खुदरा महंगाई में तेजी के बीच, सरकार ने खाद्य तेलों पर उपकर घटाया..कीमतों पर नियंत्रण की उम्मीद है

घरेलू खाद्य तेलों (Edible Oil) की कीमतों में और वृद्धि को रोकने के लिए, विश्व स्तर पर खाद्य तेल की कीमत में वृद्धि के कारण, भारत सरकार ने कच्चे पाम तेल के लिए कृषि उपकर में कमी की घोषणा की.

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कच्चे पाम तेल और रिफाइंड पाम तेल के बीच आयात शुल्क का फासला बढ़कर 8.25 फीसदी हो गया है. 
नई दिल्ली:

विश्व स्तर पर खाद्य तेल की कीमत में वृद्धि के बाद, घरेलू खाद्य तेलों (Edible Oil) की कीमतों में और वृद्धि को रोकने के लिए, भारत सरकार ने कच्चे पाम तेल (Crude Palm Oil) के लिए कृषि उपकर में कमी की घोषणा की. सरकार ने सोमवार को कहा कि कच्चे पाम तेल पर कृषि-उपकर घटाने के फैसले से घरेलू खाद्य तेल मिलों को मदद मिलेगी और खाना पकाने में इस्तेमाल होने वाले तेलों की कीमतें भी काबू में रहेंगी. वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) ने गत शनिवार को कृषि अवसंरचना विकास उपकर को 7.5 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत करने की घोषणा की थी. इससे कच्चे पाम तेल के आयात पर प्रभावी शुल्क 8.25 प्रतिशत से घटकर 5.5 प्रतिशत रह गया.

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इस फैसले के संदर्भ में खाद्य मंत्रालय ने सोमवार को एक बयान में कहा कि कच्चे पाम तेल पर कृषि उपकर घटाए जाने से उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी और घरेलू स्तर पर खाद्य तेलों की कीमतों को काबू में रखने में मदद मिलेगी. खाद्य मंत्रालय ने कहा, 'कृषि उपकर में कटौती होने के बाद कच्चे पाम तेल और रिफाइंड पाम तेल के बीच आयात शुल्क का फासला बढ़कर 8.25 फीसदी हो गया है. यह अंतर बढ़ने से घरेलू रिफाइंड तेल उद्योग कच्चे पाम तेल के आयात से लाभान्वित होगा.'

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इसके साथ ही सरकार ने कच्चे पाम तेल, कच्चे सोयाबीन तेल और कच्चे सूर्यमुखी तेल पर मूल आयात शुल्क को शून्य फीसदी रखने का निर्णय सितंबर 2022 तक बढ़ाने की भी घोषणा की है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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