केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को दावा किया कि तेलंगाना में सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के खिलाफ ‘‘गुस्से'' का माहौल है और लोग नहीं चाहते कि के.चंद्रशेखर राव (केसीआर) के नेतृत्व वाली सरकार सत्ता में वापस आये. हुजूराबाद में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता ने कहा कि उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान तेलंगाना का दौरा किया और दावा किया कि बीआरएस सरकार के खिलाफ ‘‘गुस्से'' का माहौल जहां ‘‘कोई नहीं चाहता कि केसीआर सरकार सत्ता में वापस आए.''
‘परिवारवाद' शासन को लेकर बीआरएस और कांग्रेस पर हमला करते हुए शाह ने कहा कि अगर लोग भाजपा को चुनते हैं, तो मुख्यमंत्री पिछड़ा वर्ग से बनाया जाएगा. उन्होंने कहा कि अगर जनता बीआरएस या कांग्रेस को वोट देती है तो, मुख्यमंत्री एक विशेष परिवार से होगा. उन्होंने कहा कि भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तेलंगाना में पिछड़ा वर्ग से मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया है. शाह ने कहा, ‘‘इसलिए, बीआरएस को वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) देने का समय आ गया है और उनके वाहन (बीआरएस के चुनाव चिह्न कार) को गैरेज में भेजने का समय आ गया है.''
शाह ने भीड़ से पूछा, ‘‘30 नवंबर को इस केसीआर सरकार को बदलना है या नहीं? पिछड़ी जाति के सदस्य को मुख्यमंत्री बनाना चाहिए या नहीं?'' केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बीआरएस सरकार को हटाने के लिए भाजपा को चुनना होगा. शाह ने अपना आरोप दोहराया कि तेलंगाना में सत्तारूढ़ बीआरएस और कांग्रेस के बीच केसीआर को फिर से मुख्यमंत्री बनाने के लिए एक सौदा हुआ है और केसीआर बाद में राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनने में मदद करेंगे. शाह ने कहा, ‘‘मैं आपको बताना चाहूंगा कि प्रधानमंत्री का पद खाली नहीं है. 2024 में भी नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं.''
उन्होंने कहा कि पिछले चुनाव में जीते कांग्रेस विधायक बीआरएस में शामिल हो गए. उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘कांग्रेस के लिए वोट का मतलब बीआरएस और भ्रष्टाचार के लिए वोट है.'' शाह ने कहा कि कांग्रेस, बीआरएस और असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली ऑल इंडिया मजलिस ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) वंशवादी पार्टियां हैं और आरोप लगाया कि ये तीनों पार्टियां भ्रष्टाचार में विश्वास करती हैं तथा उन्हें वोट देने का मतलब भ्रष्टाचार को वोट देना है.
उन्होंने अल्पसंख्यक तुष्टिकरण में शामिल होने के लिए तीनों पार्टियों पर निशाना साधा. शाह ने आरोप लगाया कि केसीआर 17 सितंबर को, जिस दिन हैदराबाद रियासत का 1948 में भारतीय संघ में विलय हुआ था, ‘‘ओवैसी के डर से'' हैदराबाद मुक्ति दिवस के रूप में नहीं मनाते हैं. शाह ने कहा, ‘‘ओवैसी के डर से उन्होंने (केसीआर) अल्पसंख्यकों को चार प्रतिशत आरक्षण दिया और हम चार फीसदी मुस्लिम आरक्षण खत्म कर देंगे तथा इसका लाभ ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग), एससी (अनुसूचित जाति) और एसटी (अनुसूचित जनजाति) को देंगे.''
उन्होंने मोदी नीत सरकार द्वारा तेलंगाना में किए गए विकास कार्यों का उल्लेख किया. शाह ने विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा की तेलंगाना इकाई के घोषणापत्र पर भी प्रकाश डाला, जिसमें पार्टी के सत्ता में आने पर राज्य में पिछड़ी जाति के नेता को मुख्यमंत्री बनाना, ईंधन की कीमतों पर वैट (वस्तु एवं सेवा कर) में कमी और अयोध्या में भगवान राम के निशुल्क दर्शन की व्यवस्था करने का वादा शामिल है. भाजपा नेता ने लोगों से यह सुनिश्चित करने की अपील की कि मौजूदा विधायक एटाला राजेंद्र को हुजूराबाद निर्वाचन क्षेत्र से भारी बहुमत से जीत दिलाएं. राजेंद्र गजवेल निर्वाचन क्षेत्र में भी केसीआर को टक्कर दे रहे हैं.
शाह ने लोगों से आग्रह किया, ‘‘मुझे पता है कि राजेंद्र हुजूराबाद से जीतने जा रहे हैं और आप उनकी जीत सुनिश्चित करेंगे. उनकी (राजेंद्र) जीत का अंतर इतना अधिक होना चाहिए कि केसीआर को एक संकेत जाना चाहिए.'' शाह ने कहा, ‘‘उनकी (राजेंद्र) गलती क्या थी, क्योंकि उन्होंने भ्रष्टाचार और परिवारवाद का विरोध किया था, इसलिए उन्हें केसीआर ने निशाना बनाया.''
बीआरएस के वरिष्ठ नेता रहे राजेंद्र को जमीन हड़पने के आरोप में केसीआर ने पूर्व में राज्य मंत्रिमंडल से हटा दिया था. राजेंद्र ने आरोपों को खारिज कर दिया था और विधायक पद छोड़ दिया था. वह भाजपा में शामिल हो गए थे और बाद में उपचुनाव जीता था.
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