जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले के सुदूर एक गांव के आतंकवाद-विरोधी कार्यकर्ता (Anti-terrorism crusader)ने आरोप लगाया है कि श्रीनगर में विवादित एनकाउंटर में पुलिस ने जिन चार लोगों को मार गिराया है और जिन्हें आतंकी बताया जा रहा है, इनमें उनका बेटा भी है. वर्ष 2005 में रामबन जिले में एक आतंकी को पत्थर से मारकर मौत के घाट उतारने वाले अब्दुल लतीफ मागरे ने कहा कि उनका बेटा आमिर निर्दोश है और श्रीनगर में एक शॉप पर श्रमिक के तौर पर काम करता था. दूसरी ओर, पुलिस ने दावा किया है कि 24 साल का आमिर एक आतंकी था और उसे श्रीनगर के कमर्शियy कॉम्पलेक्स में सोमवार शाम को को हुए एनकाउंटर में मार गिराया गया था.
Jammu Kashmir: श्रीनगर में आतंकवादियों ने गोली मारकर की पुलिसकर्मी की हत्या
अब्दुल लतीफ ने कहा, 'मैंने खुद एक आतंकी को पत्थर से मारा है. मेरा चचेरा भाई भी आतंकियों के द्वारा मारा गया है. हम 11 साल से अपने घर से दूर रह रहे हैं. मैंने गुप्त स्थानों (Secret locations)पर अपने बच्चों को बड़ी मुश्किलों के बीच पालकर बड़ा किया है. ' इस बलिदान का मुझे आज यह सिला मिला है कि एक भारतीय, जिसने आतंकी को पत्थरो से मौत के घाट उतारा, के बेटे को आतंक बताते हुए मार दिया गया.' अब्दुल लतीफ मागरे ने यह भी कहा है कि पुलिस ने उसके बेटे के शव को अंतिम संस्कार के लिए भी देने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, 'मेरे बेटे का शव देने से इनकार किया गया जाना मेरे ओर से आतंकवाद के खिलाफ लड़ने का 'इनाम' है. मेरा घर अभी भी पुलिस की निगरानी में है. कल को सुरक्षा गार्ड्स मुझे भी मार सकते हैं और दावा कर सकते हैं कि यह आतंकवादी था.'' यह एनकाउंटर विवादों में घिर गया है क्योंकि इसमें कमर्शियल कॉम्पलेक्स के मालिक सहित दो कारोबारी भी मारे गए हैं. पुलिस ने दावा कियाा है कि दोनों कारोबारी, 'आतंकियों के समर्थक' थे.
पुलिस ने पहले कहा था कि कारोबारी मोहम्मद अल्ताफ बट और डॉक्टर कम बिजनेसमैन डॉ. मुदस्सिर गुल आतंकियों की फायरिंग में मारे गए लेकिन बाद में बयान बदलते हुए कहा था कि वे 'क्रॉस फायरिंग' में मारे गए होंगे. परिवार ने आरोप लगाया है कि सुरक्षा बलों ने इन दोनों को मार दिया. वे अंतिम संस्कार के लिए शव उन्हें दिए जाने की मांग कर रहे हैं लिेकिन पुलिस ने कानून व्यवस्था का हवाला देते हुएए इससे इनकार कर दिया है.