अडाणी ग्रुप ने श्रीलंका पावर प्रोजेक्ट विवाद को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है. अडाणी ग्रुप ने सोमवार को कहा कि श्रीलंका में ग्रुप को हासिल हुए एनर्जी प्रोजेक्ट विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए उसे दुख हो रहा है. श्रीलंका के अधिकारी ने दावा किया था कि देश के राष्ट्रपति गोटाभाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) ने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दबाव में काम किया था. अडाणी ग्रुप के एक प्रवक्ता ने कहा, "श्रीलंका में निवेश करने का हमारा इरादा एक मूल्यवान पड़ोसी की जरूरत को पूरा करना है. एक जिम्मेदार कारपोरेट के रूप में हम इसे उस पार्टनरशिप के जरूरी हिस्से के तौर पर देखते हैं जो इन दोनों देशों ने हमेशा 'शेयर' की है. मामले को लेकर सामने आई बदनामी (detraction)को लेकर हमें साफ तौर पर बेहद निराशा हुई है. तथ्य यह है कि इस मुद्दे को श्रीलंका सरकार अंदरूनी स्तर पर पहली ही देख चुकी है. "
श्रीलंका के सीलोन इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड (सीईबी) के चेयरमैन एमएसी फर्डिनांडो ने सोमवार को इस्तीफा दे दिया. तीन दिन पहले उन्होंने एक संसदीय पैनल के सामने दावा किया था कि राष्ट्रपति राजपक्षे ने उन्हें बताया था कि पीएम मोदी ने पवन ऊर्जा प्रोजक्ट को सीधे अडाणी ग्रुप को देने के लिए दबाव डाला था. सरकार ने उस दावे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, जिसे इस अधिकारी ने रविवार शाम को वापस ले लिया और राष्ट्रपति राजपक्षे ने जोरदार तरीके से खारिज कर दिया था.
आरोपों में श्रीलंका के मन्नार जिले में 500 मेगावाट की अक्षय ऊर्जा परियोजना शामिल है. संसदीय समिति की सुनवाई में फर्डिनांडो की टिप्पणी का वीडियो ट्विटर पर खासा शेयर किया जा रहा है.वीडियो में अधिकारी सिंहली में यह कह रहे हैं, "24 नवंबर को राष्ट्रपति ने एक बैठक के बाद मुझे बुलाया और कहा कि भारत के पीएम मोदी उन पर प्रोजेक्ट अडाणी ग्रुप को सौंपने का दबाव बना रहे हैं. मैंने कहा, 'यह मामला मुझसे या सीलोन बिजली बोर्ड से संबंधित नहीं है और यह बोर्ड ऑफ इनवेस्टमेंट से संबंधित है.' उन्होंने जोर देकर कहा कि मैं इस मामले को देखूं. इसके बाद मैंने एक लेटर भेजा कि राष्ट्रपति ने मुझे निर्देशित किया है कि वित्त सचिव इस मामले में जो जरूरी है वह करें. मैंने बताया कि यह सरकार से सरकार का सौदा (government-to-government deal) है. "
रविवार को राष्ट्रपति राजपक्षे के सख्त खंडन के बाद फर्डिनांडो ने भी अपनी टिप्पणी को वापस ले लिया. उन्होंने कहा कि गलत काम कारने के सवालों का सामना करने के दौरान भावनाओं में बहकर उन्होंने यह बयान दिया था . राष्ट्रपति राजपक्षे ने ट्वीट किया था: "मन्नार में एक पवन ऊर्जा परियोजना के संबंध में एक COPE समिति की सुनवाई में CEB अध्यक्ष द्वारा दिए गए एक बयान का मैं खंडन करता हूं.."
इस बाबत उनके कार्यालय ने एक लंबा बयान भी जारी किया, जिसमें परियोजना पर किसी को प्रभावित करने का जोरदार खंडन किया गया था. बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति ने स्पष्ट रूप से कहा था कि उन्होंने मन्नार में किसी भी व्यक्ति या संस्थान को पवन ऊर्जा परियोजना देने के लिए किसी भी समय Authorisation नहीं दिया था." राष्ट्रपति राजपक्षे के कार्यालय ने कहा, "श्रीलंका में वर्तमान में बिजली की भारी कमी है और राष्ट्रपति चाहते हैं कि जल्द से जल्द मेगा बिजली परियोजनाओं के कार्यान्वयन में तेजी आए. हालांकि, ऐसी परियोजनाओं को प्रदान करने में कोई अनुचित प्रभाव नहीं डाला जाएगा. बड़े पैमाने पर नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए परियोजना प्रस्ताव सीमित हैं. लेकिन परियोजनाओं के लिए संस्थानों के चयन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा, जो श्रीलंका सरकार द्वारा पारदर्शी और जवाबदेह प्रणाली के अनुसार सख्ती से किया जाएगा, "
यह विवाद श्रीलंका की ओर से अपने ऊर्जा प्रोजेक्ट्स के लिए प्रतिस्पर्धी बोली को हटाने के अपने कानून में बदलाव के एक दिन बाद सामने आया. विपक्ष के विरोध के बीच पारित होने से पहले अडाणी समूह विद्युत संशोधन बिल, संसदीय बहस में शामिल हुआ. विपक्ष ने अडाणी ग्रुप को बड़े नवीकरणीय ऊर्जा सौदों की सुविधा देने के लिए संसद के माध्यम से बिल लाने का आरोप लगाया. श्रीलंका में मुख्य विपक्षी पार्टी एसजेपी ने जोर देकर कहा कि 10 मेगावाट क्षमता से अधिक के प्रोजेक्ट को प्रतिस्पर्धी बोली से गुजरना चाहिए लेकिन सरकार के सांसदों न इसके विरोध में वोटिंग की. अडाणी ग्रुप में कथित तौर पर दिसंबर में मन्नार और पुनारिन में दो विंड पावर प्रोजेक्ट (पवन ऊर्जा परियोजना) को डेवलप करने के 500 मिलियन डॉलर के कांट्रेक्ट हासिल किए थे.
बता दें, गौतम अडाणी ने अक्टूबर में श्रीलंका का दौरान किया था और राष्ट्रपति राजपक्षे के साथ अपनी बैठक का ट्वीट भी किया था.
वर्ष 2021 में अडाणी ग्रुप ने श्रीलंका पोर्ट अथॉरिटी (SLPA) के साथ कोलंबो पोर्ट के वेस्ट इंटरनेशनल कंटेनर टर्मिनल को विकसित करने और संचालित करने के 700 मिलियन डॉलर के करार पर हस्ताक्षर किए थे.
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