पंजाब के कट्टरपंथी उपदेशक और "वारिस पंजाब दे" के प्रमुख अमृतपाल सिंह ने रविवार तड़के पंजाब के मोगा जिले में पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया. खबर है कि पुलिस से बातचीत के बाद भगोड़े ने आत्मसमर्पण किया है. सूत्रों की मानें तो पुलिस उसे पंजाब से लेकर डिब्रूगढ़ के लिए निकल चुकी है. पंजाब में विधि-व्यवस्था की स्थिति ना हो संभवतः इस बाबत ये कदम उठाया गया है.
बता दें कि अमृतपाल पर एनएसए के तहत मामला दर्ज है. इससे अतिरिक्त उसके खिलाफ हत्या, अपहरण समेत कई केस हैं. दो मामले अमृतसर के अजनाला थाने में हैं. दरअसल, पुलिस ने अमृतपाल के एक करीबी लवप्रीत सिंह तूफान को गिफ्तार कर लिया था. इससे नाराज होकर अमृतपाल ने 23 फरवरी को समर्थकों के साथ मिलकर हथियारों के साथ अजनाला थाने पर हमला कर दिया.
पुलिस ने भीड़ को रोकने के लिए बैरीकेड लगाया था, लेकिन अमृतपाल के समर्थक उसे तोड़कर अंदर घुस गए और अपने साथी को छुड़ा लिया. इस दौरान छह पुलिसकर्मी घायल भी हो गए थे. इसी घटना के बाद वो पुलिस की रडार पर आ गया था.
अमृतपाल मूलतः पंजाब के जल्लूपुर गांव का रहनेवाला है और उसने 12वीं तक की पढ़ाई की है. उसकी पढ़ाई गांव के है स्कूल में हुई है. साल 2012 में वो दुबई चला गया था, जहां उसने ट्रांसपोर्ट का कारोबार किया. उसके ज्यादातर संबंधी दुबई में ही रहते हैं. उसका नाम पिछले साल पंजाब के शिवसेना नेता सुधीर सूरी हत्याकांड में सामने आया था. पीड़ित परिजनों ने पूरे मामले में अमृतपाल का भी नाम जोड़ने की पुलिस से गुहार लगाई थी. ऐसे में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए उसे सिंगावाला गांव में नजरबंद कर दिया था.
30 साल का अमृतपाल सिंह शादीशुदा है. उसने इसी साल 10 फरवरी को अपने पैतृक गांव में एक सादे समारोह में ब्रिटेन की रहने वाली एनआरआई लड़की किरणदीप से शादी की. आनंद कारज में दोनों परिवारों के लोग शामिल हुए. किरणदीप मूल रूप से जालंधर के कुलारां गांव की हैं, लेकिन कुछ समय पहले उनका परिवार इंग्लैंड में बस गया था.
मालूम हो कि 'वारिस दे पंजाब' संगठन जिसका वो अध्यक्ष है, को एक्टर-एक्टिविस्ट दीप सिध्दू ने बनाया था. लेकिन 15 फरवरी, 2022 को सड़क हादसे में उसकी मौत के बाद कुछ ही महीने पहले दुबई से लौटे अमृतपाल सिंह ने संगठन की जिम्मेदारी संभाली थी. उसने संगठन की वेबसाइट बनाई और लोगों को उससे जोड़ना शुरू कर दिया. हालांकि, अब वो पुलिस हिरासत में है.
अमृतपाल को राज्य में बीते कुछ दिनों से जरनैल सिंह भिंडरावाले 2.0 भी कहा जा रहा था. कारण यह कि वो भी उनकी ही तरह सिखों के लिए अलग देश खालिस्तान की मांग कर रहा था. 1980 में भिंडरा वाले ने भी सिखों के लिए उक्त मांग उठाई थी, जिससे राज्य भर में खलबली मच गई थी. सिंह भिंडरावाले के तरह भारी पगड़ी बांधता है और भड़काऊ भाषण देता है, जो युवाओं में जोश भर देता है.
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