मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और उनके बेटे नुकुल नाथ के कांग्रेस छोड़कर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने की अटकलों के बीच उनके (कमलनाथ) समर्थक करीब छह विधायक रविवार को दिल्ली पहुंच गये. वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने रविवार को कहा कि कमलनाथ ने अपनी राजनीतिक यात्रा सबसे पुरानी पार्टी से शुरू की थी और वह इसे नहीं छोड़ेंगे.
कमलनाथ के दिल्ली आवास पर कथित तौर पर ‘जय श्री राम' लिखा झंडा फहराता देखे जाने पर सोशल मीडिया पर भी लोगों ने अपने-अपने तरीके से अनुमान जताना शुरू कर दिया.
कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि पार्टी प्रदेश इकाई के अध्यक्ष जीतू पटवारी शनिवार को दिन भर कांग्रेस विधायकों से संपर्क करने और उन्हें यह बताने में व्यस्त रहे कि कमलनाथ पार्टी छोड़कर कहीं नहीं जा रहे हैं.
कमलनाथ के करीबी सूत्रों ने बताया कि दिल्ली पहुंचे मध्य प्रदेश के विधायकों में तीन छिंदवाड़ा से हैं जबकि क्षेत्र के अन्य तीन विधायक दिल्ली के लिए रवाना होने वाले हैं.
कमलनाथ छिंदवाड़ा से नौ बार सांसद रह चुके हैं और फिलहाल वहां से वह विधायक हैं. गत नवंबर में हुए मप्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के बाद उन्हें पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था.
कमलनाथ के समर्थक विधायक फोन कॉल का जवाब नहीं दे रहे हैं. कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों का दावा है कि कमलनाथ के समर्थक एवं पूर्व मंत्री लखन घनगोरिया भी दिल्ली में उनके साथ डेरा डाले हुए हैं.
मध्य प्रदेश के पूर्व मंत्री एवं कमलनाथ के समर्थक दीपक सक्सेना ने छिंदवाड़ा में संवाददाताओं से कहा कि विधानसभा चुनाव में हार के बाद जिस तरह उन्हें प्रदेश पार्टी अध्यक्ष पद से हटाया गया, उससे वह आहत हैं.
सक्सेना ने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि उन्हें पूरा सम्मान मिलना चाहिए. वह जो भी निर्णय लेंगे, हम उसमें उनके साथ रहेंगे.''
कमलनाथ के अन्य समर्थक और राज्य के पूर्व मंत्री विक्रम वर्मा ने अपने ‘एक्स' प्रोफाइल पर ‘जय श्री राम' लिखा. पूर्व सांसद वर्मा ने कहा, ‘‘मैं कमलनाथ का अनुसरण करूंगा.''
पार्टी सूत्रों ने दावा किया कि कमलनाथ का धड़ा 23 विधायकों को अपने साथ लाने का प्रयत्न कर रहा है ताकि दल-बदल कानून उन पर लागू न हो. मध्य प्रदेश की 230 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 66 विधायक हैं.
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के वकील राकेश पांडे ने ‘पीटीआई-भाषा' से कहा, ‘‘एक तिहाई विधायकों के पाला बदल लेने की स्थिति में दलबदल कानून लागू नहीं होगा.''
इसके पहले मार्च, 2020 में कांग्रेस के एक अन्य वरिष्ठ नेता ज्योतिदिरात्य सिंधिया और उनके कई समर्थक विधायक भाजपा में चले गये थे जिससे कमलनाथ की अगुवाई वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार गिर गयी थी.
उधर, दिग्विजय सिंह ने कहा कि कमलनाथ ने अपनी राजनीतिक यात्रा सबसे पुरानी पार्टी से शुरू की थी और वह इसे नहीं छोड़ेंगे. सिंह ने कहा कि वह और अन्य कांग्रेस नेता मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के संपर्क में थे.
राज्यसभा सदस्य ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम सभी कमलनाथ को दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा जी (संजय गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बाद) का तीसरा बेटा मानते हैं.''
सिंह ने कहा, ‘‘कमलनाथ जी हमेशा कांग्रेस के साथ रहे हैं. वह एक सच्चे कांग्रेसी नेता हैं... उन्हें मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, एआईसीसी महासचिव और मप्र कांग्रेस प्रमुख सहित सभी पद मिले हैं.''
उन्होंने कहा, ‘‘कमलनाथ का चरित्र ऐसा है कि वह केंद्रीय एजेंसियों प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), आयकर विभाग (आईटी) या सीबीआई के दबाव में नहीं आएंगे.''
सिंह ने कहा, ‘‘ऐसी सभी अटकलों का सबसे बड़ा खंडन यह है कि कमलनाथ अभी भी भाजपा में शामिल नहीं हुए हैं या कांग्रेस से इस्तीफा नहीं दिया है.''
ये भी पढ़ें- सरकार और किसानों के बीच चंडीगढ़ में चौथे दौर की बातचीत, क्या निकलेगा रास्ता?
ये भी पढ़ें- "मुझे बताया गया कि उन्हें परेशान किया गया": संदेशखाली पीड़ितों पर बंगाल के राज्यपाल
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)