जिंदा जले लोग मेरे सामने पड़े थे...जब प्लेन क्रैश के वक्त चाबी बनाने वाले प्रकाश बने मसीहा

जब विमान बीजे मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल भवन से टकराकर धू-धू कर जल रहा था, तब लोग डर के मारे इधर-उधर भाग रहे थे. लेकिन तब प्रकाश सिंह अपनी चाबी की दुकान छोड़ सीधे आग की ओर भागे. घना धुआं, जलती इमारतें और बेहोश होते लोग… इस मौत के मंजर में भी उन्होंने जान की परवाह किए बिना फंसे लोगों को बाहर निकाला. उनकी हिम्मत और इंसानियत से कई जिंदगियों को नया जीवन दिया — एक ऐसा नाम, जिसे अब अहमदाबाद कभी नहीं भूलेगा.

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प्लेन क्रैश में लोगों को बचाने कई मंजिल तक चढ़े थे चाबी बनाने वाले प्रकाश सिंह
अहमदाबाद:

12 जून 2025 को अहमदाबाद के मेघानी नगर में एयर इंडिया का बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान (फ्लाइट AI171) टेकऑफ के कुछ ही सेकंड बाद बीजे मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल भवन से टकराकर क्रैश हो गया. इस भयावह हादसे ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया. इस घातक क्रैश में प्लेन सवार 242 में से 241 लोग मारे गए.  बस एक ही शख्स जिंदा बच पाया. जब ये खौफनाक हादसा हुआ, उस वक्त वहां कई लोग मौजूद थे. उन्हीं में से एक है प्रकाश सिंह, जो चाबी बनाने का काम करते हैं. हादसे के समय क्रैश साइट के पास ही मौजूद थे, उन्होंने जो भयावह मंजर को बयां किया, उसके बारे में सुनकर ही अंदर तक सिहर जाएंगे.

तेज धमाका और आग की लपटें

प्रकाश सिंह ने बताया कि 12 जून को दोपहर करीब पौने दो बजे मैं अपनी दुकान के पास बैठा था. अचानक पीछे की तरफ से एक जोरदार धमाका हुआ. उस वक्त मैंने देखा तो आसमान में काला धुआं और आग की लपटें उठ रही थीं. आवाज इतनी भयंकर थी कि लगा जैसे कुछ बहुत बड़ा हादसा हो गया. वह तुरंत घटनास्थल की ओर दौड़े, जहां बीजे मेडिकल कॉलेज की इमारत  की दूसरी इमारत में विमान का अगला हिस्सा टकराया था, और तीसरी मंजिल पर भीषण आग लग चुकी थी.

मलबे में बिखरे शव, आसमान में धुआं

बिल्डिंग में पहुंचते ही प्रकाश सिंह ने जो देखा, वह किसी भयानक सपने से कम नहीं था. "धुआं इतना घना था कि बादलों को छू रहा था, मलबे में जिंदा जले लोगों के शव बिखरे पड़े थे, और इमारत में कई लोग जल चुके थे. तीसरी मंजिल पर आग की लपटें इतनी तेज थीं कि वहां सांस लेना बेहद मुश्किल हो रहा था." प्रकाश ने बताया कि विमान का अगला हिस्सा दूसरी मंजिल तक पहुंचा था, और तीसरी मंजिल पूरी तरह आग की चपेट में थी. धुआं इतना ज्यादा था कि मलबे और आग के बीच कुछ भी साफ दिखाई नहीं दे रहा था.

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साहस के साथ बचाव कार्य

गनीमत ये रही कि हादसे के तुरंत बाद प्रकाश सिंह और आसपास के 8-10 स्थानीय लोग पुलिस के साथ मिलकर बचाव कार्य में जुट गए. प्रकाश ने बताया कि हमने देखा कि पांचवीं और छठी मंजिल पर कुछ लोग कमरों में फंसे हुए थे. उन्होंने दरवाजे लॉक कर लिए थे और बालकनी से मदद मांग रहे थे. फायर ब्रिगेड की सीढ़ी उन तक नहीं पहुंच पा रही थी. प्रकाश और उनके साथियों ने हिम्मत दिखाते हुए पांचवीं मंजिल तक पहुंचकर 5-7 लोगों को सुरक्षित नीचे उतारा. तीसरी मंजिल पर हालात इतने खराब थे कि वहां पहुंचना संभव नहीं था, क्योंकि आग और धुएं ने ऑक्सीजन को खत्म कर दिया था.

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स्थानीय लोगों का योगदान

प्रकाश सिंह की दुकान बीजे मेडिकल कॉलेज के सामने चाबियां बनाते हैं, जिसके चलते वह और अन्य स्थानीय लोग हादसे के तुरंत बाद मौके पर पहुंचे. उन्होंने बताया कि मैंने अपनी दुकान बंद की और तुरंत मदद के लिए दौड़ा. मुझे पता था कि इतना बड़ा हादसा हुआ है, तो भीड़ बढ़ेगी और पुलिस रास्ता खाली करवाएगी. इसलिए मैंने सामान छोड़कर पहले लोगों की मदद को प्राथमिकता दी. स्थानीय लोगों ने न केवल फंसे हुए लोगों को बचाया, बल्कि पुलिस और इमरजेंसी सेवाओं के साथ मिलकर राहत कार्यों में भी योगदान दिया.

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हादसे का दर्दनाक सच

दुनिया के सबसे घातक विमान हादसों में एक इस क्रैश में 242 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों में से केवल एक यात्री, विश्वास कुमार रमेश, जीवित बचे. इसके अलावा, जमीन पर भी कई लोग मारे गए, जिनमें मेडिकल कॉलेज के छात्र और कर्मचारी शामिल थे. हादसे की जांच के लिए भारत के विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) ने काम शुरू कर दिया है, जिसमें अमेरिका के नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड (NTSB) और ब्रिटेन के एक्सपर्ट भी सहयोग कर रहे हैं.

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