कहीं आप भी घी की जगह जानवरों की चर्बी तो नहीं खा रहे? जानिए कैसे करेंगे फॉरिन और एनिमल फैट की पहचान

तिरुपति मंदिर ट्रस्ट ने प्रसाद की जांच के लिए 4 सदस्यीय कमेटी बनाई है. प्रसाद में एनिमल फैट पाए जाने के बाद लोगों की चिताएं भी बढ़ गई हैं. आपको जानकर हैरानी होगी किसी न किसी तरीके से आपकी थाली में भी एनिमल फैट आ रहा है. 

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नई दिल्ली:

आंध्र प्रदेश के तिरुपति स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर (Tirupati Balaji Mandir) के लड्डू प्रसाद में एनिमल फैट (Animal Fat) मिलने का मामला इन दिनों चर्चा में चंद्रबाबू नायडू सरकार ने गुरुवार को एक रिपोर्ट जारी की. इसमें दावा किया गया कि तिरुपति मंदिर में श्रद्धालुओं को बांटने के लिए जो लड्डू तैयार किए जाते हैं, उनमें इस्तेमाल हुए घी में 3 जानवरों का फैट मिला है. लड्डू बनाने के लिए बेसन, देसी घी, काजू, किशमिश, इलायची और चीनी का इस्तेमाल होता है. लेकिन रिपोर्ट दावा करती है कि लड्डू में इस्तेमाल हुए घी में फॉरिन फैट भी मिला है. लड्डुओं के लिए इस्तेमाल हुए घी में भैंस की चर्बी, फिश ऑयल और सूअर की चर्बी की मिलावट पाई गई है. 

तिरुपति के लड्डुओं में एनिमल फैट पाए जाने का मामला आंध्र प्रदेश से दिल्ली तक पहुंच गया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने इस मामले में आंध्र के सीएम चंद्रबाबू नायडू से रिपोर्ट मांगी है. नड्डा ने कहा कि तिरुमाला मंदिर के प्रसाद (लड्डू) में पाई गई मिलावट की जांच कराई जाएगी.' वहीं, तिरुपति मंदिर ट्रस्ट ने प्रसाद की जांच के लिए 4 सदस्यीय कमेटी बनाई है. प्रसाद में एनिमल फैट पाए जाने के बाद लोगों की चिताएं भी बढ़ गई हैं. आपको जानकर हैरानी होगी किसी न किसी तरीके से आपकी थाली में भी एनिमल फैट आ रहा है. 

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NDTV के एक्सप्लेनर में आइए समझते हैं तिरुपति मंदिर के प्रसाद में क्या-क्या पाया गया? क्या होता है फॉरिन फैट और एनिमल फैट? ये हमारे शरीर के लिए कितना खतरनाक? कैसे पता करेंगे आप जिस घी को शुद्ध मानकर इस्तेमाल कर रहे हैं, वो वाकई शुद्ध है या नहीं:-

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तिरुपति मंदिर के प्रसाद में क्या-क्या मिला?
चंद्रबाबू नायडू सरकार ने सेंटर ऑफ एनालिसिस एंड लर्निंग इन लाइवस्टॉक एंड फूड (CALF) की रिपोर्ट शेयर की है. 
रिपोर्ट में तिरुपति के प्रसाद लड्डू में इस्तेमाल होने वाली घी में कई सारे वेजिटेबल फैट और एनिमल फैट होने का दावा किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, लड्डुओं में सोयाबीन, सनफ्लोवर, ऑलिव, रेपसीड, लिसीड, व्हीट जर्म, मेज जर्म, कॉटन सीड, कोकोनट, पाम कर्नल, पाम ऑयल पाया गया है. इसके साथ ही इसमें बीफ टैलो, लार्ड और फिश ऑयल जैसे एनिमल फैट की मिलावट भी मिली है.

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रिपोर्ट में यह भी दावा गया है कि लड्डुओं में तय अनुपात के हिसाब से चीज़ें नहीं थीं. इसे S वैल्यू कहा गया है. यानी अगर चीज़ों का S वैल्यू सही नहीं है, तो इसमें मिलावट हुई है.

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फॉरिन फैट किसे कहते हैं?
जब किसी डेयरी प्रोडक्ट को बनाने के लिए नॉन डेयरी प्रोडक्ट का इस्तेमाल किया जाता है, उसे फॉरेन फैट कहा जाता है. इसे आसान शब्दों में समझते हैं. आप बाजार से घी का डिब्बा लेकर आते हैं. इसमें शुद्ध देसी घी का लेवल लगा हुआ है. लेकिन हर कंपनी का घी शुद्ध नहीं होता. कई बार इसमें अलग-अलग तरह से वेजिटेबल ऑइल, एनिमल फैट, हाइड्रोजेनेटेड ऑइल का इस्तेमाल होता है. इसी तरीके से नकली घी भी बनाई जाती है. मार्केट में ऐसे एसेंस (सेंट) मिलते हैं, जो इन मिलावटी घी में किसी भी तरह की खुशबू मिला सकते हैं.

