इलाहाबाद HC के जज ने ऐसा क्या कहा? उठी महाभियोग की मांग; जानिए पूरा मामला

कपिल सिब्बल ने कहा, ‘‘मैंने कुछ साथी नेताओं दिग्विजय सिंह (कांग्रेस), विवेक तन्खा (कांग्रेस), मनोज झा (राष्ट्रीय जनता दल), जावेद अली (समाजवादी पार्टी) और जॉन ब्रिटास (मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी) से बात की है. हम जल्द ही मिलेंगे और न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाएंगे.

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नई दिल्ली:

राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने मंगलवार को कहा कि विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के एक कार्यक्रम में विवादास्पद टिप्पणी करने वाले इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश शेखर यादव ने ‘घृणास्पद भाषण' देकर अपने पद की शपथ का उल्लंघन किया है और वह अन्य विपक्षी सांसदों के साथ मिलकर न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए नोटिस देंगे. सूत्रों ने कहा कि विपक्षी सांसदों द्वारा अगले कुछ दिनों में नोटिस पेश किए जाने की संभावना है. न्यायमूर्ति यादव ने रविवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में विहिप के विधि प्रकोष्ठ एवं संबंधित अदालत की इकाई के प्रांतीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए विवादास्पद टिप्पणी की.

सिब्बल ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘कोई भी न्यायाधीश इस तरह का बयान देकर अपने पद की शपथ का उल्लंघन करता है. अगर वह पद की शपथ का उल्लंघन कर रहा है, तो उसे उस कुर्सी पर बैठने का कोई अधिकार नहीं है.'' वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, ‘‘अगर एक उच्च न्यायालय का न्यायाधीश जब इस तरह का भाषण दे सकता है, तो सवाल उठता है कि ऐसे लोगों की नियुक्ति कैसे होती है. सवाल यह भी उठता है कि उन्हें इस तरह की टिप्पणी करने की हिम्मत कैसे मिलती है. सवाल यह भी उठता है कि पिछले 10 सालों में ये चीजें क्यों हो रही हैं.''

सिब्बल ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के पास ऐसे लोगों को उस कुर्सी पर बैठने से रोकने का अधिकार है और तब तक यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि उनके सामने कोई मामला न आए. उच्चतम न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय से इस बाबत विस्तृत ब्योरा मांगा है.

सिब्बल ने कहा, ‘‘मैंने कुछ साथी नेताओं दिग्विजय सिंह (कांग्रेस), विवेक तन्खा (कांग्रेस), मनोज झा (राष्ट्रीय जनता दल), जावेद अली (समाजवादी पार्टी) और जॉन ब्रिटास (मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी) से बात की है. हम जल्द ही मिलेंगे और न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाएंगे. इसके अलावा कोई और रास्ता नहीं है. यह हर मायने में नफरत फैलाने वाला भाषण है.''

वरिष्ठ अधिवक्ता सिब्बल ने 2018 में भारत के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश किया था और 1993 में शीर्ष अदालत के तत्कालीन न्यायाधीश वी. रामास्वामी का बचाव भी किया था. न्यायमूर्ति रामास्वामी को वित्तीय अनियमितता के आरोपों को लेकर महाभियोग प्रस्ताव का सामना करना पड़ा था.

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