पिछले 44 दिनों से जारी किसान आंदोलन (Farmers Protest) को खत्म कराने के लिए केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच आठवें दौर की बातचीत आज फिर शुरू हुई है. दोपहर 2.30 बजे के करीब शुरू हुई बैठक में 40 किसान नेता भाग ले रहे हैं. केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के अलावा रेल एवं खाद्य आपूर्ति मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्यमंत्री सोम प्रकाश इस बैठक में शिरकत कर रहे हैं. किसानों ने मांगें नहीं मानने पर गणतंत्र दिवस (Republic Day) पर राजधानी में ट्रैक्टर रैली निकालने की धमकी दे रखी है. किसानों के साथ अगले दौर की बैठक 15 जनवरी को होगी.
बैठक शुरू होते ही कृषि मंत्री ने कहा कि वो पूरे देश को ध्यान में रखकर ही कोई फैसला लेंगे. इस बीच किसान नेताओं ने दो टूक लहजे में कहा कि जब तक केंद्र सरकार कानून वापस नहीं लेती है, तब तक वो घर वापस नहीं जाएंगे. भारतीय किसान यूनियन (BKU Rajjewal) गुट के नेता बलबीर सिंह रजवाल ने तीनों नए कृषि कानूनों (New Farm Laws) को रद्द करने की मांग की. उन्होंने दावा किया कि सरकार इस तरह से कृषि क्षेत्र में दखल नहीं दे सकती. उन्होंने कहा कि सरकार के रुख से लगता है कि वह इस विवाद को सुलझाने के लिए तैयार नहीं है.
कृषि कानून: किसानों के समर्थन में कांग्रेस ने चलाया सोशल मीडिया अभियान, राहुल गांधी ने कही यह बात..
इससे पहले दोनों पक्षों के बीच 4 जनवरी को आखिरी बैठक हुई थी. वह बैठक सितंबर में पेश किए गए नए कानूनों को निरस्त करने पर जोर देने वाले किसानों के साथ गतिरोध को तोड़ने में विफल रही थी. आज की बैठक से एक दिन पहले गुरुवार को, किसानों ने दिल्ली की सीमाओं के साथ पूर्वाभ्यास के तौर पर एक ट्रैक्टर रैली निकाली थी- अगर वार्ता विफल हो जाती है, तो 26 जनवरी को किसान राजधानी दिल्ली में ट्रैक्टर रैली निकालेंगे. इसका एलान वो पहले ही कर चुके हैं.
बैठक शुरू होने से पहले केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने समाचार एजेंसी ANI से कहा, "मुझे उम्मीद है कि आज वार्ता सकारात्मक माहौल में आयोजित की जाएगी और एक समाधान मिल जाएगा. चर्चा के दौरान, प्रत्येक पक्ष को समाधान तक पहुंचने के लिए कदम उठाने होंगे." इससे पहले उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की थी.
किसान नेताओं का आरोप- 'हमें खालिस्तानी कहकर आंदोलन को बदनाम कर रही है सरकार'
बता दें कि किसान तीनों नए कृषि कानून को वापस लिए जाने की मांग पर अड़े हुए हैं. इस के साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य को संवैधानिक अधिकार देने की मांग कर रहे हैं. डेढ़ महीने के किसान आंदोलन में ठंड और अन्य वजहों से अब तक 60 किसानों की जान जा चुकी है. सुप्रीम कोर्ट ने भी किसान आंदोलन पर चिंता जताई है और इसे जल्द खत्म कराने के लिए एक कमेटी बनाने का निर्देश केंद्र सरकार को दिया है.