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ये बीफ टैलो क्या है?
भैंस, भेड़, बकरी, गाय और हिरण जैसे जुगाली करने वाले जानवरों की चर्बी यानी फैट को बीफ टैलो कहते हैं. यह नॉर्मल टेंपरेचर पर एक सफेद रंग की चर्बी होती है. इस चर्बी को इन जानवरों के रंप रोस्ट, पसलियों और स्टेक के टुकड़ों से निकाला जाता है. इस फैट को उबालकर घी की तरह बनाया जाता है. विदेशों में ये काफी खाया जाता है. वहां कई लोग ब्रेड में मक्खन के तौर पर बीफ टैलो का इस्तेमाल करते हैं. 

लार्ड क्या होता है?
लार्ड वास्तव में सूअर की चर्बी होती है. यह सूअर की टांगों से निकाला जाता है. इसे सेमी-व्हाइट फैट भी कहते हैं. यह सॉफ्ट, सेमी हार्ड या हार्ड हो सकता है.

अब ये फिश ऑयल क्या होता है?
फिश ऑयल को मछलियों से निकाला गया फैट होता है. ये फैट समुद्री मछलियों की होती है. बड़े आकार वाली मछलियों में काफी सारा फैट मिलता है. इसे गलाकर घी बनाया जाता है. इसके अलावा फिश ऑयल कई बीमारियों के इलाज में कारगर साबित होता है. इससे कई तरह की दवाइयां भी बनती हैं. ओमेगा-3 कैप्सूल फिश ऑयल से ही बनता है, जो दिल की बीमारी के इलाज में मददगार है.

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क्या हमेशा सस्ते घी में एनिमल फैट होता है?
जरूरी नहीं है कि किफायती रेट पर मिलने वाला घी मिलावटी ही हो. क्योंकि अगर कोई कंपनी घी बनाती है, तो उसे लाइसेंसिंग अथारिटी से इसकी परमिशन लेनी होगी. साथ ही पैकेजिंग में सारे कंपोनेंट्स भी मेंशन करने होंगे. इसके साथ ही नॉनवेज और वेज को इंडिकेट करने वाली रेड और ग्रीन पॉइंट भी दिखाने होंगे.

हालांकि, कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाने के लालच में कुछ कंपनियां देसी घी में वेजिटेबल ऑयल यानी डालडा की मिलावट करते हैं. सूअर, मछली और भैंस की चर्बी को प्रोसेस करके भी घी की शक्ल दी जा सकती है. 

कैसे समझेंगे कि हमारे घर का घी शुद्ध है या मिलावटी?
वैसे आपके घर आने वाला घी शुद्ध है या उसमें एनिमल फैट मिला हुआ है, ये पहचानना आसान नहीं है. क्योंकि मिलावट करने वाली कंपनियां ऐसे-ऐसे तरीके अपनाती है कि एक आम आदमी इसे पकड़ नहीं पाएगा. रोजमर्रा के कामों के लिए इस्तेमाल होने वाली हर चीज का लैब टेस्ट होना भी मुमकिन नहीं है. फिर भी कुछ टिप्स हैं, जिनके आधार पर आप समझ सकते हैं कि आप जिस घी को अपनी रोटी में लगा रहे हैं, दाल में मिला रहे हैं या पूजा में इस्तेमाल कर रहे हैं... वो वाकई शुद्ध है या उसमें एनिमल फैट मिला हुआ है.   

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इन तरीकों से पता करें आपके घी की शुद्धता
-अपनी सूंघने की शक्ति का इस्तेमाल करें. शुद्ध घी गाढ़ा, गोल्डन कलर का और खुशबूदार होगा. 
- एक सफेद कागज पर एक चम्मच घी फैला दें. इसे कुछ देर ऐसे ही रहने दें. अगर आप कागज पर कोई धब्बा देखते हैं, तो समझ जाएं कि आपके घी में मिलावट है. क्योंकि शुद्ध घी कोई दाग या धब्बा नहीं छोड़ता.
-शुद्ध घी सॉफ्ट और क्लियर टेक्सचर का होगा. अगर रूम टेंपरेचर में घी जम जाता है, तो इसमें जरूर मिलावट हुई है.
-एक चम्मच घी को गैस पर गर्म करके देखिए. अगर इससे जलने की बदबू आती है, तो आपके घी में एनिमल फैट मिला हुआ है. क्योंकि शुद्ध घी गर्म करने पर गल जाएगा, लेकिन इससे जलने की बदबू नहीं आती है.
 

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