केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) ने मंगलवार को कहा कि कांग्रेस ने कर्नाटक में पिछड़े वर्गों से आरक्षण छीनकर मुसलमानों को दे दिया. अगर वो हरियाणा में सत्ता में आती है तो यहां भी ऐसा ही करेगी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस हमेशा से ही पिछड़े वर्गों के खिलाफ रही है. "1957 में ओबीसी आरक्षण के लिए काका कालेलकर आयोग का गठन किया गया था, लेकिन कांग्रेस ने इसे सालों तक लागू नहीं किया."
अमित शाह ने कहा कि 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने ही पूरे देश को बताया कि उनकी सरकार दलितों, गरीबों और पिछड़ों की सरकार है. अमित शाह ने कहा, "भाजपा ने देश को पहला सशक्त पिछड़ा वर्ग का प्रधानमंत्री देने का काम किया है. केंद्र में 71 में से 27 मंत्री पिछड़ा वर्ग से हैं." गृह मंत्री ने ओबीसी समुदाय के लिए प्रधानमंत्री के कामों को गिनाया और कहा कि उन्होंने विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में उनके लिए आरक्षण सुनिश्चित किया.
मैं एक-एक पाई का हिसाब लेकर आया हूं: अमित शाह
गृहमंत्री ने कहा, "मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि हम हरियाणा में मुस्लिम आरक्षण नहीं होने देंगे." उन्होंने कांग्रेस नेता और दो बार मुख्यमंत्री रह चुके भूपेंद्र हुड्डा को चुनौती देते हुए कहा, "मैं एक-एक पाई का हिसाब लेकर आया हूं, आंकड़ों के साथ मैदान में आएं."
गौरतलब है कि हरियाणा में अक्टूबर में चुनाव हो सकते हैं. भाजपा यहां अकेले चुनाव लड़ने वाली है. उसकी नजर पिछड़े वर्ग को लुभाने पर है, जिनकी राज्य में 27 फीसदी हिस्सेदारी है. तीन सप्ताह से भी कम समय में अमित शाह का यह दूसरा हरियाणा दौरा है. इससे पहले गृह मंत्री का स्वागत मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और उनके कैबिनेट सहयोगियों ने किया.
अमित शाह के बयान पर कांग्रेस का पलटवार
आरक्षण के मुद्दे पर गृहमंत्री अमित शाह के बयान पर कांग्रेस पार्टी ने पलटवार किया है. कांग्रेस ने टीडीपी के आंध्रप्रदेश में आरक्षण पॉलिसी का जिक्र किया जिसमें मुसलमानों को भी आरक्षण देने की बात है. कांग्रेस ने कहा कि अमित शाह को आध्र प्रदेश जाना चाहिए.
हाल ही में नायडू के बेटे नारा लोकेश ने एनीडीटीवी से बात करते हुए कहा था कि "यह (मुसलमानों के लिए आरक्षण) पिछले दो दशकों से चल रहा है. हम इस पर कायम हैं. हम इसे जारी रखने का इरादा रखते हैं."उन्होंने कहा था कि यह सच है कि अल्पसंख्यकों को पीड़ा झेलनी पड़ रही है और उनकी प्रति व्यक्ति आय सबसे कम है. एक सरकार के रूप में, उन्हें गरीबी से बाहर निकालना हमारी जिम्मेदारी है. इसलिए मैं जो भी निर्णय लेता हूं वह तुष्टिकरण के लिए नहीं, बल्कि उन्हें गरीबी से बाहर लाने के लिए है.
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