Heat Waves के बढ़ते असर के कारण भारत में मानव के अस्तित्व पर बढ़ रहा है खतरा : रिपोर्ट

भारते में Heat Waves के बढ़ते खतरों और साथ में बढ़ती जनसंख्या के कारण जानकारों का कहना है कि हालात काफी बदतर होने वाले हैं. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि लोगों की जिंदगी पर इसका गंभीर असर पड़ेगा.

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नई दिल्ली:

भारत, दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बनने की राह पर है. लेकिन इन सब के बीच लगातार बढ़ते हीट वेव की वजह से मानव सभ्यता ही खतरे में देखा जा रहा है. न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय मौसम कार्यालय ने बताया है कि भारत में 1901 के बाद से साल 2023 का फरवरी भारत में सबसे गर्म रहा है. जो कि बेहद चिंता का विषय है. आशंका यह जतायी जा रही है कि पिछले साल की रिकॉर्ड गर्मी की लहर की पुनरावृत्ति इस साल भी देखी जाएगी. पिछले साल फसलों को गर्मी के कारण काफी नुकसान का सामना करना पड़ा था. 50 डिग्री सेल्सियस (122 फ़ारेनहाइट) तक तापमान पहुंच गए थे. यह उच्च तापमान किसी भी स्थिति में असहनीय होता है. रिपोर्ट के अनुसार यह गर्मी भारत में लगातार बढ़ती जनसंख्या की वजह से और भी असहनीय होता जा रहा है. 

यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग के एक जलवायु वैज्ञानिक कीरन हंट जिन्होंने देश के मौसम के पैटर्न का अध्ययन किया है ने कहा है कि "भारत आम तौर पर सहारा जैसे गर्म स्थानों की तुलना में अधिक नम है. इसका मतलब है कि पसीने के कारण गर्मी से बचाव की संभावना भी कम होती है. विश्व बैंक की नवंबर की एक रिपोर्ट में आगाह किया गया था कि भारत दुनिया में उन पहले स्थानों में से एक बन सकता है जहां वेट-बल्ब का तापमान 35 डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार कर जाएगा. ऐसे में सवाल यह है कि क्या हम गर्मी से होने वाली पीड़ा के आदी हो गए हैं?  रिपोर्ट के लेखकों में से एक, आभास झा ने कहा कि "चूंकि यह अचानक शुरू होने वाली आपदा नहीं है, क्योंकि यह धीमी शुरुआत है, हम इसे रोक नहीं सकते हैं."

बताते चलें कि विश्व बैंक की एक अन्य रिपोर्ट में भी दावा किया गया था कि आने वाले समय में चलने वाली लू यानी हीट वेव से भारत में हालात काफी बिगड़ने वाले हैं. आशंका जताई गई थी कि बहुत जल्‍द भारत में लू की तीव्रता अपनी लिमिट को पार कर जाएगी. ऐसी गर्म हवाएं चलेंगी, जिन्‍हें इंसान बर्दाश्‍त नहीं कर पाएगा. इससे पहले भी एक रिपोर्ट में कहा गया था कि आने वाले दशक में भारतीय उपमहाद्वीप में खतरनाक लू चलने के मामले ज्‍यादा आएंगे. इसके अलावा जी20 क्लाइमेट रिस्क एटलस ने भी पिछले साल आगाह किया था कि भारत में गर्मी का प्रचंड रूप आने वाले वक्‍त में देखने को मिल सकता है. साल 2036 से 2065 के बीच लू ज्‍यादा समय तक बनी रहेगी. . 

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