अखिलेश यादव की वो '4 शहरों' वाली लिस्ट, जिसने दिल्ली तक मचाई हलचल; अहीर रेजिमेंट पर फिर अड़े

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने लखनऊ में 1962 के युद्ध नायकों का सम्मान करते हुए सेना में 'अहीर रेजिमेंट' के गठन की मांग को फिर से हवा दे दी है. उन्होंने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में एक भी मिलिट्री स्कूल नहीं है, जबकि प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री यहीं से आते हैं.

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लखनऊ से वाराणसी तक मिलिट्री स्कूलों की मांग: अखिलेश यादव ने गिनाए 4 जिले, सैनिक-मिलिट्री स्कूल का अंतर भी समझाया
PTI

UP News: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने शनिवार को लखनऊ (Lucknow) में 1962 के भारत-चीन युद्ध (India-China War) के वीरों और पूर्व सैनिकों को सम्मानित किया. इस दौरान उन्होंने न केवल भारतीय सेना में अहीर रेजिमेंट (Ahir Regiment) के गठन की पुरानी मांग को फिर से बुलंद किया, बल्कि उत्तर प्रदेश की सैन्य शिक्षा को लेकर केंद्र सरकार को घेरा.

अहीर रेजिमेंट: सम्मान और शौर्य की मांग

अखिलेश यादव ने कहा कि भारतीय सेना में अहीर रेजिमेंट का गठन उन यादव सैनिकों के बलिदान के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी, जिन्होंने देश की सीमाओं की रक्षा में प्राण न्योछावर किए हैं. उन्होंने कहा, 'जब हम उन बहादुर सैनिकों को सम्मानित करते हैं जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना देश की रक्षा की, तो हम अहीर रेजिमेंट की मांग को फिर से दोहराते हैं. यह मांग केवल एक समुदाय की नहीं, बल्कि रेजिमेंट के सम्मान की भी है.'

सपा प्रमुख ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि अन्य समुदाय भी अपनी रेजिमेंट की मांग करते हैं, तो लोकतांत्रिक तरीके से उनकी आवाज भी सुनी जानी चाहिए.

यूपी में एक भी मिलिट्री स्कूल क्यों नहीं?

अखिलेश यादव ने शिक्षा के बुनियादी ढांचे पर सवाल उठाते हुए कहा कि देश में वर्तमान में केवल 5 मिलिट्री स्कूल (राजस्थान और कर्नाटक में 2-2 और हिमाचल में 1) हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री, जो दोनों ही यूपी का प्रतिनिधित्व करते हैं, से सीधा सवाल किया. अखिलेश ने मांग की कि लखनऊ, इटावा, कन्नौज और वाराणसी में तत्काल मिलिट्री स्कूलों की स्थापना की जाए. उन्होंने लोगों को जागरूक करते हुए बताया कि यूपी में 'सैनिक स्कूल' तो हैं, लेकिन 'मिलिट्री स्कूल' (जो रक्षा मंत्रालय के सीधे नियंत्रण में होते हैं) एक भी नहीं है.

'आखिरी गोली, आखिरी सैनिक'

1962 के युद्ध का जिक्र करते हुए अखिलेश भावुक नजर आए. उन्होंने रेजांग ला (Rezang La) की ऐतिहासिक लड़ाई को याद किया, जहां 13 कुमाऊं रेजिमेंट के सैनिकों ने हजारों चीनी सैनिकों का मुकाबला किया था. उन्होंने कहा कि इतिहास के पन्ने गवाह हैं कि कैसे हमारे जवानों ने आखिरी गोली और आखिरी सैनिक तक दुश्मन का मुकाबला किया.

अग्निपथ योजना पर तीखा तंज

इस दौरान बिना नाम लिए केंद्र की अग्निपथ योजना पर निशाना साधते हुए अखिलेश ने कहा कि अगर सैनिकों को अस्थायी नौकरियों (Temporary Jobs) के लिए भर्ती किया जाता रहेगा, तो भविष्य में पूर्व सैनिकों और युद्ध नायकों को इस तरह सम्मानित करने के अवसर ही समाप्त हो जाएंगे.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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