कन्याकुमारी के कुलाचल और रामेश्वरम के छह मछुआरों को समुद्र के रास्ते ईरान से बचाया गया. ये मछुआरे हिंद महासागर में प्रवेश कर गए थे, क्योंकि ईरान में अरब मालिक ने इन्हें बिना भुगतान किए डेढ़ साल तक प्रताड़ित किया था. जानकारी के अनुसार, इन मछुआरों की नाव का डीजल खत्म हो गया था और वे कोच्चि में पानी में फंसे हुए थे, जहां से भारतीय तटरक्षक बल ने उन्हें बचाकर तट पर लाया.
कन्याकुमारी जिले के कुलाचल की मारिया डेनिस, रामनाथपुरम जिले के नित्या दयालन, कलाई दास, अरुण दयालन, राजेंद्रन और मुनीस्वरन पिछले साल 26 मार्च से ईरान में अरब व्यवसायी सैयद सऊद जाबादी की नाव पर कार्यरत थे. इन लोगों को मासिक वेतन और साल में एक बार प्रशासनिक खर्चों के लिए अपने घर जाने के करार पर नियुक्त किया गया था. हालांकि, डेढ़ साल से इन लोगों से बिना वेतन मछली पकड़ने का काम कराया जा रहा है. कुछ महीनों तक उन्हें यातनाएं भी झेलनी पड़ीं.
ये सभी मछुआरे मजदूरी की कमी के कारण भूख से मर रहे थे, परिवार को पैसे नहीं भेज सकते थे. उन्होंने अपने मालिक से विनती की कि उन्हें उनके घर जाने दिया जाए.मालिक ने इन सबके पासपोर्ट भी अपने पास रख लिए थे.
अपने मालिक से किसी भी तरह की मदद नहीं मिलने पर इन लोगों ने 16 दिनों की यात्रा के बाद नाव के जरिए समुद्र के रास्ते ईरान से भाग गए और भारतीय समुद्री सीमा पर केरल के जल क्षेत्र में पहुंच गए. उनकी नाव में डीजल नहीं था और वे बीच समुद्र में फंसे हुए थे.
कन्याकुमारी जिले से दक्षिण एशियाई मछुआरा संघ के महासचिव अरुल कर्दमा की ओर से भारतीय तटरक्षक को दी गई जानकारी के अनुसार, उन्होंने छह मछुआरों को बचाते हुए उन्हें कोच्चि बंदरगाह पर ले आए. इसके बाद इन मछुआरों ने राहत की सांस ली.
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