राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की विशेष अदालत ने कहा है कि एल्गार परिषद-माओवादी सम्पर्क मामले के आरोपी वरवर राव को मोतियाबिंद की सर्जरी के लिए तीन महीने हैदराबाद जाने की अनुमति दी गयी तो आरोप तय होने में लंबा वक्त लग जाएगा. इसके साथ ही अदालत ने हैदराबाद जाने की कवि एवं सामाजिक कार्यकर्ता राव की याचिका खारिज कर दी. एनआईए के विशेष न्यायाधीश राजेश जे. कटारिया ने हालांकि पिछले हफ्ते ही उनकी यात्रा की अर्जी खारिज कर दी थी, लेकिन विस्तृत आदेश सोमवार को उपलब्ध कराया गया था.
उच्चतम न्यायालय ने गत अगस्त में 82 वर्षीय राव को चिकित्सा के आधार पर जमानत मंजूर की थी, जिसकी शर्तें विशेष एनआईए अदालत ने तय की थी. इन शर्तों में अदालत की अनुमति के बगैर ग्रेटर मुंबई की सीमा से बाहर न जाना भी शामिल है.
एनआईए अदालत ने कहा कि राव की अर्जी का मुख्य आधार यह है कि मुंबई में चिकित्सा खर्च ज्यादा है और तेलंगाना सरकार का पेंशनभोगी होने के नाते उन्हें हैदराबाद में मुफ्त इलाज मिल जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं है कि याचिकाकर्ता को मुंबई में अच्छा इलाज नहीं मिल सकता.
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यदि याचिकाकर्ता को तीन महीने के लिए हैदराबाद में रुकने की इजाजत दी जाती है तो आरोपों का निर्धारण लंबे समय के लिए लटक जाएगा. ऐसी स्थिति में अर्जी मंजूर करना उचित नहीं होगा.''