी का नैतिक आचरण सबके सामने है. 2024 में देश जुमलेबाजों से मुक्त होगा, इंतजार कीजिए. उन्होंने कहा कि अरुणाचल और मणिपुर दोनों जगह जेडीयू ने बीजेपी को हराकर सीटें जीती थीं. 2015 में प्रधानमंत्री जी ने 42 सभाएं कीं, तब जाकर 53 सीट ही जीत पाए थे.
भाजपा के नेता जो पिछले महीने सरकार से बाहर किये जाने के बाद राजनीतिक रूप से अपमानित महसूस कर रहे थे, उन्होंने इस खबर को उचित करार दिया. बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार के भाजपा से विश्वासघात कर गठबंधन तोड़ने के कारण दोनों राज्यों में जदयू के विधायक नाराज थे. जदयू की अन्य प्रदेश इकाइयों में भी जल्द विद्रोह होगा. उन्होंने कहा कि जदयू पैसे लेकर दल-बदल कराने का अनर्गल आरोप लगा रहा है, जबकि सच यह है कि नीतीश कुमार की नीति और नीयत के विरुद्ध उनकी पार्टी में भारी विरोध पनप रहा है.
इधर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब विपक्ष को गोलबंद करने के लिए सोमवार से तीन दिवसीय दिल्ली का दौरा कर रहे हैं. उन्हें बैठे बिठाये एक मुद्दा मिल गया है.
मणिपुर के घटनाक्रम से निश्चित रूप से भाजपा ख़ुश है, लेकिन नीतीश कुमार अब इससे चिढ़कर भाजपा के खिलाफ आने वाले समय में और अधिक आक्रामक होंगे.
बता दें कि बिहार में जेडीयू के नौ साल में दूसरी बार बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़ने के हफ्तों बाद, मणिपुर में उसके छह में से पांच विधायक शुक्रवार को सत्तारूढ़ बीजेपी में शामिल हो गए. चूंकि पाला बदलने वाले विधायकों की संख्या कुल के दो तिहाई से अधिक थी, इसलिए उनके क्रॉसिंग ओवर को वैध माना गया.