'20 साल में 41 युद्ध लड़े और सभी जीते', पुणे NDA कैंपस में बाजीराव पेशवा की प्रतिमा का अनावरण कर बोले अमित शाह

अमित शाह ने कहा कि स्वराज को बनाए रखने के लिए जब भी ज़रूरत पड़ेगी तो हमारी सेनाएं और नेतृत्व यह काम ज़रूर करेंगे और ऑपरेशन सिंदूर इसका उदाहरण है.  

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  • अमित शाह ने पुणे में पेशवा बाजीराव की प्रतिमा का अनावरण किया.
  • महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और अन्य नेताओं ने इस समारोह में भाग लिया.
  • बाजीराव पेशवा को विजय के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया गया.
  • शाह ने स्वतंत्रता और स्वराज की लड़ाई में पेशवाओं के योगदान को रेखांकित किया.
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केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज महाराष्ट्र के पुणे में श्रीमंत बाजीराव पेशवा 'प्रथम' की प्रतिमा का अनावरण किया. इस अवसर पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री  देवेन्द्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री  एकनाथ शिंदे और  अजित पवार और केन्द्रीय सहकारिता राज्यमंत्री  मुरलीधर मोहोल सहित अनेक कई लोग उपस्थित थे. इस दौरान अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी ने विकास भी और विरासत भी का सूत्र दिया है जिसके तहत हमारी हज़ारों साल पुरानी संस्कृति में प्रेरणा के स्रोत हज़ारों व्यक्तियों और इतिहास को हमारे युवाओं और योद्धाओं के लिए उपलब्ध कराना बहुत ज़रूरी है. 

उन्होंने कहा कि पुणे की भूमि स्वराज के संस्कार का उद्गम स्थान है. 17वीं शताब्दी में यहीं से स्वराज की आवाज़ उठी थी और अंग्रेज़ों के सामने जब स्वराज के लिए जनता के लड़ने का समय आया तो सबसे पहले आवाज़ लोकमान्य बालगंगाधर तिलक महाराज ने उठाई. 

उन्होंने कहा कि वीर सावरकर ने महाराष्ट्र की भूमि से ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया कि एक व्यक्ति अपने जीवन में अपने देश के लिए कितना कुछ कर सकता है.

अमित शाह ने कहा कि पेशवा बाजीराव की देशभर में कई जगह प्रतिमाएँ स्थापित की गई हैं लेकिन उनका स्मारक बनाने की सबसे उचित जगह राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) पुणे ही है. उन्होंने कहा कि भविष्य के भारत की तीनों सेनाओं के सूत्रधार यहां से प्रशिक्षित होकर निकलते हैं. 

उन्होंने कहा कि हमारे भविष्य के सैनिक यहां स्थापित बाजीराव पेशवा जी की प्रतिमा से प्रेरणा लेकर उनकी जीवनी का अभ्यास करते हैं और कई युगों तक भारत की सीमाओं को छूने का साहस कोई नहीं कर सकता.

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि युद्ध की कला के कुछ नियम कभी कालबाह्य नहीं होते और वे अमर  होते हैं. उन्होंने कहा कि युद्ध में व्यूह रचना, तेज़ी, समर्पण, देशभक्ति और बलिदान का भाव ही सेनाओं को विजय दिलाता है.  शाह ने कहा कि बाजीराव पेशवा जी ने 20 साल में 41 युद्ध लड़े और सभी में विजय प्राप्त की. 

उन्होंने कहा कि पराजय को पूरे जीवन अपने नज़दीक न आने देने वाले बाजीराव पेशवा जी जैसे वीर सेनानी की प्रतिमा लगाने का सबसे उचित स्थान NDA अकादमी ही हो सकता है.

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अमित शाह ने कहा कि बाजीराव पेशवा जी ने अपने कौशल, रणनीति और वीर साथियों की मदद से कई हारे हुए युद्धों को जीत में परिवर्तित किया. उन्होंने कहा कि गुलामी की निशानियों को हर जगह ध्वस्त कर वहां स्वतंत्रता का दीप प्रज्जवलित करने का काम बाजीराव पेशवा जी ने किया. 

शाह ने कहा कि पूरे 20 साल के कालखंड में बाजीराव पेशवा जी को घोड़े से नीचे उतरते हुए किसी ने नहीं देखा. उन्होंने कहा कि शनिवारवाड़ा का निर्माण, जल प्रबंधन और कई कुरीतियों के खिलाफ पेशवा जी ने लड़ाई लड़ी. गृह मंत्री ने कहा कि कुछ लोग बाजीराव पेशवा जी को ईश्वरदत्त सेनापति, अजिंक्य योद्धा और शिवशिष्योत्तम बाजीराव पेशवा भी कहते हैं. 

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बाजीराव पेशवा ने सभी युद्ध अपने लिए नहीं बल्कि देश और स्वराज के लिए लड़े थे. उन्होंने कहा कि बाजीराव पेशवा जी ने हर युद्ध अपनी मातृभूमि, धर्म और स्वराज के लिए लड़ा और एक ऐसा अमर इतिहास लिखने का काम किया जो आने वाली कई सदियों तक कोई और नहीं लिख सकेगा.

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज जी ने अपने छोटे से जीवनकाल में न सिर्फ हिंदवी स्वराज की स्थापना करने का काम किया बल्कि युवाओं के मन में स्वराज के संस्कार भी भरे. उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज के बाद कई योद्धाओं ने उनकी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए स्वराज की ज्योति को बुझने नहीं दिया. गृहमंत्री ने कहा कि अगर शिवाजी महाराज द्वारा शुरू की गई स्वतंत्रता की लड़ाई को पेशवाओं ने 100 साल तक न चलाया होता तो आज भारत का मूल स्वरूप ही न बचा होता.

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अमित शाह ने कहा कि जब भी जीवन में निराशा आने लगती है तो बाल शिवाजी महाराज और श्रीमंत बाजीराव का विचार आता है और निराशा कोसों दूर चली जाती है. उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज की कल्पना का भारत बनाने की ज़िम्मेदारी 140 करोड़ भारतीयों की है. स्वराज को बनाए रखने के लिए जब भी ज़रूरत पड़ेगी तो हमारी सेनाएं और नेतृत्व यह काम ज़रूर करेंगे और ऑपरेशन सिंदूर इसका उदाहरण है.  

शाह ने कहा कि स्वराज के साथ-साथ महान भारत की रचना भी छत्रपति की ही कल्पना थी कि एक ऐसे भारत का निर्माण हो जो आज़ादी की शताब्दी के समय हर क्षेत्र में सर्वप्रथम हो. उन्होंने कहा कि इस जीवन लक्ष्य को सिद्ध करने के लिए पुरुषार्थ, समर्पण औऱ बलिदान की प्ररेणा देने के लिए श्रीमंत बाजीराव पेशवा जी से उत्तम व्यक्ति हमारे इतिहास में कोई और नहीं है.

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