'अमित शाह को देश में अघोषित आपातकाल के बारे में बोलना चाहिए था' : तेजस्वी यादव

पटना में पत्रकारों से बात करते हुए तेजस्वी ने आरोप लगाया कि देश लोकतंत्र के नाम पर तानाशाही देख रहा है. उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘शाह ने जो कुछ भी कहा वह सरासर बकवास था."

'अमित शाह को देश में अघोषित आपातकाल के बारे में बोलना चाहिए था' : तेजस्वी यादव

बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ‘‘जेपी की विचारधारा को भूलने'' वाली टिप्पणी को लेकर बृहस्पतिवार को कहा कि शाह को देश में ‘‘अघोषित आपातकाल'' के बारे में भी बोलना चाहिए था, जिसे केंद्र की भाजपा नीत सरकार ने लगा रखा है. पटना में पत्रकारों से बात करते हुए तेजस्वी ने आरोप लगाया कि देश लोकतंत्र के नाम पर तानाशाही देख रहा है. उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘शाह ने जो कुछ भी कहा वह सरासर बकवास था. भाजपा का जयप्रकाश नारायण (जेपी) या उनकी विचारधाराओं से कोई लेना-देना नहीं है. भाजपा के लोग जानते हैं कि किसी ‘इवेंट' को कैसे ‘मैनेज' करना है. उन्होंने जेपी की जयंती पर सिताब दियारा (सारण) में एक कार्यक्रम आयोजित किया और शाह इसमें शामिल हुए... शाह को केंद्र की राजग सरकार द्वारा देश में लगाए गए अघोषित आपातकाल के बारे में बोलना चाहिए था.''

जेपी के गांव सिताब दियारा में शाह ने मंगलवार को कहा था कि ‘‘जेपी के शिष्यों ने सत्ता के लिए अपनी विचारधारा का बलिदान किया और वे अब कांग्रेस की गोद में बैठे हैं.'' शाह की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर यादव ने पलटवार करते हुए कहा, ‘‘केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार एक तानाशाही सरकार है. लोकतंत्र कहां है.'' वहीं, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने अपनी पार्टी राजद के भीतर मतभेदों के बारे में खबरों का जोरदार खंडन किया.

दिल्ली में राजद के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में बिहार के पार्टी अध्यक्ष जगदानंद सिंह की अनुपस्थिति के कारण के बारे में पूछे जाने पर यादव ने कहा, ‘‘आप लोग जगदानंद सिंह जी के बारे में नहीं जानते हैं. वे पार्टी के सच्चे कार्यकर्ता और नेता हैं. पार्टी के भीतर कोई मतभेद नहीं हैं.'' भाजपा के आरोप इस आरोप पर कि बिहार सरकार उच्चतम न्यायालय के उस आदेश का पालन करने में विफल रही जिसके कारण राज्य में स्थानीय शहरी निकाय चुनाव स्थगित हो गए, यादव ने कहा, ‘‘भाजपा के ये आरोप निराधार हैं. पिछली सरकार में लंबे समय तक इस विभाग का प्रभार किसके पास रहा. भाजपा नेताओं को अपनी ही पार्टी के उस व्यक्ति से पूछना चाहिए जिसके पास पिछली सरकार में यह विभाग था.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)