- अखिलेश यादव और गिरिराज सिंह वैसे तो विरोधी दल के नेता हैं, लेकिन मंगलवार को दोनों गले लगकर ठहाके लगाते दिखे.
- सपा नेता अखिलेश यादव और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह आसपास खड़े होकर मीडिया से बात कर रहे थे.
- अखिलेश ने हाथ हिलाया तो गिरिराज सिंह ने आकर उन्हें गले लगा लिया. इसके बाद खूब हंसी-ठिठोली हुई.
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव एक तरफ, बीजेपी के फायरब्रांड नेता गिरिराज सिंह दूसरी तरफ. दोनों नेता मंगलवार दोपहर को संसद भवन परिसर में एकदूसरे के आसपास खड़े होकर मीडिया को बयान दे रहे थे. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह कैबिनेट बैठक में हिस्सा लेकर नीचे उतरे थे, वहीं अखिलेश इंडिया गठबंधन के विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के बाद मकर द्वार के पास खड़े थे. गिरिराज सिंह अपने बयान में अखिलेश का जिक्र कर रहे थे, अखिलेश दूसरी तरफ खड़े होकर मुस्कुरा रहे थे. इसी बीच अखिलेश ने हाथ हिलाया और फिर वो हुआ, जो भारतीय सियासत में कम ही देखने को मिलता है.
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह मीडिया से बात करने के बाद अखिलेश की तरफ मुड़े और आगे बढ़कर हंसते हुए उन्हें गले लगा लिया. अखिलेश ने भी उसी गर्मजोशी से जवाब दिया और गिरिराज सिंह को थाम लिया. दोनों खिलखिलाकर हंसते हुए बात करने लगे. उस दौरान वहां पर मौजूद अन्य नेता भी उनकी हंसी-ठिठोली में शामिल हो गए. अखिलेश ने मीडिया वालों को इशारा किया तो सभी उनकी तस्वीरें कैद करने में लग गए.
इसी बीच अखिलेश यादव ने गिरिराज सिंह के कान में कुछ कहा. इस पर गिरिराज सिंह खिलखिलाकर हंस पड़े. अखिलेश भी अलग मूड में थे. वो भी हंसने लगे. वहां मौजूद बाकी नेताओं के चेहरों पर भी मुस्कान तैर गई. कुछ देर बाद अखिलेश यादव हाथ जोड़कर जाने लगे तो गिरिराज ने तंज कसते हुए पूछा कि बॉम्बे चल रहे हैं न निशिकांत (दुबे) ने जो कहा है.. अखिलेश ने जवाब दिया- नहीं मैं नहीं जा रहा. इस पर गिरिराज फिर से खिलखिलाकर हंसने लगे.
बात यहीं खत्म नहीं हुई. इसके बाद एक मीडियाकर्मी ने अखिलेश से एक सवाल पूछा, जिसके जवाब में सपा नेता ने कहा कि बीजेपी का कभी यकीन मत करना. अखिलेश की इस टिप्पणी पर जब गिरिराज सिंह से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि असल बात ये है कि जिसको खुद पर भरोसा नहीं होता, वो दूसरों पर भरोसा कैसे करे. सपा को अपने आप पर ही भरोसा नहीं है.
अखिलेश यादव और गिरिराज सिंह की हंसी-ठिठोली की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं. लोग तरह-तरह से प्रतिक्रिया देने लगे. कई लोग इसे राजनीतिक परिपक्वता और शिष्टाचार बता रहे हैं, तो कुछ लोग कह रहे हैं कि इससे एक बार फिर साबित हो गया कि सपा बीजेपी की बी टीम है. बहरहाल अखिलेश और गिरिराज सिंह संसद की कार्यवाही खत्म होने के बाद बाहर आकर मीडिया से बात कर रहे थे, उसी दौरान ये घटना हुई. अखिलेश यादव बिहार में मतदाता सूची के विशेष रिवीजन के विरोध में इंडिया गठबंधन के दलों के विरोध प्रदर्शन में भी शामिल हुए थे.
दोनों की ये तस्वीर उस कहावत को सच साबित करती नजर आती है कि सियासत में न कोई दोस्त होता है और न दुश्मन. अखिलेश और गिरिराज सिंह कुछ समय पहले तक अक्सर एकदूसरे पर शब्दबाण छोड़ते नजर आते थे. एकदूसरे की खिंचाई करने का सियासी मौका हाथ से नहीं जाने देते थे. लेकिन मंगलवार को संसद भवन परिसर में दोनों की अलग ही तस्वीर दिखी. दोनों एकदूसरे को गले लगाते नजर आए. जमकर हंसी ठिठोली करते दिखे. ठहाके भी लगे. धुर विरोधी दोनों नेताओं की इस जुगलबंदी पर सियासी चटकारे लिए जा रहे हैं.
कहते हैं, सार्वजनिक रूप से नेता भले ही एकदूसरे का विरोध करते दिखते हों लेकिन पर्दे के पीछे अलग ही केमिस्ट्री काम करती है. विरोधी दल के नेता भी आपस में अच्छे से मिलते हैं. निशिकांत दुबे और असदुद्दीन औवेसी की जुबानी जंग किसी से छिपी नहीं है. दोनों अक्सर एकदूसरे के खिलाफ जहर उगलते नजर आते हैं, लेकिन इसके बावजूद निशिकांत कहते हैं कि उनमें भले ही वैचारिक मतभेद हैं, लेकिन वो एकदूसरे का सम्मान करते हैं. यही है भारतीय लोकतंत्र की खूबी.